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खुशहाल हो गया है तिब्बती लोगों का जीवन
2012-07-24 16:20:20

 

तिब्बती भाषा में लोपा का मतलब"दक्षिण वासी"है। नानई लोपा जातीय जिला समुद्र तल से 2500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जो तिब्बत की राजधानी ल्हासा की औसत ऊंचाई से 1000 मीटर कम है। इस तरह यहां की प्राकृतिक स्थिति तिब्बत के अन्य स्थलों से कहीं बेहतर है। नानई जिले में घने आदिम जंगल, स्वच्छ नदी और सुंदर पहाड़ हैं। इस जिले के छोंगलिन गांव में कुल 38 परिवार रहते हैं, जिनमें एक तिब्बती परिवार और एक मनपा जातीय परिवार के अलावा अन्य सभी लोपा जाति के हैं। गांव में बांस के दरवाजे और लकड़ी की इमारतें अलग नज़र आती हैं। वातावरण एकदम शांत रहता है।

वास्तव में छोंगलिन गांव चीन और भारत के विवादास्पद मैकमोहन रेखा से सिर्फ़ दस किलोमीटर दूर स्थित है। पहले कई गांववासी छिपकर भारत जाकर अवैध आप्रवास करते थे। लेकिन बाद में वे लोग फिर वापस लौटे। इसकी चर्चा में छोंगलिन गांव स्थित लिनची प्रिफैक्चर के कार्यदल के प्रधान ल्वु या चे ने कहा:"देखिए, हमारे यहां एक पहाड़ है। पहले कुछ लोग पहाड़ को पार कर भारत गए। लेकिन भारत में कुछ समय जीवन बिताने के बाद उन्हें अपनी मातृभूमि ज्यादा अच्छी लगने लगी, और वे वापस लौट आए। हमारे यहां आम लोगों के लिए अच्छी नीतियां लागू की जा रही है, मसलन् स्कूल जाने और रोज़गार संबंधी नीति बहुत अच्छी है। पिछले वर्ष पूरे तिब्बत में लोगों को छह हज़ार नए रोज़गार के मौके मिले थे।"

28 वर्षीय लिन बू नानई लोपा जातीय जिले के उप प्रधान हैं। उनका जन्म तिब्बत में हुआ था और भीतरी इलाके के विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद वे अपना जन्मस्थान वापस लौटे। उन्होंने कहा कि इधर के वर्षों में नानई क्षेत्र में पर्यटन व्यवसाय हर साल बेहतर हो रहा है। अधिक से अधिक स्थानीय किसान पर्यटन से जुड़े कार्यों में जुट रहे हैं, जिससे उनकी आय बढ़ी है और जीवन भी अच्छा हो रहा है। लिन बू ने कहा:"हमारे यहां के लोग पर्यटन सेवा करने और कोर्दिसेप्स खोदने से कमाई करते हैं। (कोर्दिसेप्स तिब्बत में एक साल में एक बार होने वाली एक विशेष प्रकार की जड़ी-बूटी है, जो गर्मियों में घास के रूप में और सर्दियों में कीड़े के रूप में दिखती है।) आजकल जीवन अच्छा है, हर परिवार की औसत वार्षिक आय 30 से 40 हज़ार युआन है, यहां तक कि कई परिवारों की आय 70 से 80 हज़ार युआन तक पहुंच जाती है।"

छोंगलिन गांव में 51 वर्षीय छ्युआ नोर्बू के परिवार में कुल 6 सदस्य हैं। वे एक पारिवारिक होटल खोलकर पर्यटकों का स्वागत करते हैं। पर्यटन सीज़न में हर दिन पांच सौ से एक हज़ार यात्री वहां पहुंचते हैं। अक्तूबर जैसे ऑफ सीज़न में हर दिन 50 यात्री आते हैं। छ्युआ नोर्बू ने कहा कि इससे होने वाली आय से हमारे बच्चे स्कूल में दाखिल लेकर शिक्षा हासिल करते हैं। उन्होंने कहा:"मैं कभी स्कूल नहीं गया। कुछ न सीखने के कारण मैं अपना नाम भी नहीं लिख सकता। लेकिन हमारे बच्चे सबसे अच्छे दौर में जी रहे हैं और आज वे विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं।"

छ्युआ नोर्बू के सबसे छोटा बेटा भीतरी इलाके के ल्याओ निंग प्रांत के ताल्यान शहर की यूनिवर्सिटी में पर्यटन संबंधी कोर्स पढ़ता है। छ्युआ नोर्बू के अनुसार स्नातक होने के बाद वह जन्मस्थान के विकास के लिए वापस लौटेगा।

छोंगलिंग गांव के लोपा जातीय गांववासी शिक्षा को महत्व देते हैं, यह देश की नीतिगत समर्थन से अलग नहीं हो सकता। वर्ष 2009 में लोपा जाति के बच्चों की स्कूल में दाखिला दर शत प्रतिशत पहुंच गई। तिब्बत के लिनची प्रिफैक्चर की मीलिन कांउटी के नानई लोपा जातीय जिले के प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले 130 लोपा जातीय विद्यार्थी मुफ्त भोजन, निशुल्क पढ़ाई फीस और मुफ्त आवास वाली नीतियों का लाभ उठा रहे हैं। जिसके लिए केंद्र सरकार राशि देती है।

शिक्षा के अलावा, लोपा जातीय गांव के रिहायशी मकानों की स्थिति भी काफ़ी सुधर गई है। हाल के वर्षो में देश के पूर्ण भत्ते वाली आवासीय परियोजना के तहत छोंगलिन गांव समेत नानई जिले के सभी लोग 300 वर्गमीटर क्षेत्रफल वाले नए मकानों में रहने लगे हैं। नए मकान के निर्माण के दौरान छ्युआ नोर्बू की बेटी की शादी एक चीनी हान जातीय युवक से हुई। इसकी चर्चा में छोंगलिन गांव स्थित लिनची प्रिफैक्चर के प्रधान ल्वु या चे ने कहा:"उन्होंने नए मकान के निर्माण के दौरान बाहर से लोगों को बुलाया था। उनका दामाद इसी मे काम करता था। मकान बनने के दौरान उस युवक और उनकी बेटी एक-दूसरे को प्यार करने लगे, बाद में उन्होंने शादी की और लड़का इसी गांव में रह रहा है।"

आज छोंगलिन वासियों को हरित पर्यटन से लाभ मिला है। वे स्थानीय सरकार की मदद से अपने जन्मस्थान को तिब्बत का"च्यु चाइगो"बनाकर समृद्धि के रास्ते पर चलते रहेंगे। ध्यान रहे, च्यु चाईगो दक्षिण पश्चिमी चीन के स्छ्वान प्रांत में स्थित है, जहां के प्राकृतिक दृश्य बहुत सुन्दर हैं और देश विदेश में बहुत विख्यात है।


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