Thursday   Aug 21th   2025  
Web  hindi.cri.cn
संडे की मस्ती 2015-02-22
2015-02-26 18:11:35 cri

अखिल- दोस्तों, हमारे अमेठी, सैदापुर से हमारे एक श्रोता भाई अनिल कुमार द्विवेदी जी ने एक प्रेरक किस्सा भेजा है, आइए सुनते हैं।

एक बार एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने के लिए एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे तक कुछ सामान

बेचा करता था, एक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे बड़े जोर से भूख भी लग रही थी. उसने तय किया कि अब वह जिस भी दरवाजे पर जायेगा, उससे खाना मांग लेगा... पहला दरवाजा खटखटाते ही एक लड़की ने दरवाजा खोला, जिसे देखकर वह घबरा गया और बजाय खाने के उसने पानी का एक गिलास माँगा.... लड़की ने भांप लिया था कि वह भूखा है, इसलिए वह एक...... बड़ा गिलास दूध का ले आई. लड़के ने धीरे-धीरे दूध पी लिया... "कितने पैसे दूं?" लड़के ने पूछा. "पैसे किस बात के?" लड़की ने जवाव में कहा. "माँ ने मुझे सिखाया है कि जब भी किसी पर दया करो तो उसके पैसे नहीं लेने चाहिए." "तो फिर मैं आपको दिल से धन्यवाद देता हूँ." जैसे ही उस लड़के ने वह घर छोड़ा, उसे न केवल शारीरिक तौर पर शक्ति मिल चुकी थी, बल्कि उसका भगवान् और आदमी पर भरोसा और भी बढ़ गया था...

कई सालों बाद वह लड़की गंभीर रूप से बीमार पड़ गयी. एक लोकल डॉक्टर ने उसे शहर के बड़े अस्पताल में इलाज के लिए भेज दिया... विशेषज्ञ डॉक्टर होवार्ड केल्ली को मरीज देखने के लिए बुलाया गया. जैसे ही उसने लड़की के कस्बे का नाम सुना, उसकी आँखों में चमक आ गयी... वह एकदम सीट से उठा और उस लड़की के कमरे में गया. उसने उस लड़की को देखा, एकदम पहचान लिया और तय कर लिया कि वह उसकी जान बचाने के लिए जमीन-आसमान एक कर देगा... उसकी मेहनत और लगन रंग लायी और उस लड़की कि जान बच गयी. डॉक्टर ने अस्पताल के ऑफिस में जा कर उस लड़की के इलाज का बिल लिया... उस बिल के कोने में एक नोट लिखा और उसे उस लड़की के पास भिजवा दिया. लड़की बिल का लिफाफा देखकर घबरा गयी... उसे मालूम था कि वह बीमारी से तो वह बच गयी है लेकिन बिल कि रकम जरूर उसकी जान ले लेगी... फिर भी उसने धीरे से बिल खोला, रकम को देखा और फिर अचानक उसकी नज़र बिल के कोने में पैन से लिखे नोट पर गयी... जहाँ लिखा था, "एक गिलास दूध द्वारा इस बिल का भुगतान किया जा चुका है." नीचे उस नेक डॉक्टर होवार्ड केल्ली के सिग्नेचर थे. ख़ुशी और अचम्भे से उस लड़की के गालों पर आंसू टपक पड़े उसने ऊपर कि और दोनों हाथ उठा कर कहा, " हे भगवान..! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.. आपका प्यार इंसानों के दिलों और हाथों के द्वारा न जाने कहाँ- कहाँ फैल चुका है."।

अखिल- आपका बहुत-बहुत शुक्रिया अनिल कुमार द्विवेदी जी। आपका यह किस्सा पढ़कर हमें बेहद अच्छा लगा, और हमें यह सीख मिली की अगर हम दूसरों पर.. अच्छाई करेंगे तो.. हमारे साथ भी.. अच्छा ही होगा..!!। चलिए दोस्तों, आपको मैं कुछ सुंदर पंक्तियां सुनाता हूं।

लौट आता हूँ वापिस घर की तरफ... हर रोज़ थका-हारा,

आज तक समझ नहीं आया की जीने के लिए काम करता हूँ या काम करने के लिए जीता हूँ।

बचपन में सबसे अधिक बार पूछा गया सवाल -

"बङे हो कर क्या बनना है?"

जवाब अब मिला है, - "फिर से बच्चा बनना है.

"थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी

मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे...!!"

दोस्तों से बिछड़ कर यह हकीकत खुली...

बेशक, कमीने थे पर रौनक उन्ही से थी!!

भरी जेब ने ' दुनिया ' की पहचान करवाई और खाली जेब ने ' अपनो ' की.

जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया,

शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे,

अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती है। ...!!!

हंसने की इच्छा ना हो...

तो भी हसना पड़ता है...

कोई जब पूछे कैसे हो...??

तो मजे में हूँ कहना पड़ता है...

ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों....

यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है.

"माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती...

यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!!"

दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट,

ये ढूँढ रहे है की मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं,

पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा

कि जीवन में मंगल है या नहीं।

लिली- चलिए दोस्तों... अब बढ़ते हमारे हंसगुल्लों की तरफ यानि मजेदार और चटपटे चुटकुले, जहां मिलेंगी आपको हंसी की डबल डोज।

1 2 3 4 5
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040