दोस्तों, क्या आप अकेले हैं, जबकि आपके सारे साथियों के प्रेम संबंध है? इसका कारण आपका जीन हो सकता है। चीन के वैज्ञानिकों ने ऐसा जीन खोज निकाला है, जो लोगों को गहरे रिश्तों में बंधने ही नहीं देता है। इसे एकाकी जीन का नाम दिया गया है।
पेकिंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए छात्रों के बाल के नमूने लिए और फिर उनके डीएनए की जांच की। पाया गया कि कुछ छात्रों के पास प्रेम संबंधों के लिए वक्त और मौके थे, लेकिन वे हमेशा इनसे दूर रहने की कोशिश करते थे। इन सभी छात्रों में एक ख़ास जीन का अलग संस्करण पाया गया। वहीं जिन छात्रों के डीएनए में इस जीन का अलग संस्करण था, उनके गहरे प्रेम संबंध थे। जर्नल साइंटिफिक में यह शोध प्रकाशित हुआ है। रिश्तों के विशेषज्ञों का कहना है कि जीन को जिंदगी पर राज करने से रोकना होगा। जीन व्यवहार को नियंत्रित करते हैं, लेकिन हमारे पास विकल्प हमेशा होते हैं।
अखिल- दोस्तों, अब आपको पता लग गया होगा कि प्यार न कर पाने के पीछे किसका हाथ है।
लिली- जीन का...
अखिल- जी हां..। लिली जी, क्या आप जानती हैं कि बीयर पीने के मामले में कहां के लोग सबसे आगे हैं...?
लिली- बीयर पीने के मामले में कहां के लोग सबसे आगे हैं... हम्म्म्म.. मुझे नहीं मालूम...।
अखिल- ठीक हैं.... मैं इसका जवाब बताउंगा इस गाने के बाद... दोस्तों, अभी आप सुनिए यह गाना, उसके बाद जारी रहेगी हमारी मस्ती की पाठशाला।
अखिल- स्वागत है आपका एक बार फिर हमारे इस कार्यक्रम संडे की मस्ती में। मैं हूं आपका दोस्त अखिल पाराशर (Music)
दोस्तों, बीयर के मामलों में चीन दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। बिगेस्ट बीयर गजलिंग नेशन के नाम से जारी सूची के मुताबिक बीयर पीने के मामले चीन के लोग सबसे आगे हैं।
चीन में सालाना 54 अरब लीटर बीयर की खपत होती है। हालांकि इसके लिए चीन की बड़ी आबादी भी जिम्मेदार है। चेक गणराज्य और जर्मनी क्रमशः चीन के बाद इस सूची में आते हैं। चेक गणराज्य में लोग मशहूर ब्रांड को पीन ज्यादा पसंद करते हैं।
अखिल- दोस्तों, आज हम आपको मिलवाने जा रहे हैं एक महान हास्य कलाकार से। बताएंगे उनके महान बनने के पीछे के संघर्ष और परेशानियों को।
दोस्तों, जर्मनी में जब हिटलर की तानाशाही से सभी खौफजदा थे तब उस दौर में एक कलाकार लोगों में व्याप्त डर को मिटाकर उनमें सुंदर कल्पना को साकार करने निकल पङा था। राह आसान नही थी पर हौंसला बुलंद था। गरीबी और बदहाली की भट्टी में पक कर वो कुंदन बना चुका था। जिसकी चमक ने करोङों लोगों के चेहरों पर मुस्कान बिखेर दी। ऐसे हास्य महानायक का जन्म आज से 125 वर्ष पूर्व हुआ था और आज भी उनकी फिल्में पूरे विश्व को हँसा रही हैं। वो कोई और नहीं बल्कि हम सबका प्रिय हास्य कलाकार चार्ली चैप्लिन है।
इस साल पूरी दुनिया चार्ली चैप्लिन की 125वीं जयंती मना रही है। चार्ली ने लोगों को सिखाया कि मखौल को खौफ के खिलाफ बतौर हथियार कैसे इस्तेमाल किया जाता है। चार्ली ने लोगों के दिमाग में घर कर गए डर को मिटाकर उनमें बेहतर भविष्य की उम्मीदें भरी।
ऐसे हास्य महानायक का जन्म 16 अप्रैल 1889 को लंदन में हुआ था। माँ हैना चैप्लिन और पिता चार्ल्स स्पेंसर चैप्लिन, सीनियर म्युजिक हॉल में गाते और अभिनय करते थे। शुरुवात के तीन वर्षों को छोङकर चार्ली का बचपन बहुत ही मुश्किलों से गुजरा था। एक बार जब माँ गाना गा रही थी तभी उसकी आवाज बंद हो गई वो स्टेज पर गाना न गा सकी। बाहर बैठे दर्शक जोर-जोर से चिल्लाने लगे, ऐसे में मैनेजर ने लगभग पाँच साल के चार्ली को स्टेज पर खड़ा कर दिया। इस प्रकार पहली बार चार्ली दर्शकों से मुखातिब हुआ। उसने अपनी भोली आवाज में माँ के गाने की नकल की जिसे दर्शकों ने खूब सराहा और स्टेज पर सिक्कों की बारिश होने लगी। यही चार्ली की पहली कमाई थी। शायद तभी चार्ली के बाल मन ने हास्य के उस सिद्धान्त को गढ लिया था कि असल में जो बातें दुःख का कारण होती हैं वो नाट्य या फिल्म में हास्य का कारण बनती हैं। यही वजह है कि आगे चलकर चार्ली की फिल्मों में दुःख, बदहाली, अकेलापन तथा बेरोजगारी का चित्रण किया गया है।
माता-पिता के अलग हो जाने से चार्ली का बचपन बहुत मुश्किलों में गुजरा। गरीबी और बदहाली की वजह से चार्ली को अपनी माँ और भाई के साथ यतीमखाने में भी रहना पङा था। माँ के पागल हो जाने की वजह से उसे और उसके भाई को कोर्ट के आदेशानुसार पिता चार्ल्स स्पेंसर चैप्लिन के साथ रहना पङा, जहाँ उसे सौतेली माँ की प्रताङना भी सहनी पङी। जब पागलखाने से माँ ठीक होकर वापस आई तो जीवन में माँ के लौटने से खुशियाँ वापस आने लगी थी। स्कूल जाना भी नियमित हुआ किन्तु चार्ली का मन पढ़ाई में नही लगता था। चार्ली की अदाकारी को सही आकार जैक्सन से मिलने के बाद मिला। जैक्सन भले आदमी होने के साथ-साथ रंगमंचीय कला के पारखी थे। एक बार उन्होने चार्ली को द ओल्ड क्यूरोसिटी शॉप नाटक में बुढे का रोल करते देखा था, तभी पहचान लिया था कि चार्ली में अभूतपूर्व क्षमता है। रोजगार मिल जाने से चार्ली के जीवन की गाङी थोङी पटरी पर आ गई थी। परंतु अभी भी जीवन मझधार में हिलोरे ले रहा था। रोजमर्रा के जीवन संर्घषों से जूझने के लिये चार्ली तरह-तरह के कामों में किस्मत आजमाता रहा।
19 वर्ष की उम्र में चार्ली और उसके भाई की माली हालत अच्छी हो गई थी। चार्ली अपनी ज्यादातर फिल्मों में ट्रैप नामक किरदार का चित्रण करते थे, जो चार्ली का अपना ही अतीत था। दुबले, ठिगने और फटेहाल ट्रैंप की मुफलिसी और बेफिक्री ने फिल्मी दर्शकों को खूब हँसाया। आज भी चार्ली का जादू कायम है। ट्रैप के बहाने चार्ली ने पुराने मानकों को तोङते हुए एक ऐसे सौंदर्यबोध को गढने की कोशिश की जिसमें गरीबी और अभाव में भी खुशमिजाजी है। चार्ली ने अपने जीवन के संघर्षों से एक ऐसा नजरिया हासिल कर लिया था, जिससे वह अपनी फिल्मों में मेहनतकश आवाम की भावनाओं को बुलंदी के साथ जाहिर करता था। चार्ली की सफलता का राज अभिनय की एक अनोखी शैली को विकसित करना था।