लोगों के दिल में तिब्ब्त का स्थान विश्व की छत की तरह है। वहां पर विश्व की सब से ऊंची पर्वत चोटी चुमुलांगमा चोटी खड़ी है, विश्व के सबसे ऊंचे स्थान पर निर्मित महल पोताला महल, सबसे लंबा रेल मार्ग छिंगहाई-तिब्बत रेलवे तथा इसके अलावा अनेक पहाड़, झील, मैदान और मठ है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, मानवीय सभ्यता लोगों का मन अपनी तरफ आकर्षित करता रहता है।
तिब्बत पठार औसतन समुद्री तल से 4000 मीटर से ज्यादा ऊंचा है। यहाँ पर आक्सीजन की भी कमी होती है। यहाँ आने वाले कुछ लोगों को तो आक्सीजन की कमी के कारण उच्च रक्तचाप का भी सामना करना पड़ता है। इस कारण से बहुत सारे लोग चाहकर भी तिब्बत नहीं आ पाते हैं। विशेष तौर पर क्वांगतुंग के लोगों के लिए जो समुद्र तल से निम्न उँचाई से जब तिब्बत जाते हैं तो उन्हें वहाँ के वायु दबाब का सामना करना पड़ता है। वर्ष 2006 में, तिब्बत के लिए क्वांगतुंग से सीधी रेल सेवा, जो कि चीन की सबसे लंबी रेल सेवा भी है, शुरू होने के बाद लोग तिब्बत जाने के लिए तैयार होने लगे।
चोउ ची छियांग और चोउ क निंग दोनों दंपति मूल रूप से क्वांगतुंग वासी है। उन्हें पर्यटन में बहुत रूची है। वे दोनों लगभग 70 साल के हो चुके हैं।वर्ष 2008 में दोनों बुजुर्गों ने तिब्बत जाने की योजना बनाई। उनके साथ कुछ दोस्त कुल मिलाकर दस से ज्यादा लोग तिब्बत जाने के लिए तैयार हुए। लेकिन जब पर्यटन कंपनी के पास आवेदन करने का समय आया तो सिर्फ तीन लोग ही शेष बचे। फिर दोनों पति पत्नी ने भी तिब्बत जाने का विचार त्याग दिया। इस साल दोनों दंपति ने पवित्र तिब्बती भूमि जाने का फिर से विचार बनाया। चोउ क निंग ने कहा:
"मेरी बहुत इच्छा हुई इस पवित्र भूमि का दौरा करने की। पहले उच्च वायु दबाब के कारण वहाँ जाना तकलीफदेह लगता था। इस बार मैंने साहस के साथ वहाँ जाने का निर्णय लिया है। मेरे पति इस ग्रुप में सबसे वृद्ध हैं। मैं महिलाओं में सबसे वृद्ध हूँ। इस बार देखना चाहती हूँ कि जा सकती हूँ कि नहीं। नहीं तो फिर दुबारा मौका नहीं मिलेगा। मैंने सबसे बुरे परिणाम की तैयारी भी कर ली है। अगर वास्तव में सफलता नहीं मिली तो वहीं से हवाईजहाज से वापस आ जाउँगी। मान लूँगी की यह एक सबसे महंगी यात्रा हुई।"