Friday   Jul 18th   2025  
Web  hindi.cri.cn
कढ़ाई की कला
2014-11-17 15:41:57 cri

                                                                             शू शोः

शू शो ( सछ्वान का कसीदा ) का लम्बा इतिहास है। वह शू चिन ( सछ्वान के बुनाई काम ) के साथ"शू की निधि"माना जाता है। छिंग राजवंश के सम्राट ताओ क्वांग के शासनकाल में शू शो का व्यवसायिक विकास हो चुका है। छेंग तु शहर में अनेक कसीदा दुकानें खुली थीं, जहां कढ़ाई का काम भी होता था और कसीदार चीज़ें भी बिकती थीं। शू शो में सॉफ़्ट रेशमी कपड़े और रंगीन रेशमी धागों से प्राकृतिक दृश्य, मानव आकृति, फूल पौधे, पक्षियां, मछली व कीट पतंग काढ़े जाते हैं। प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार शू शो कढ़ाई के सौ से अधिक तरीके हैं। शू शो की ये विशेषताएं हैं:सजीव आकृति, चटकीली और तीन आयामी लगती है, सुई के काम सघन, समतल, महीन् व सुनियोजित है, धागे के काम परिवर्तनशील व चमकदार है। शू शो की अपनी गहरी स्थानीय विशेषता होती है। चीनी जन वृहद सभा भवन के सछ्वान हॉल में विशाल स्क्रीन चित्र"कमल का पुष्प एवं कार्प की मछली"एवं"बड़े व छोटे पांडे"शू शो में उत्कृष्ट काम है।

उपरोक्त चार मशहूर कसीदा शिल्पों के अलावा, पेइचिंग की चिंग शो, वन चो की ऑ शो, शांगहाई की गू शो एवं म्याओ जाति की म्याओ शो की भी अपनी अपनी श्रेष्ठता होती है।

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040