कुछ पश्चिमी मीडिया ने अपनी रिपोर्ट देते हुए कहा कि तिब्बती संस्कृति रहस्यमय और अजीब होने के साथ साथ अज्ञानी और पिछड़ी भी है, वह हमेशा वास्तविक जीवन से अलग होती है। पर साथ ही कुछ ऐसे पश्चिमी विद्वान भी हैं कि वे बराबर वैज्ञानिक ढ़ंग से तिब्बती विद्या और तिब्बती संस्कृति के अध्ययन में संलग्न हुए हैं, कुछ पश्चिमी युवा लोग तिब्बती संस्कृति के आकर्षण की वजह से पढ़ने के लिये विशेष तौर पर तिब्बत भी आते हैं। हाल ही में हमारे संवाददाताओं ने तिब्बत विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले दो विदेशी छात्रों के साथ साक्षात्कार किया और तिब्बत और तिब्बती संस्कृति के बारे में उन के दृष्टिकोण समझ लिये हैं।
"पहले जब मैं पहली बार तिब्बत के दौरे पर आयी, तो मुझे तिब्बती जाति और तिब्बत को देखकर बड़ा अच्छा लगा, साथ ही मन में यह विचार आया है कि यदि तिब्बती जाति के साथ सम्पर्क किया जाता है, तो तिब्बती संस्कृति सीखने के लिये खुद तिब्बत आना जरूरी है।"
सिंगापुर की 33 वर्षीय छात्रा ऊ म्यी फूंग ने मुस्कराते हुए तिब्बत में तिब्बती संस्कृति सीखने का अपना विकल्प बता दिया। सितम्बर 2010 में वे तिब्बती भाषा पढ़ने के लिये सिंगापुर से तिब्बत विश्वविद्यालय में भरती हुईं। एक वर्ष से अधिक समय में पठारीय क्षेत्र में रहने की वजह से उन के दोनों गालों पर लाल नजर आते हैं।
तिब्बत आने से पहले ऊ म्यी फूंग सिंगापुर के एक व्यावसायिक कालेज में एकाऊंटिंग कोर्स पढ़ाती थीं। 2004 में तिब्बत की यात्रा से उन का जीवन बदल गया। हालांकि तत्काल में वे तिब्बत में सिर्फ एक हफ्ता ठहरी, पर तिब्बती जातीय लोगों के उत्साह और दोस्ती ने उन पर अत्यंत गहरी छाप छोड़ रखी है। उन्होंने मुस्कराते हुए कहा कि मनोहर प्राकृतिक दृश्य के बजाये भावुक लोगों ने मुझे अपना काम छोड़कर तिब्बत में आकर्षित कर दिया है।
"तिब्बती लोग बहुत भावुक, सीधे सादे और सौहार्दपूर्ण हैं। क्योंकि मैं लोगों के बीच रिश्ते को काफी महत्व देती हूं, इसलिये आप जहां जाते हैं, वहां पर किसी चान पहचान के बिना कोई मजा नहीं आता। मात्र पहाड़ या झील देखने से बेमतलब है, यात्रा नीरस है।"