नियॉन प्रकाश लैंप और अक्रिय गैस
रात में जब आप लोग शहरी रंगीन रोशनी में डूबे रहते हैं, तो क्या आपने सोचा है कि ये रंगीन रोशनी कहां से आती है?फ्लोरोसेंट लैंप, गरमागरम लैंप और पारालैंप से भिन्न नियॉन प्रकाश लैंप तो ग्लास पाइप में अक्रिय गैस डालने के बाद हाई वोल्टेज बिजली में रोशनी देता है।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार नियॉन प्रकाश लैंप ब्रिटिश रसायनशास्त्री रैमसे ने बनाया था। 1898 के जून माह की एक रात को रैमसे ने अपने सहयोगी के साथ एक दुर्लभ गैस के बिजली में ट्रांसफर करने या न करने के लिए परीक्षण किया। उन्होंने इस दुर्लभ गैस को एक वैक्यूम ग्लास पाइप में डाला गया और इस गैस में बिजली ट्रांसफर करने या न पाने का परीक्षण किया।
ऐसा करने पर अप्रत्याशित स्थिति पैदा हुई। वैक्यूम ग्लास पाइप में जाने वाली दुर्लभ गैस न केवल बिजली ट्रांसफर की, बल्कि अत्यन्त सुन्दर लाल रंग की रोशनी दिखाने लगी। इस मनोहर दिखने वाली लाल रोशनी को देखकर रैमसे और उनके सहयोगियों को बहुत खुशी हुई। इस आविष्कार के साथ ही उन्होंने नियॉन प्राकश की दुनिया को खोला।
1904 में रैमसे ने 6 अक्रिय गैसों का आविष्कार किया और तत्वों की आवर्त सारणी या पीरियॉडिक टेबल में उनके स्थान को निश्चित किया। इसी वजह से रैमसे को नोबेल पुरस्कार मिला। हालांकि यह केवल अक्रिय गैसों पर किया गया एक सरल इस्तेमाल है, जो दुनिया को इतना सुन्दर बना सकता है।