सूखा मिट्टी की दीवार
घास के मैदान में भेड़ें
यह सुप्रसिद्ध चीनी ई जातीय कवि चीदी माच्या की कविता का एक अंश। वे विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु पालने वाली इन तीनों नदियों के उद्गम स्थल को विश्व का तीसरा ध्रुव मानते हैं। उनका कहना है:"पीली नदी का 49 प्रतिशत पानी, यांत्सी नदी के 26 प्रतिशत पानी और लान छांगच्यांग नदी के 16 प्रतिशत पानी का उद्गम स्थल छिंगहाई प्रांत में है। सानच्यांग युआन क्षेत्र में जीव-जंतुओं की विविधता सुरक्षित है। आज विश्व में इसी स्थल का पारिस्थितिक स्थान दिन-ब-दिन मज़बूत हो रहा है। मुझे लगता है कि दक्षिण ध्रुव और उत्तर ध्रुव के अलावा छिंगहाई-तिब्बत पठार को विश्व का तीसरा ध्रुव माना जाना चाहिए।"
छिंगहाई-तिब्बत पठार पर स्थित सानच्यांग युआन क्षेत्र में पारिस्थितिकी पर्यावरण विश्व में प्राकृतिक पर्यावरण के परिवर्तन पर महत्वपूर्ण असर पड़ा है। ये पारिस्थितिक मानव रहित क्षेत्र मानी जाती है। लेकिन कठोर प्राकृतिक स्थिति के असर से इस क्षेत्र में पारिस्थितिकी पर्यावरण बहुत कमज़ोर हुआ है।
छिंगहाई प्रांत के सानच्यांग युआन पारिस्थितिकी संरक्षण इमेजिंग सेंटर के प्रधान ली श्याओनान लम्बे समय से पर्यावरण संरक्षण कार्य में लगे हुए हैं। उन्होंने"सानच्यांग युआन की इमेजिंग"नाम का फ़ोटो एलबम प्रकाशित किया है, जिसमें उन्होंने अपनी तीसरी आंख यानी कैमरे से सर्वेक्षण करके सानच्यांग युआन क्षेत्र में हुए पर्यावरण परिवर्तन को रिकॉर्ड किया है। इसकी चर्चा में ली श्याओनान ने कहा:
"1300 वर्ष पूर्व से ही सानच्यांग युआन प्राकृतिक सौंदर्य वाला स्थल है, जहां पहाड़ और नदियां बहुत सुन्दर हैं और मौसम भी सुहाना था। पिछली शताब्दी में 70 के दशक से ही मानव जाति की बढ़ रही कार्यवाहियों के कारण पारिस्थितिक ह्रास शुरू हुआ। 70 प्रतिशत वाले घास के मैदानों में बड़े पैमाने पर गिरावट दर्ज की गई। जलवायु में गर्मी बढ़ने लगी, बर्फीले पर्वतों के पिघलने से पूर्ण पारिस्थितिक प्रणाली की क्षमता सिमित होने लगी।"
छिंगहाई प्रांत के हाईनान तिब्बती प्रिफेक्चर की कोंगहो कांउटी के रेतीलेकरण की स्थिति सबसे गंभीर क्षेत्रों में से एक थी। कांउटी में पर्यावरण संरक्षण और वनरोपण कार्य में कार्यरत कर्मचारी वांग तोंगप्याओ ने एक लोकप्रिय कहावत का प्रयोग कर पर्यावरण-परिवर्तन के कारण स्थानीय लोगों को पहुंचने वाले नुकसान पर कहा:
"यहां के निवासियों के बीच एक कहावत बहुत लोकप्रिय है। यानी'सुबह खेती योग्य भूमि और रात को रेतीली, पता नहीं चलता कहां घर बनाया जा सकता है'। मतलब है कि हमारे यहां सुबह शायद खेती योग्य भूमि थी, लेकिन रात को हवा के चलते रेत आ गई, जिससे ये रेतीली भूमि बन जाती थी। रेतीली आपदा से हमारे गांव को तीन बार नई जगह ढूंढना पड़ा।"
सान च्यांगयुआ के केंद्र स्थित छिंगहाई प्रांत के ह्वांगनान तिब्बती प्रिफेक्चर के चीगेरी गांव में गांववासी, तिब्बती दादी मां वानश्यान ख्वानचो घास के मैदान में हुए परिवर्तन की प्रत्यक्ष साक्षी ही हैं। उन्होंने कहा:
"पहले हमारे पास सौ भेड़ें और 30 गायें थीं। वर्ष 2003 में संबंधित विशेषज्ञों द्वारा किए गए सर्वेक्षण से पता चला कि यहां घास के मैदानों में 60 प्रतिशत क्षेत्र के घास में कमी आई है। चरवाहे चरागाह नहीं जा पाते और जीवन का दबाव साल-दर-साल गंभीर होने लगा। ऐसी स्थिति में हमें घास के मैदान से कस्बे तक स्थानांतरण करना पड़ा, ताकि मौदान में घास दोबारा उग सके।"
पर्यावरण के परिवर्तन से पैदा हुई परेशानियों से मुकाबले के लिए हाल के वर्षों में चीन ने सिलसिलेवार कदम उठाए हैं। अब सानच्यांग युआन में चीन में सबसे बड़ा पारिस्थितिकी संरक्षण केंद्र स्थापित हुआ है। सानच्यांग युआन छिंगहाई प्रांत के अधीन है, इस प्रांत के लोग खुद को पृथ्वी की पवित्रता और भूमि की स्वच्छता की रक्षा करने वाले दास मानते हैं। छिंगहाई प्रांत के गवर्नर लो ह्वेईनिंग ने कहा:
"हमारे प्रांत के सानच्यांग युआन क्षेत्र में पीली नदी, यांत्सी नदी और लान छांगच्यांग नदी का उद्गम स्थल है। ये तीन नदियां देश भर में दो तिहाई जनसंख्या का पोषण करती हैं। सानच्यांग युआन को चीनी राष्ट्र का जल-टावर और पृथ्वी का गुर्दा माना जाता है। वर्ष 2005 में चीनी राज्य परिषद ने सानच्यांग युआन प्राकृतिक संरक्षण केंद्र में पारिस्थितिकी संरक्षण परियोजना के कार्यान्वयन की पुष्टि की। हमने इसी क्षेत्र में खेतों को पुनः वन और घास-मैदान में बदलने के साथ-साथ चरागाहों को बंद कर घास उगाने जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए।"
सिलसिलेवार कदमों से सानच्यांग युआन क्षेत्र की पारिस्थितिक स्थिति में सुधार हुआ है। छिंगहाई प्रांत के सानच्यांग युआन पारिस्थितिकी संरक्षण इमेजिंग सेंटर के प्रधान ली श्याओनान के अनुसार वर्ष 2005 से ही सानच्यांग युआन में घास के मैदान हरे-भरे होने लगे और नदियों में पानी ज्यादा होने लगा। कैमरे में हरा और नीला रंग बढ़ना इस बात के संकेद दे रहे हैं। ली श्याओनान ने कहा:
"पिछले 8 वर्षों के लगातार प्रयासों से सानच्यांग युआन क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण में सफलता मिली है। घास के मैदान में पहले जो कमी आ रही थी वो अब कुछ हद तक रुकी है। क्षेत्रीय जल सप्लाई क्षमता भी स्पष्टतः उन्नत हुई है। वर्ष 2005 से 2012 तक यांत्सी नदी, पीली नदी और लान छांगच्यांग नदी के छिंगहाई प्रांतीय भागों से हर वर्ष 60 अरब घनमीटर पानी निचले भाग तक पहुंचाया जाता है। इसके साथ ही इन नदियों में पानी की गुणवत्ता पहले से कहीं अच्छी हुई है।"