इधर के वर्षों में चीन की केंद्र सरकार के समर्थन, भीतरी इलाके के विभिन्न स्थलों की सहायता और तिब्बती जनता की कोशिशों से तिब्बत का जोरदार विकास हो रहा है। तिब्बतियों के जीवन में भारी परिवर्तन आया है।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की कोंगबू च्यांगदा कांउटी में पन बिजली घर के निर्माण के लिए कई गांवों की ज़मीन का इस्तेमाल किया गया है, जिससे गांववासियों के जीवन में व्यापक परिवर्तन आया है।
"पन बिजली घर के निर्माण के लिए भूमि की जरूरत थी, हमारे गांव वासी सरकार की परियोजना का समर्थन करते हैं, क्योंकि इससे हमें लाभ मिलता है। हर परिवार को सरकार की ओर से ज़मीन के इस्तेमाल पर मुआवजा मिलता है। वे इस पैसे से परिवहन का काम करने लगे हैं।"
यह कोंगबू च्यांगदा कांउटी के एक गांव के मुखिया का कहना है। सरकार द्वारा ज़मीन का इस्तेमाल किए जाने से दादी गेसांग के परिवार को काफी लाभ मिला है। परिवार में छह सदस्य हैं, पोता और पोती स्कूल में पढ़ते हैं। बेटे की शादी हो गई और वह स्थाई तौर पर परिवहन का काम करता है। अब दादी मा गेसांग की अपने पति और बहू के साथ ग्रामीण होटल खोलने की योजना बना रहे हैं। दादी मां ने कहा:"सरकार ने हमें करीब दस लाख युआन का मुआवजा दिया। हमने इस राशि से एक ट्रक खरीदा। मेरा बेटा पन बिजली घर के निर्माण के लिए पत्थर ढोने का काम करने लगा। आजकल काम बहुत ज्यादा है और वह हर महीने पचास हज़ार युआन कमा सकता है।"
दादी मां गेसांग ने कहा कि अब परिवार के सदस्य 200 वर्ग मीटर के दो मंजिले मकान में रहते हैं, जिसके निर्माण में कुल आठ लाख युआन खर्च हुए हैं। घर के आंगन में नया ट्रक खड़ा है। आड़ू पक गए हैं। दादी मां ने पेड़ से आड़ू तोड़े और हमारे संवाददाता को देते हुए कहा:"हमारे मकान का क्षेत्रफल करीब 200 वर्गमीटर है। यह परिवार के सभी सदस्यों के लिए पर्याप्त है। इस तरह हम दूसरी मंजिल को पारिवारिक होटल बनाना चाहते हैं। इसके साथ ही यहां तिब्बती पकवान भी तैयार किए जाते हैं।"
दादी मां गेसांग जैसे कई ग्रामीणों का जीवन पन बिजली घर के निर्माण से प्राप्त मुआवजे से बदल गया है। उधर तिब्बत की राजधानी ल्हासा के 69 वर्षीय तिब्बती फूबू त्सरिंग दुकान खोलकर अपना जीवन चला रहे हैं। चलिए उनके पास चलकर ही जानते हैं
ल्हासा में पेइचिंग रोड के पूर्व में शराब और तम्बाकू आदि की एक रिटेल शॉप है, जिसे फूबू त्सेरिंग चलाते हैं। उन्होंने हमारे संवाददाता से कहा कि वे भूदास के बटे हैं। आज के आरामदायक जीवन का श्रेय चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा लागू की जा रही सुधार व खुलेपन की नीति और खु़द की मेहनत को जाता है।
फूबू त्सेरिंग का जन्म वर्ष 1942 में शिकाज़े के च्यांगची कांउटी में हुआ। माता पिता दोनों पुराने तिब्बत के कुलीन परिवार के भूदास थे। उसे याद है कि बचपन में उनके परिवार में भर पेट खाने को नहीं होता था। तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधार के बाद उनके परिवार को मकान व खेती योग्य भूमि मिली, तब से उनकी लाइफ एकदम बदल गई।
वर्ष 1996 से फूबू त्सेरिंग ने शराब व तम्बाकू की फुटकर बिक्री का काम शुरू किया। वह ईमानदार व विश्वसनीय व्यक्ति हैं, इस तरह उनकी दुकान पर कई पुराने ग्राहक आते हैं और बिजनेस दिन ब दिन अच्छा हो रहा है। वर्ष 2008 में फूबू को ल्हासा शहर का पहला"रंगीन स्टार"नाम से सम्मानित करने के साथ-साथ राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की ल्हासा समिति का सदस्य भी चुना गया।
आज वे साल में लगभग दो लाख युआन से अधिक मुनाफा कमा लेते हैं। अब वे गरीबों को मदद देकर गरीबी उन्मूलन को अपनी ड्यूटी मानते हैं। वर्ष 1996 से आज तक उन्होंने गरीब परिवारों, गरीब छात्रों व आपदा प्रभावित क्षेत्रों, अनाथ बच्चों को 3 लाख 70 हज़ार युआन दिए हैं। वे कहते हैं कि देश की जनवादी नीतियों के बिना, वे खुशहाल जीवन नहीं बिता सकते थे। वे चाहते हैं कि आगे भी मुश्किल में घिरे लोगों को मदद देना चाहते हैं।
आजकल तिब्बत में उनकी तरह अच्छा जीवन बिता रहे लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। तिब्बती जाति के अलावा, तिब्बत में मनपा और लोपा आदि अल्पसंख्यक जातियां भी रहती हैं। लोपा जाति के लोगों की आबादी चीन में सबसे कम संख्या वाली जातियों में से एक है। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में लोपा जाति की संख्या मात्र तीन हज़ार से अधिक है। 1950 के दशक में लोपा जाति आदिम जीवन बिता रहे थे। सभी युवा शिकार करते थे। लेकिन आजकल इनका जीवन कैसा है?इनमें कोई बदलाव आया है?चलिए हम तिब्बत की मिनलिन कांउटी स्थित नानई लोपा जिले के छोंगलिन गांव का दौरा कर देखते हैं कि आखिर कैसा है लोपा जाति का जीवन।