बारह जन्म वर्ष सूचक पशुओं के क्रमांक के बारे में ज्ञान
बारह वर्ष सूचक पशुओं के क्रमांक के बारे में विद्वानों का मानना है कि वह क्रमांक जानवरों की विशेष आदतों और उन के दिनचर्ये के मुताबिक तय किया गया है।
बारह शङश्याओ की पद्धति का सर्वप्रथम समय की गणना के लिए प्रयोग किया जाता था। अब एक दिन 24 घंटों में बांटा जाता है। जबकि प्राचीन काल में खगोलविद् एक दिन को बारह अर्थली ब्रांच ( भू-ब्रांच) यानी बारह समय खंडों में बांट देते थे, जोकि जि(अर्थली ब्रांच एक), छ्वो(अर्थली ब्रांच दो), यिन(अर्थली ब्रांच तीन), माओ(अर्थली ब्रांच चार), छेन(अर्थली ब्रांच पांच), सि(अर्थली ब्रांच छह), वु(अर्थली ब्रांच सात), वे(अर्थली ब्रांच आठ), शेन(अर्थली ब्रांच नौ), यो(अर्थली ब्रांच दस), श्यु(अर्थली ब्रांच ग्यारह) एवं हे(अर्थली ब्रांच बारह) । साथ ही उन्होंने खगोलीय सर्वेक्षण करते हुए बारह पशुओं की जीवन आदतों और दिनचर्यों के समय के अनुसार तदनुरुप बारह शङश्याओ यानी बारह वर्ष सूचक पशु निश्चित किये थे।
इस पद्धति के अनुसार रात के ग्यारह बजे से अगले दिन के तड़के एक बजे तक जि( अर्थली ब्रांच एक ) कहलाता है। उस समय चूहा अंधेरी रात में बाहर आता है और कार्यवाही करता है, इसलिए इस समय खंड का नाम रखा गया है"भू-ब्रांच एक चूहा"।
तड़के एक बजे से तीन बजे तक छ्वो ( अर्थली ब्रांच दो ) कहलाता है। बैल को रात में घास खाने की आदत है। किसान अक्सर आधी रात में उठकर बैल को खिलाते हैं, इसलिए इस समय खंड का नाम पड़ा है"भू-ब्रांच दो बैल।
तड़के तीन बजे से पांच बजे तक यिन( अर्थली ब्रांच तीन) कहलाता है। इस वक्त बाघ क्रियाशील होकर सब से खूंख्वार निकलता है। प्राचीन काल के लोग इस समय अक्सर बाघों की दहाड़ सुन पाते थे, इसलिए इस समय खंड का नाम है"भू-ब्रांच तीन बाघ"।
सुबह पांच बजे से सात बजे तक माओ( अर्थली ब्रांच चार) कहलाता है। उस समय पौ फटता है। खरगोश बाहर निकलकर ओस से रत हरी घास खाता है, इसलिए इस वक्त का नाम पड़ा है"भू-ब्रांच चार खरगोश"।
सुबह सात बजे से नौ बजे तक छेन( अर्थली ब्रांच पांच) कहलाता है। उस समय आकाश में प्रायः कोहरा छाता है। कहा जाता था कि ड्रैगन बादल व कोहरे पर सवार होकर उड़ना पसंद करता है। यह सूर्योदय का समय है, पूर्व में लालिमा छायी है। इसलिए इस का नाम रखा गया है"भू-ब्रांच पांच ड्रैगन"।
सुबह नौ बजे से ग्यारह बजे तक सि( अर्थली ब्रांच छह) कहलाता है। उस समय कोहरा हट जाता है और धूप निकलती है। सांप बाहर निकलकर खाना ढूंढ़ता है, इसलिए इस समय का नाम है"भू-ब्रांच छह सांप"।