लिली- बिल्कुल सही कहा अखिल जी आपने। दोस्तों, अगला पत्र आया है झारखंड से श्री एस.बी. शर्मा जी का। एस.बी. शर्मा लिखते हैं.... इस सप्ताह अखिल जी और मीनू जी ने सन्डे के मस्ती में कमाल की जानकारी से श्रोताओ को रूबरू करवाया। कार्यक्रम सुनकर हमारा दिल खुश हो गया। दुनिया भर में मनाये जाने वाले बाल दिवस पर दी गई जानकारी काफी बढ़िया लगी। भारत में चाचा नेहरू के जन्मदिन यानि चौदह नवम्बर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा आज के भाग दौड़ की जिंदगी में काम के प्रेशर की घटनाये बढ़ रही है पर यह अच्छी बात नहीं है। इससे साफ जाहिर होता है की अब मानवीय मूल्यों का महत्व पैसे से कम हो गया है। आज लोग केवल काम ही काम और पैसे के पीछे दौड़ रहे है। जिसका पेईचिंग में अपनी शादी का दिन और समय भूल जाने वाले एक चीनी की कहानी उदाहरण है।
अखिल- हम तक अपनी प्रतिक्रिया भेजने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एस.बी. शर्मा जी। अगला पत्र मिला है पश्चिम बंगाल से देवाशीष गोप जी का। देवाशीष गोप जी ने लिखा हैं.... 1 जून को संडे की मस्ती कार्यक्रम में बाल दिवस के बारे में जानकारी पाकर अच्छा लगा। इसके अलावा कार्यक्रम में दी गई रोचक जानकारियां, बातें और चुटकुलें बेहद उम्दा थे। साथ ही गाने भी लाजवाब लगे।
लिली- आपका बहुत-बहुत शुक्रिया देवाशीष गोप जी। दोस्तों, अभी हम सुनते हैं एक बढिया सा गाना... उसके बाद शुरू हो जाएंगी मजेदार और रोचक बातें।
अखिल- वैलकम बैक दोस्तों, आप सुन रहे हैं संडे की मस्ती अखिल और लिली के साथ।
दोस्तों, फिल्मों में कई बार आपने देखा होगा कि पुलिस के डर से भागता हुआ अपराधी चकमा देने के लिए लोगों की भीड़ में शामिल हो जाता है और पुलिस की गिरफ्त से बच निकलता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। एक सॉफ्टवेयर उसे ढूंढ़ निकालेगा। शोधकर्ताओं ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया है, जो भीड़ में भी हर व्यक्ति को अलग से पहचान सकता है।
आईडीट्रैकर नाम का यह सॉफ्टवेयर जानवरों का पीछा करने में सक्षम पाया गया है। अलग-अलग जानवरों की विशेष पहचान जैसे कि आकार, बनावट और पैरों के निशान के माध्यम से यह सॉफ्टवेयर उनकी पहचान करने में सफल साबित हुआ है। स्पेनिश नेशनल रिसर्च काउंसिल (SNRC) के अल्फोंसो पेरेज एस्क्यूडेरो ने कहा कि बहुत जल्द यह प्रयोग में लाया जाएगा। लंबे समय से चल रहे प्रयास के बाद हमारे द्वारा विकसित की गई यह विधि भीड़ में लोगों की पहचान करने के काम में आएगी।
(SNRC) के गोंजालो जी. डे पोलाविएजा ने कहा कि आगे जाकर यह विधि अलग-अलग इंसानों के स्वभाव को समझ पाने में भी मददगार साबित होगी। शोधकर्ता इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग मछलियों, चीटियों, चूहों सहित कई प्रकार के जानवरों पर कर चुके हैं और सकारात्मक संकेत मिले हैं। यह शोध विज्ञान-पत्रिका 'नेचर मेथड्स' में प्रकाशित हुई है।
लिली- अरे वाह...अखिल जी। यह तो आपने कमाल की जानकारी दी है। इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से क्राइम रेट में काफी कमी देखने को मिल सकती है।
अखिल- बिल्कुल सही कहा लिली जी तुमने। आशा करते हैं कि इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से क्राइम करने वालों पर लगाम कसी जा सके। खैर.. अभी मैं हमारे श्रोता दोस्तों को चीन के अद्भुत स्कूटर के बारे में बताता हूं।