तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का लोका प्रफैक्चर तिब्बती संस्कृति का उद्गम स्थल है, यहां पर सांस्कृतिक वातावरण बहुत सुदृढ़ है। विविधतापूर्ण सांस्कृतिक धरोहरों में प्राचीन कब्रिस्तान, प्राचीन इमारतें और प्राचीन ऐतिहासिक ग्रंथ आदि शामिल हैं। इसी प्रिफैक्चर में 12 राष्ट्र स्तरीय सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण इकाइयां भी हैं। हाल के वर्षों में लोका प्रफैक्चर सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण कार्य को जोर देता रहा है और इस कार्य में उसे कारगर उपलब्धियां भी हासिल हुईं। हाल ही में हमारे संवाददाता ने इसी क्षेत्र में स्थित कई प्राचीन भवनों और मठों का दौरा किया और वहां के सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण की जानकारी ली।
लोका प्रिफैक्चर की नाईतोंग कांउटी स्थित युंगपुलाखांग महल तिब्बत के इतिहास में सबसे प्राचीन इमारत मानी जाती है, जिसका तिब्बती इतिहास और संस्कृति के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। युंगपुलाखांग महल नाईतोंग कांउटी के चह तांग कस्बे से दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित चाशित्सेर पर्वत पर स्थित है। तिब्बती भाषा में युंगपु का मतलब हिरनी है और ला का मतलब पिछली टांग है, जबकि खांग का अर्थ है राजमहल। क्योंकि चाशित्सेर पर्वत का आकार एक सो रही हिरणी जैसा जान पड़ता है, इसलिये युंगपुलाखांग महल हिरणी की पिछली टांगों पर स्थापित राजमहल के नाम से विख्यात हो गया। युंगपुलाखांग महल तिब्बत में स्थापित सबसे पुराना राजमहल है, करीब ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में तिब्बत के प्रथम राजा न्येचिचानपू के शासन काल में यह निर्मित हुआ था। पहले थांग-राज्य की राजकुमारी वन-छंग इस राजमहल में रहती थी, इसके बाद ल्हासा में पोटाला महल बनवाया गया ,जिसके बाद राजकुमारी वन छंग पोटाला महल में रहने लगीं किंतु युंगपुलाखांग महल उनके ग्रीष्मकालीन भवन के रूप में बना रहा।