जर्मनी में तिब्बत के बारे में पर्याप्त सामग्री न मिलने की वजह से उन का अध्ययन बाधित हो गय़ा। इसलिये उन के मन में पढ़ने के लिये तिब्बत आने का विचार आया।इसकी चर्चा मेंजोर्ग ने कहा:"यदि आप जर्मनी की दफतर में बैठकर तिब्बती भाषा का अध्ययन करते हैं, तो इस 600 साल पुरानी तिब्बती भाषा को समझना असंभव है। इसलिये आप के लिये यह जरुरी है कि चीन के तिब्बती विद्या विद्वानों से इस भाषा की लिपी का असली अर्थ समझ जाये या उन के साथ इस भाषा पर विचार किया जाये । यदि आप को तिब्बती भाषा बोलना आता है, तो आप इन विद्वानों के साथ सुचारु रुप से आदान प्रदान व विचार विमर्श कर सकते हैं।"
तिब्बत आने के बाद जोर्ग को काफी बड़ी दिक्कतें हुई हैं । हालांकि उन्हें तिब्बती भाषा पढ़ना आता है, पर तिब्बत आने से पहले यह भाषा बोलना बिलकुक नहीं आता। जोर्ग ने कहा:"तिब्बती भाषा जर्मन भाषा और यूरोपीयन भाषाओं या अंग्रेजी भाषा से एकदम अलग है, तिब्बती भाषा का व्याकरण और उच्चारण अपने ढंग का है, इसलिये तिब्बती भाषा सीखने के शुरु में मुझे बड़ी दिक्कतें हुईं।"
पर कड़ी महनत से सुफल प्राप्त होता है। एक साल से अधिक समय की कड़ी मेहनत से जोर्ग तिब्बती छात्रों के साथ तिब्बती भाषा में बेरोकटोक रुप से बातचीत करने में सक्षम हो गये हैं। एक विदेशी होने के नाते जोर्ग इतनी कुशलता से तिब्बती भाषा बोलते हैं, यह सचमुच बड़ी आश्चर्यजनक बात ही है। इसलिये स्थानीय वासी जोर्ग के साथ बर्ताव करने में बडी रुचि लेते हैं। इस की चर्चा में उन्होंने कहा:"क्योंकि मेरा कद बहुत लम्बा है, इसलिये जब मैं बाहर जाता हूं, तो स्थानीय वासियों का ध्यान आसानी से मुझे पर केंद्रित हो जाता है, विशेषकर बार या सार्वजनिक बस में लोग अकसर मेरे लम्बे कद और ऊंची नाक को देखकर चमत्कृत हो जाते है, फिर मेरे बारे में खूब चर्चा कर लेते हैं। पर वे नहीं जानते हैं कि मुझे तिब्बती भाषा आती है । ऐसे मौके पर जब मैं तिब्बती भाषा में उन का जवाब देता हूं, तो वे एकदम हैरान होकर शर्मिंदा हो जाते हैं। यह एक बड़ी दिलचस्प शुरुआत है , फिर हम कुछ दूसरे समान दिलचस्पी वाले विषयों पर बातचीत करते हैं।"
ऊ म्यी फूंग की ही तरह जोर्ग ने अपनी आंखों से पिछले कुछ वर्षों में ल्हासा शहर में हुए परिवर्तन देख लिये हैं, वे इन भारी परिवर्तनों का साक्षी हैं। उन्होंने कहा कि ल्हासा का विकास बहुत तेज है, अब विभिन्न पर्यटन सुविधाएं दिन ब दिन व्यवस्थित हो गयी हैं, पर्यटकों की संख्या भी पहले से बहुत ज्यादा बढ़ गयी है। जोर्ग का विचार है कि तिब्बत व्यक्ति की जिंदगी के लिये जाने लायक है। उन्होंने कहा:"बाद में यदि कोई श्रोता अपनी आंखों से तिब्बत की खूब सूरत देखने के लिये तिब्बत आयेंगे , तो वे निश्चय ही अपनी सफल यात्रा पर संतुष्ट होंगे। मुझे उम्मीद है कि वे तिब्बत के दौरे पर अवश्य ही आयेंगे।"