वर्ष 1933 में अमरीकी लेखक जम्स हिल्टन ने लुप्त क्षितिज शीर्षक अपने उपन्यास में श्यांगरिला का इसी तरह विवरण किया है कि यह एक चिरस्थायी शांतिमय स्थल ही है। फिर अनेक साल बाद लोगों को पता चला है कि चीन के युन्नान प्रांत के उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित दीछिंग तिब्बती जातीय स्वशासन प्रिफेक्चर लुप्त क्षितिज शीर्षक जम्स हिल्टन के उपन्यास में वर्णित स्थल के बराबर है। बाद में लोगों ने इसी पठार पर स्थित महत्वपूर्ण कस्बे चुंग त्येन का नाम श्यांगरिला बदल दिया है।
श्यांगरिला में एक पुराना चांदनी शहर बहुत चर्चित है। यह शहर पर्वत पर निर्मित हुआ है, इसलिये शहर में सड़कें ऊबड़ खाबड़ हैं, पत्थरों से निर्मित मार्ग पर अभी तक नालों की गहरी छापें देखी जा सकती हैं , जबकि पत्थर मार्ग के बीचोंबीच घोड़ों के लिये बिछाये गये लम्बे पत्थर इतिहास का सब से अच्छा साक्षी ही हैं । इस एक हजार तीन सौ वर्ष से अधिक पुराने शहर में तिब्बती वास्तु शैली से निर्मित बड़े आकार वाले आवासीय मकान बड़े ढंग से सुरक्षित हुए हैं। यह स्थल दीछिंग तिब्बती जातीय स्वशासन प्रिफेक्चर के सब से महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल की हैसियत से बड़ी तादाद में देशी विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है।
इस प्राचीन शहर की सड़कों पर अकसर विदेशी लोग देखने को मिलते हैं, उन में से कुछ लोग पर्यटन मंडल के साथ अभी अभी आये हैं, कुछ लोग तो कई सालों से यहां रहते आये हैं, यहां पर दस से ज्यादा विदेशियों द्वारा खोले गये बार और होटल भी हैं। कनाडा से आये नेल किर्कलांड दंपति अपने दोस्तों के साथ इस शहर की सफांग सड़क पर परदेश नामक काफी बार चलाते हैं। नेल किर्कलांड 2002 में अंग्रेजी भाषा पढ़ाने के लिये चीन के ऊ हान शहर गये, फिर काम के लिये शीआन शहर रहे, अंत में वे श्यांगरिला आकर बस गये।