तिब्बत के शिकाजे पहुंचने के बाद बरुनो अपने दल और सहयोग साझेदारों के साथ इस क्षेत्र की सभी 18 कांऊटियों व शहरों के संबंधित डांक्टरों को आंखों के आँपरेशन की ट्रेनिंग दी, साथ ही स्थानीय प्राइमरी स्कूलों व मिडिल स्कूलों के छात्रों की दृष्टियों का आम जांच पड़ताल करने में तेजी लायी है, अनेक प्रकार वाले माध्यमों के जरिये स्थानीय आंख रोगों का इलाज करने की क्षमता बढ़ गयी है।
इस के अलावा बरुनो अपने दल के साथ अन्य संबंधित विविधतापूर्ण परियोजनाएं करने में भी क्रियाशील हैं। उदाहरण के लिये वे अकसर विभिन्न स्थानीय गांवों में गर्भवतियों की शारीरिक जांच करते हैं, बाल बच्चों के सामान्य रोगों का इलाज करते हैं, साथ ही स्थानीय गांववासियों के बीच चिकित्सा जानकारियों को लोकप्रिय बनाते हैं और स्थानीय वासियों के लिये पानी की सप्लाई प्रणाली को सुधारने में हाथ बटाते हैं। हर वर्ष के आधे समय वे अलग अलग गांवों में बिताते हैं। जबकि इन गांवों के बीच का फासला बहुत दूर है, कभी कभार कार चलाकर एक गांव से दूसरे गांव पहुंचने में पूरे दिन का समय लग जाता है। बरुनो ने कहा कि शिकाजे प्रिफेक्चर का क्षत्रफल अपने देश स्विटजरलैंड से चार गुणा अधिक बड़ा है, जबकि यहां की आबादी सिर्फ स्विटजरलैंड की एक बटे दस मात्र ही है। कम जनसंख्या वाले विशाल क्षेत्र में काम करना कोई आसान नहीं है। पर यह बरुनो के लिये कोई मुश्किल नहीं है। उन्होंने कहा:"सामने खड़े कठिन सवालों को विविध चुनोतियों के रुप में देखना ज्यादा पसंद करता हूं। हमारे सहयोग साझदारों ने हमें बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण समर्थन भी प्रदान कर दिया है। हम ने कुछ मुश्किलों की वजह से अपना कदम बंद किया ही नहीं, बल्कि मुझे लगता है कि पहले मैं काम के लिये विश्व के बहुत ज्यादा क्षेत्र गया था, पर तिब्बत में जो उपलब्धि हासिल हुई है, उस पर मैं सब से संतुष्ट हूं। तिब्बत के स्थानीय वासी हमारा बेहद स्वागत कर लेते हैं। मैं स्विटजरलैंड से आया हूं, बहां पर पर्वत ही पर्वत हैं, मुझे पर्वत से बड़ा लगाव है, इसलिये मैं तिब्बत में काम करने पर बड़ा गर्व महसूस करता हूं। लेकिन यहां पर मुझे मोहित करने वाला सब से बड़ा आकर्षण वातावरण या संस्कृति के बजाये यहां के स्थानीय लोग ही है।"
तिब्बत में काम करने के पिछले पांच सालों में बरुनो हर वर्ष केवल तीन हफ्ते के लिये घरवालों से मिलने स्विटजरलैंड वापस जाते हैं। अगले वर्ष वे तिब्बत का कार्यभार समाप्त कर अफ्रीका के स्वाजीलैंड जाएंगे, वहां पर वे लगातार स्थानीय स्वास्थ्य व चिकित्सा काम करना जारी रखेंगे। बरुनो ने कहा:"चाहे कोई भी काम करने में लग जाता हूं, तो मैं उस से अपने आप के मूल्य को मूर्त रुप देने पर आशा बांधा हुआ हूं। जहां के लोगों की मांग भारी होती है, वहां पर साकार बनाने वाला अपना मूल्य भी उतना ही बड़ा होता है। मैं सहायता चाहने वालों की सेवा करने पर बेहद खुश हूं।"