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संडे की मस्ती 2014-11-30
2014-12-01 16:36:41 cri

इतिहास साक्षी है कि, उस दौर में पुरा युरोप आर्थिक महामंदी की तबाही से गुजर रहा था। चारो ओर तानाशाहों का आतंक था। ऐसे में चार्ली के पास हिटलर के नाजीवाद से लङने के लिये हास्य और व्यंग के हथियार थे। चार्ली ने लोगों को सिखाया कि हास्य को डर के खिलाफ हथियार कैसे बनाया जा सकता है। इस तानाशाही दौर में चार्ली के संवाद, दृश्य और पटकथा, मानवीय हितों की रक्षा की ढाल बनकर सामने आये।

चार्ली ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वह गाँधी जी की राजनीतिक स्पष्टवादिता और मजबूत मनोबल का सदा कायल रहा। एक बार चर्चिल से मुलाकात के दौरान चार्ली ने गाँधी जी से मिलने की इच्छा जाहिर की थी। संजोगवश उस समय गाँधी जी गोलमेज सम्मेलन हेतु लंदन में ही थे। लंदन में गाँधी जी से चार्ली की मुलाकात बहुत रोमांचक रही। गाँधी जी झोपङ-पट्टी इलाके में डेरा डाले हुए थे, चार्ली उनसे मिलने वहीं पहुँचे। मुलाकात के दौरान भारत में आजादी के लिये हो रहे आंदोलनो पर चार्ली ने गाँधी जी से अपने नैतिक सर्मथन को स्पष्ट किया।

चार्ली को जीवन में अनेक पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था। चार्ली की प्रसिद्धी का आलम ये है कि, वर्ष 1995 में ऑस्कर अवार्ड के दौरान द गार्जियन अखबार ने एक सर्वेक्षण करके ये जानना चाहा कि फिल्म समिक्षकों और दर्शकों का सबसे पसंदीदा हीरो कौन है, तो सर्वे रिपोर्ट देखकर हैरानी हुई कि, चार्ली की मृत्यु के दो दशक बाद भी चार्ली अधिकतर लोगों के फेवरेट हीरो थे। ये कहना अतिश्योक्ति न होगी कि चार्ली आज भी लगभग सभी के दिलों में बसते हैं, उनके अभिनय से आज की पीढी भी आंनदित होती है। आज भी कई कलाकार उनके अभिनय की नकल करते हैं।

चार्ली चैप्लिन का जीवन एक ऐसी कहानी है जो दर्द के साये में भी हास्य का सबक सिखाती है। 1977 में जब दुनिया 25 दिसम्बर को क्रिसमस का त्योहार हर्ष उल्लास के साथ मना रही थी, उसी दिन हास्य का महानायक चार्ली चैप्लिन ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। आज भले ही चार्ली इस दुनिया में न हो परंतु उनका अभिनय आज भी कई उदास चेहरे पर मुस्कराहट ला देता है। उन्होने अपने जीवन के आधार पर बहुत ही सार्थक और सटिक संदेश दुनिया को दिया। उनका कहना था कि,

"My pain may be the reason for somebody's laugh. But my laugh must never be the reason for somebody's pain. " यानि की

"मेरा दर्द किसी के लिए हंसने की वजह हो सकता है। पर मेरी हंसी कभी भी किसी के दर्द की वजह नहीं होनी चाहिए। "

फिल्मी हास्य और प्रहसन की दुनिया के इस सिरमौर ने हास्य का ऐसा स्वरूप रचा, जिसमें विनोद के साथ-साथ संवेदनशीलता, विचार, व्यंग्य और क्रूर व्यवस्था पर प्रहार भी था। चार्ली चैप्लीन हास्य की दुनिया के इकलौते ध्रुवतारा हैं जिसका कोई विकल्प नही है।

लिली- दोस्तों, यह थी महान हास्य कलाकार चार्ली चैप्लिन पर हमारी खास पेशकश। अब हम आपको सुनवाने जा रहे एक ओडियो, जो हमें सीख देता है कि चमत्कार होते नहीं है, बल्कि करने पड़ते है।

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