मात्वो कांउटी का दृश्य
पीली नदी का दृश्य
चीन की सभ्यता और मां समान नदी के रूप में ह्वांग हो यानी पीली नदी, छांगच्यांग नदी यानी यांत्सी नदी और छह एशियाई देशों से गुज़रने वाली लान छांगच्यांग नदी (एशिया के दूसरे देशों में इसे मेकोंग नदी भी कहा जाता है) का उद्गम स्थल छिंगहाई तिब्बत पठार पर स्थित है। ये तीन नदियां छिंगहाई प्रांत से गुज़रती हैं और इनका उद्गम स्थान इसी प्रांत में स्थित है। इस तरह तीन नदियों के उद्गम स्थल को चीनी लोग सानच्यांग युआन कहते हैं।चीनी भाषा में"सान"का अर्थ"तीन"है,"च्यांग"का अर्थ"नदी"और "युआन"का अर्थ"स्रोत"। कुल मिलाकर कहा जाए, तो"सान च्यांग युआन" का अर्थ"तीन नदियों का उद्गम स्थल"होता है। सानच्यांग युआन क्षेत्र चीन के ही नहीं, विश्व भर के पारिस्थितिकी और जलवायु के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अगर आप पीली नदी, यांत्सी नदी और लान छांगच्यांग नदी के निचले हिस्से से ऊपरी भाग तक जाएं, तो आप छिंगहाई-तिब्बत पठार में गहरे भीतरी स्थल पर पहुंच सकेंगे, जहां पायान खाला पर्वत समूह खड़ा हुआ है। इसी स्थल में बर्फीला पहाड़ पवित्र महल की तरह है। तिब्बती बौद्ध धर्म की सूत्र झंडियां जगह-जगह पर फहरती हैं। मानी पत्थर टीला और मानी प्रस्तर नक्काशी, दुर्लभ पठारीय तिब्बती नीलगाय, प्राचीन तिब्बती सभ्यता और संस्कृति ...... ये सब सानच्यांग युआन क्षेत्र में पाया जाता है।
कई साल पहले सुप्रसिद्ध चीनी ई जातीय कवि चीदी माच्या, जो देश के भीतरी इलाके से छिंगहाई-तिब्बत पठार तक स्थानांतरण कर बसे हुए हैं, ने कहा कि अगर विश्व को अंतिम समय का सामना करना पड़ा, तो अंतिम जीवन को बचाने वाली चीज़ पानी और मानव की जागरूण होंगे। कवि अपनी कविता में इस प्रकार लिख रहे हैं:
अगर मैं हूँ संसार में अंतिम शिकारी
खड़ा हुआ हूँ क्षितिज़ पर
गोलियां मारने को तैयार
अकेले जंगल की ओर
देख रहा हूं अंतिम हिरणी
अंतिम साइबेरियाई मस्क हिरण
और अंतिम गिलहरी
वे सब सुन रहे हैं गंभीरता से
मेरी गोली की अंतिम आवाज़
लेकिन अंत में गोली नहीं चलाई मैंने
सुना है मेरे पीछे
किसी व्यक्ति की है आवाज़
समुद्री पानी के साथ......