इधर सात सालों में मिग्मा त्सेरिंग को लगातार स्थानीय सरकार की ओर से ख्याल व समर्थन मिलता रहा है। जब इस विशाल थांगका की कढाई में मिग्मा त्सेरिंग को हाथ तंग लगा, तो वे स्थानीय बैंक से कर्ज का उधार ले सकते हैं , जबकि कर्ज का ब्याज कांऊटी सरकार चुका देती है , मिग्मा त्सेरिंग केवल अवधि के अनुसार कर्ज चुका देते हैं । इस के अलावा कांऊटी सरकार ने उन्हें अन्य बहुत सी सहायता भी दे दी है। इस की चर्चा में रिगज़ि़न ड्रोल्मा ने कहा:
"काँऊटी सरकार ने उन्हें नकद का समर्थन दिया ही नहीं, बल्कि उन के कई शिष्यों को खाने पीने और रहने में भौतिक सहायता भी प्रदान दी है। इतना ही नहीं , हम ने पर्यटन कार्य के लिये प्राप्त 8 लाख 40 हजार य्वान की सांस्कृतिक औद्योगिक विकास पूंजी विशेष तौर पर थांगका के विकास में भी लगायी है। ताकि वे विशेष तौर थांगका की कढाई में अपनी शक्ति जुटा सके और ज्यादा शिष्य प्रशिक्षित कर सके। जिस से हमारी कांऊटी के पर्यटन कार्य को गति मिलेगी।"
इस के अलावा 2006 से मेड्रोगुंगका कांऊटी ने ड्रिगुंग कढाई थांगका की प्रमुख विशेषताओं, वंशावलियों और विकास की मौजूदा स्थिति का गहरा अनुसंधान करने और संबंधित सामग्री का संग्रह व संपादन करने पर जोर दिया और इस परम्परागत धरोहर को राष्ट्र स्तरीय गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासत में शामिल करने का आवेदन पेश किया । 2008 में ड्रिगुंग कढाई थांगका दूसरी खेप की राष्ट्रीय गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासत की नामसूची में शामिल हो गया। 2010 में शांगहाई विश्व मेले के दौरान मिग्मा त्सेरिंग का एक कढाई थांगका तिब्बती भवन में प्रदर्शित हुआ। इस से मिग्मा त्सेरिंग को बड़ी प्रेरणा मिली और काफी बड़ी तादाद में प्रशंसक भी प्रकाश में आये।
हमने मिग्मा त्सेरिंग के स्ट्रडियो में एक वयस्क उस्ताद लापा साम्ड्रोप से मुलाकात की , उन की उम्र इस साल 45 साल की है । पहले वे एक सिलाई दुकानदार थे , मुख्य तौर पर तिब्बती जातीय पोषाक सीलाकर बेचते थे । पर दो वर्ष से पहले जब उन्होंने सुना कि मिग्मा त्सेरिंग को इस बेमिसाल विशाल थांगका बनाने के लिये कुशल दस्तकारों की सख्त जरूरत है , तो वे तुरंत ही अपनी दुकान छोड़कर इस दूरस्थ स्ट्रडियो में आ गये। लापा साम्ड्रोप का कहना है:
"उन्होंने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि यहां पर जो पैसे कमाये जाते हैं, वह दुकान चलाने से काफी कम है। लेकिन मालिक मिग्मा त्सेरिंग बहुत अच्छे हैं, शरीफ आदमी हैं, साथ ही यह जातीय संस्कृति के विकास में ग्रहण करने का बेहद महत्वपूर्ण काम ही है, इसलिये मैं बड़ी खुशी से इस नेक काम के लिये आ गया हूं। लापा साम्ड्रोप ने हमें बताया कि वे खुद मिग्मा त्सेरिंग का प्रशंसक है, विशेषकर वे मिग्मा त्सेरिंग की अदम्य और निडर भावना से बहुत प्रभावित हुए हैं।"
तिब्बत के दौरे पर आने वाले पर्यटकों के लिये थांगका कलात्मक कृतियां तिब्बती स्थानीय विशेषताओं वाले आभूषणों की तरह एक किस्म का यादगार मात्र है, पर यदि आप को हरेक थांगका के पीछे छिपी कहानी से तफसील से परिचित होंगे, तो आप अवश्य ही इसी यादगार को और ज्यादा बेशकीमती समझ जायेंगे और उस से जुड़ने वाली शानदार संस्कृति को पसंद कर देंगे।