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संडे की मस्ती 2014-06-08
2014-06-09 11:07:00 cri

हैलो.. दोस्तों नमस्कार...नीहाओ...। स्वागत है आपका इस चटपटे और laughter से भरे कार्यक्रम सण्डे की मस्ती में। मैं हूं आपका दोस्त और होस्ट अखिल पाराशर।

आज के इस कार्यक्रम में होंगे दुनिया के कुछ अजब-गजब किस्से और करेंगे बातें हैरतंगेज़ कारनामों की......इसी के साथ ही हम लेकर आये हैं हंसने गुदगुदाने की डबल डोज,जिसमें होंगे चटपटे चुटकुले, ढेर सारी मस्ती और खूब सारा फन और चलता रहेगा सिलसिला बॉलीवुड गानों का भी।

दोस्तों, आज कार्यक्रम को होस्ट करने में मेरा साथ दे रही है लिली जी...।

मीनू- हैलो दोस्तों,आप सभी को लिली का प्यार भरा नमस्कार.....।

अखिल- दोस्तों, अब शुरू करते हैं आपके पत्रों को पढ़ने का सिलसिला। हमें पहला पत्र मिला है सउदी अरब से भाई सादिक आजमी जी का। सादिक जी लिखते हैं...... आज दिनांक 1 जून यानी बाल दिवस और ऊपर से हमारे सबसे प्यारे कार्यक्रम का दिन यानी सण्डे की मस्ती का दिन, जिसे हर बार कि तरह अपने अतुलनीय अंदाज़ मे पेश किया हमारे चहेते अखिल जी ने और उनका बराबर साथ दिया मीनू जी ने। सबसे पहले मेरी ओर से संसार के समस्त बच्चों को ढेर सारी शुभकामनाएं। 1925 से हम इस दिवस को मना रहे हैं पर सच्चाई यह है कि आज भी हम उस उद्देश्य के प्रति गम्भीर नही हैं जिसको वर्ल्ड़ कॉन्फ्रेन्स ने शुरू किया था। बच्चों के कल्याण की खातिर पण्डित नेहरू जी के बच्चों के प्रति लगाव को देख हमने उनके जन्म दिन को बालदिवस के रूप मे चुना पर नेहरू जी के उपदेशों को ताक पर रख दिया। 14 नवम्बर को स्कूलों मे छुट्टी की जाती है, नुक्कड़ या चौराहों पर सभाएँ कर बच्चों के कल्याण और उनके सुरक्षा की बात कही जाती है, उनके उज्जवल भविष्य की कामनाएँ की जाती हैं पर असल जिन्दगी मे उनका शोषण किया जाता है। उनसे बाल मज़दूरी करवायी जाती हैं, होटलों मे गंदे प्लेट धुलवायी जाता हैं, रोड पर से कचड़ा और गन्दगी साफ करवाई जाती हैं। यह कहां का बाल दिवस हुआ ?

लिली- आगे सादिक जी लिखते हैं..... अखिल जी ने हमारे समक्ष उस आईने को रखा जो समाज का सबसे सत्य रूप है। बेटा और बेटी का भेद हमारे समाज मे नासूर बनकर हर घर, हर मोहल्ले, हर गाँव, हर क़स्बे, हर ज़िले, यहाँ तक कि पूरे देश को अपनी गिरफ्त मे ले चुका है। एक रिपोर्ट में मुंगेर ज़िले के कमालपूर की पहाड़ी पर मौजूद चमत्कारी पेड़ पर दी गई जानकारी रोचक लगी। शादी वाला यह पेड़ वाकई नव युवकों के लिये वरदान है। क्या अजीब बात है कि एक तरफ भारत मे युवक युवतियाँ शादी होने की आस्था लिये पहाड़ी पर चढ़कर पेड़ पर धागा बाँधते हैं तो वही पड़ोसी देश मे पेइचिंग के महाशय शादी की तारीख़ ही भूल जाते हैं। वाकई यह हास्यप्रद है पर यह एक सच्चाई भी है कि चीन आज विश्व में सबसे बड़ा आर्थिक देश के रूप मे यूं ही आगे नही है, जो भी हो अब उसकी प्रेमिका को उसकी इस गलती को माफ कर देना चाहिये।

अखिल- आगे सादिक जी कविता की चर्चा करते हुए लिखते हैं...... एनआरआई लाला की कहानी से हमें स्पष्ट उदाहरण मिलता है कि हम जब भी बात करें उसी ज़ुबान मे बात करें जो भाषा हमें अच्छी तरह से आती हो वर्ना लेने के देने पड़ जाते है। स्टाक मार्केट के गुणों की सही व्याख्या बन्दर की कहानी के द्वारा दर्शाई गई और हंसगुल्लों की फुहार से मन खुश हो गया.....विशेष कर पड़ोसन वाले जोक से।

सच कहूँ तो पूरा कार्यक्रम सुनलकर मज़ा आ गया। इस सुंदर प्रस्तुति हेतु अखिल और मीनू जी का बहुत बहुत धन्यवाद।

आगे सादिक जी ने हमें अपने अंदाज में तुकंबदी के साथ चार लाइनें भेजी हैं।

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