प्राचीन चाय घोड़ा मार्ग बड़ा ऊबड़ खाबड़ है, खासकर थ्येन छ्वान से खांगतिंग तक पहुंचने वाला रास्ता और भी अधिक खराब है, हर कदम आगे बढ़ना भी बेहद कठिन है, सामान लिये कदम रखने में और बड़ी दिक्कत है। अतः लोग चाय घोड़ा मार्ग के इसी सेक्शन पर सामान पीठ पर रखकर ले जाया करते हैं। पीठ पर रखकर सामान लेने वाले व्यक्ति को पेइ फू यानी कुली कहलाया जाता है।
वर्षों से छोड़े गये बेशुमार निशान हजार वर्ष पुराने मार्ग में हुए बड़े बदलाव का साक्षी हैं। इस प्राचीन मार्ग के किनारे पर स्थित थ्येन छ्वान के कानशीपो में रहने वाले किसान चाय लादने वाले कुली बन गये। विविधतापूर्ण जोखिमों भरे पहाड़ी मार्ग पर उन की परछाइयां दिखायी देती हैं और स्थानीय कुली लोकगीतों की आवाजें भी यहां के पहाड़ों व जंगलों में भी सुनायी पड़ती हैं।
एक चाय बैग का वजन लगभग 8 किलोग्राम भारी है, एक कुली आम तौर पर एक बार दस या बारह ऐसे बैग लाद देता है, इस के अलावा फूसे जूते और खुराक लाना भी जरूरी है। हर रोज ज्यादा से ज्यादा तीन या चार किलोमीटर का रास्ता तय कर पाता है , साथ ही हर 50 मीटर में एक बार विश्राम करने की जरुरत भी है, इस तरह पूरी यात्रा करने में कम से कम एक माह लग जाता है।