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    बारह वर्ष सूचक पशु
    2015-02-17 16:56:17 cri

    दोपहर को ग्यारह बजे से एक बजे तक वु( अर्थली ब्रांच सात) कहलाता है। प्राचीन काल में जंगली घोड़े जब पालतू नहीं बनाए गए थे, तो दोपहर के समय स्वच्छंद दौड़ते दुलकते थे और ऊंची हिनहिना देते थे, इसलिए इस समय का नाम है"भू-ब्रांच सात घोड़ा"।

    दोपहर के बाद एक बजे से तीन बजे तक वे( अर्थली ब्रांच आठ) कहलाता है। कुछ जगहों में इस समय को"यांग छु फो"कहा जाता है, अर्थात बकरी के बाहर निकलने का अच्छा वक्त है, इसलिए इस समय खंड का नाम है"भू-ब्रांच आठ बकरी"।

    तीसरे पहर तीन बजे से पांच बजे तक शेन( अर्थली ब्रांच नौ) कहलाता है। उस समय सूरज पश्चिम में अस्त हो रहा है। बंदर उस वक्त आवाज़ देना पसंद करते हैं, इसलिए इस वक्त का नाम पड़ा है"भू-ब्रांच नौ बंदर"।

    तीसरे पहर पांच बजे से सात बजे तक यो ( अर्थली ब्रांच दस) कहलाता है। उस समय सूर्यास्त हो चुका है। मुर्गा अपने दबेड़े में घुसने को तैयार रहता है, इसलिए इस समय का नाम है"भू-ब्रांच दस मुर्गा"।

    शाम को सात बजे से नौ बजे तक श्यु ( अर्थली ब्रांच ग्यारह) कहलाता है। एक दिन के परिश्रम के बाद लोग द्वार बंदकर आराम करना चाहते हैं। कुत्ता द्वार के सामने लेटे पहरी देता है। जब कुछ भी भनक पड़ी, कुत्ता तो ऊंची आवाज़ में भौंक देता है, इसलिए इस समय का नाम है"भू-ब्रांच ग्यारह कुत्ता"।

    रात को नौ बजे से 11 बजे तक हे( अर्थली ब्रांच बारह) कहलाता है। एकांत रात में सूअर के बाड़ को मुंह मारने की आवाज़ सुनाई देती है, इसलिए इस समय खंड का नाम है"भू-ब्रांच बारह सूअर"।

    इस तरह दिन रात के 12 समय खंडों के क्रम 12 भू-ब्रांच सूचक 12 जानवरों से जुड़कर इस प्रकार निश्चित हुए हैः भू-ब्रांच एक चूहा, भू-ब्रांच दो बैल, भू-ब्रांच तीन बाघ, भू-ब्रांच चार खरगोश, भू-ब्रांच पांच ड्रैगन, भू-ब्रांच छह सांप, भू-ब्रांच सात घोड़ा, भू-ब्रांच आठ बकरी, भू-ब्रांच नौ बंदर, भू-ब्रांच दस मुर्गा, भू-ब्रांच ग्यारह कुत्ता एवं भू-ब्रांच बारह सूअर। बाद में इस प्रकार की समय गिनति प्रणाली का प्रयोग वर्ष सूचक रूप में भी किया गया है और बारह शङश्याओ ( बारह वर्ष सूचक पशु) की प्रथा पैदा हुई है।

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