चीन की सरकार ने 1 जनवरी 2025 से तीन साल से कम उम्र के हर बच्चे के लिए सालाना 3,600 युआन (लगभग ₹43,000) की चाइल्डकेयर सब्सिडी देने का ऐलान किया है। मकसद? परिवारों की जेब को राहत और घटती जन्म दर को बढ़ावा देना है। डायपर से डे-केयर तक के बढ़ते खर्चों के बीच, ये स्कीम करोड़ों चीनी माता-पिता के लिए उम्मीद की नई किरण है।
चीन के खान-पान को जानने के बाद ये सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर क्यूं और कैसे चाइनीज़ फूड भारत पहुंचा और आज इतना लोकप्रिय हो गया। सवाल है तो जवाब भी मिलना ही चाहिए। जवाब खोजने की कोशिश में ये मिला कि चीनी लोग भारत में जब बौद्ध शिक्षा की तलाश में अक्सर आने लगे तो उन्हीं चीनी लोगों में से एक यांग थाई चोउ नाम की चीनी शख़्सियत ने साल 1778 में कोलकाता में चाइनीज़ खाने की गुंजाइश को तलाशना शुरू किया। उस समय कोलकाता ब्रिटिश भारत की राजधानी हुआ करती थी। और उसके बाद थाई चोउ जैसे काफ़ी लोग भारत आते रहे जिनमें ज़्यादातर हक्का चीनी ही थे।
चीन सरकार द्वारा शुरू की गई राष्ट्रव्यापी बाल देखभाल सब्सिडी और किंडरगार्टन शुल्क माफी नीतियां देश की घटती जन्म दर को संबोधित करने और युवा परिवारों के आर्थिक बोझ को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि व्यक्तिगत सब्सिडी राशि अपेक्षाकृत कम लग सकती है, यह नीति एक व्यापक सरकारी प्रतिबद्धता का संकेत है जो माता-पिता को प्रोत्साहित करने और भविष्य की पीढ़ियों का समर्थन करने पर केंद्रित है। इन उपायों से चीन में जन्म दर में सुधार और जनसांख्यिकीय चुनौतियों का समाधान होने की उम्मीद है। देखिए यह ख़ास चर्चा....
चीन में मछली का मांस कच्चा या अधपका बहुत लोकप्रिय है। लेकिन जायका सिर्फ मांसाहार तक ही सिमटा हुआ है ये कहना एक तरह का भ्रम ही है। खाने में शाकाहार के भी काफ़ी विकल्प मौजूद हैं। चावल, मक्का या गेहूं के नूडल्स, सोयाबीन का पनीर (तोफ़ू) आदि मुख्य भोजन के रूप में और साथ में अनेक सब्जियां जैसे टमाटर, गाजर, गोभी, ब्रोकली, मटर, लौकी, कद्दू, आदि खूब मिलते हैं।
सपने वो नहीं जो सोते वक़्त देखे जाते हैं, सपने वो हैं जो आपको सोने न दें। और जब बात चीन जैसे विशाल देश की हो, तो सपने भी उतने ही बड़े होते हैं। आज, चीन में एक ऐसा सपना ज़ोर पकड़ रहा है, जो न केवल फ़ुटबॉल के मैदानों को हरा-भरा कर रहा है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी नई रफ़्तार दे रहा है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं ग्रासरूट फ़ुटबॉल की, जो चीन की अर्थव्यवस्था का नया इंजन बनकर उभर रहा है। आइए, इस न्यूज़ स्टोरी में जानते हैं कि कैसे फ़ुटबॉल का जुनून चीन को नई ऊँचाइयों तक ले जा रहा है।
जब किसी देश की सरकार को लगने लगे कि कहीं उसकी आने वाली पीढ़ियाँ कम न हो जाएँ, तो वो क्या करती है? चीन ने इसका जवाब दिया है एक ऐसी नीति के रूप में जो शायद दुनिया के कई देशों के लिए एक मिसाल बन सकती है। चीन ने 1 जनवरी 2025 से, तीन साल से कम उम्र के हर बच्चे के लिए सालाना 3,600 युआन (लगभग 43 हज़ार रूपये) की चाइल्डकेयर सब्सिडी देने का ऐलान किया है।
क्या आपने कभी सोचा है कि चाइनीज़ फूड भारत तक कैसे पहुँचा और हमारे स्वाद में इतना घुलमिल कैसे गया? जानिए इस मज़ेदार सफर की शुरुआत, कोलकाता के पहले चाइना टाउन से लेकर गली-गली तक फैले देसी तड़के वाले चाइनीज़ फूड तक की कहानी!
हाल ही में, चीन की राजधानी पेइचिंग में भारतीय योग गुरु आशीष बहुगुणा ने चाइना मीडिया ग्रुप के अधीनस्थ CGTN हिंदी के संवाददाता अखिल पाराशर के साथ एक विशेष पॉडकास्ट में शिरकत की। यह पॉडकास्ट योग और उसके वैश्विक प्रसार पर केंद्रित था।
हमारे नए पॉडकास्ट एपिसोड में, बीजिंग के जाने-माने भारतीय योग गुरु आशीष बहुगुणा बता रहे हैं कि कैसे योग सिर्फ कसरत नहीं, बल्कि एक ऐसा पुल है जो भारत और चीन की संस्कृतियों को मिला रहा है।
क्या आपको पता है कि जो चाइनीज़ फ़ूड हम इंडिया में खाते हैं, वो असली चाइनीज़ है भी या नहीं? इस वीडियो में जानिए— चीन के अलग-अलग हिस्सों में लोग क्या-क्या खाते हैं? शाकाहारी से लेकर मांसाहारी तक— हर फ्लेवर की कहानी उत्तर और दक्षिण चीन के खाने में फर्क क्या है? और चीन की 8 प्रमुख पाक शैलियाँ कौन-सी हैं? खाने के बहाने जानिए चीन की संस्कृति और विविधता की ख़ास बातें। देखिए... न्यूज़ स्टोरी!
हाल ही में चीन की राजधानी पेइचिंग में आयोजित वैश्विक सभ्यता संवाद मंत्रिस्तरीय बैठक में दुनिया भर के कई देशों के नेताओं और विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। इस बैठक का मकसद था अलग-अलग सभ्यताओं के बीच आपसी समझ, संवाद और सीख को बढ़ावा देना। इसमें ज़ोर दिया गया कि दुनिया में शांति, सहयोग और विकास तभी मुमकिन है जब हम एक-दूसरे की संस्कृति और सोच का सम्मान करें। सभी ने माना कि किसी एक सभ्यता को सबसे ऊपर मानना या दूसरों पर थोपना सही नहीं है, बल्कि विविधता ही हमारी ताकत है। इस विषय पर और विस्तार से चर्चा करने के लिए हमारे साथ जुड़ रहे हैं भारतीय युवा संघ के अध्यक्ष, युवा सामाजिक और राजनीतिक नेता श्री हिमाद्रीश सुवन।
हाल ही में चीन की राजधानी बीजिंग में आयोजित वैश्विक सभ्यता संवाद मंत्रिस्तरीय बैठक में दुनियाभर के कई देशों के नेताओं, विचारकों और विशेषज्ञों ने शिरकत की। इस संवाद का उद्देश्य था अलग-अलग सभ्यताओं के बीच संवाद, आपसी समझ और पारस्परिक सीख को बढ़ावा देना। बैठक में यह बात प्रमुखता से उठी कि वैश्विक शांति, सहयोग और विकास तभी संभव है जब हम एक-दूसरे की संस्कृति, विचार और जीवन दृष्टिकोण का सम्मान करें। एक सभ्यता को सर्वोपरि मानना या उसे दूसरों पर थोपना न केवल अनुचित है, बल्कि विविधता की ताकत को नकारना भी है।