दुनिया के महासागर पृथ्वी की सतह के 70% हिस्से को कवर करते हैं और हमारे मौसम, ऑक्सीजन और अरबों लोगों के जीवन का आधार बनते हैं। हालाँकि, आज ये महासागर जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता की हानि और प्रदूषण जैसे बड़े संकटों का सामना कर रहे हैं। इस स्थिति में, हर साल 8 जून को मनाया जाने वाला विश्व महासागर दिवस हमें याद दिलाता है कि अब सिर्फ़ बात करने का समय नहीं है; कार्रवाई करना ज़रूरी है।
क्या आप जानते हैं कि हमारी धरती का 70% हिस्सा महासागरों से ढका है? ये सिर्फ़ पानी नहीं, बल्कि हमारे मौसम, हमारी साँस और अरबों लोगों की ज़िंदगी का आधार हैं। पर अफ़सोस, आज हमारे महासागर जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जीवों की घटती संख्या जैसे बड़े ख़तरों का सामना कर रहे हैं। हर साल 8 जून को विश्व महासागर दिवस मनाना सिर्फ़ एक तारीख़ नहीं, बल्कि एक ज़रूरी याद दिलाता है कि अब सिर्फ़ बातें करने का नहीं, बल्कि कुछ करने का वक़्त आ गया है! न्यूज़ स्टोरी में जानिए: * विश्व महासागर दिवस की शुरुआत कब और क्यों हुई? * महासागरों को बचाने में भारत और चीन का क्या रोल है? * और सबसे ज़रूरी, हम सब मिलकर समंदर को बचाने के लिए क्या कर सकते हैं?
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की हालिया रिपोर्ट और प्रतिष्ठित वैश्विक स्रोतों के गहन विश्लेषण से यह संकेत मिलता है कि अगले पांच वर्षों, यानी 2025 से 2030 के बीच, वैश्विक अर्थव्यवस्था की गति काफी हद तक चीन और भारत के इर्द-गिर्द केंद्रित रहेगी। ये दोनों एशियाई दिग्गज विश्व आर्थिक वृद्धि के 'प्रमुख इंजन' के रूप में उभरने के लिए तैयार हैं।
दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवा प्रणालियाँ अभूतपूर्व दबाव का सामना कर रही हैं। बढ़ती उम्र की आबादी, पुरानी बीमारियों का बोझ और सीमित चिकित्सा संसाधनों की वजह से अधिकांश देश जूझ रहे हैं। इन चुनौतियों के बीच, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) उम्मीद की एक नई किरण बनकर उभरा है, जो न केवल इलाज को बेहतर बना सकता है, बल्कि इसे ज्यादा सुलभ और सटीक भी बना रहा है।
ड्रैगन बोट फेस्टिवल, जिसे चीन में त्वान वू फेस्टिवल के नाम से भी जाना जाता है, चीन का एक अत्यंत पारंपरिक और महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व प्रसिद्ध चीनी कवि और देशभक्त छू य्वान की स्मृति में मनाया जाता है। हर वर्ष, यह उत्सव चीनी चंद्र कैलेंडर के अनुसार पांचवें महीने की पांचवीं तारीख को आता है।
हर साल चीन में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है ड्रैगन बोट फेस्टिवल, जिसे चीनी लोग त्वान वू फेस्टिवल कहते हैं। यह दिन समर्पित है एक महान देशभक्त और कवि छू य्वान की याद में। इस दिन की सबसे खास बात होती है – तेज़ रफ्तार ड्रैगन बोट रेस, और स्वाद से भरपूर ज़ोंग्ज़ी – चिपचिपे चावल से बनी यह पारंपरिक डिश दिखने में भले समोसे जैसी लगे, लेकिन इसका स्वाद एकदम अलग होता है। लोग अपने घरों पर जड़ी-बूटियां लटकाते हैं, खुशबूदार पाउच पहनते हैं और एक दिलचस्प परंपरा निभाते हैं – दोपहर के वक्त अंडा सीधा खड़ा करने की कोशिश। मान्यता है कि अगर अंडा खड़ा हो गया, तो किस्मत साथ देगी! पहले यह त्योहार बीमारियों और बुरी आत्माओं से बचाव के लिए मनाया जाता था, लेकिन आज के समय में यह बन गया है मौज-मस्ती और फैमिली टाइम का मौका – रेस, घूमना, ज़ोंग्ज़ी गिफ्ट करना, सांस्कृतिक कार्यक्रम और ढेर सारी मस्ती के साथ। तो अगली बार जब बात हो चीन की संस्कृति की, तो इस रंगीन त्योहार को जरूर याद रखना – जहां परंपरा है, स्वाद है और ढेर सारी धमाल भी!
क्या आप जानते हैं, चीन का कौन-सा प्रांत अब बन गया है एक विशाल फ्री ट्रेड पोर्ट और ग्लोबल शॉपिंग का पावरहाउस? जवाब है- हाईनान! कभी सिर्फ टूरिस्ट डेस्टिनेशन था, अब बन गया है फ्री ट्रेड पोर्ट और ड्यूटी-फ्री शॉपिंग का स्वर्ग। यहां बुलेट ट्रेन पूरे आइलैंड को कवर करती है, और 988 किमी का शानदार कोस्टल हाइवे आइलैंड के किनारे-किनारे घूमता है। ड्यूटी-फ्री शॉपिंग का मजा तो अलग ही है! आइए जानते हैं, कैसे हाईनान बदल रहा है चीन की अर्थव्यवस्था को।
अमेरिका ने जब से दुनिया के करीब 90 देशों पर टैरिफ यानी आयात पर टैक्स लगाना शुरू किया है, तब से एक महीने से अधिक समय बीत चुके हैं। यद्यपि इसके बीच अमेरिका ने अधिकांश देशों पर लगाई गई ड्यूटी को 3 महीने के लिए स्थगित कर दिया है और टैरिफ दरों को कम भी कर दी है। फिर भी अमेरिका की इस मनमाने कार्रवाइयों ने वैश्विक स्तर पर मुक्त व्यापार को संकट में डाल दिया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे अमेरिका के ट्रेड इम्बेलेंस को हल नहीं किया जा सकता है। साथ ही इससे दुनिया के बिज़नेस पर असर पड़ेगा और देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है। इसी मुद्दे पर बात करने के लिए हमारे साथ जुड़े हैं भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद यानी आईसीआरआईईआर में आर्थिक नीति शोधकर्ता, डॉ अर्पिता मुखर्जी से। देखिए, यह ख़ास चर्चा....
मई में जो हुआ, उसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से चल रही टैरिफ जंग आखिरकार एक समझौते की शक्ल में ढल गई। दोनों देशों ने तय किया है कि वे एक-दूसरे पर लगाए गए भारी-भरकम टैक्स यानी टैरिफ को कम करेंगे और बातचीत का एक स्थायी और ढांचा-बद्ध रास्ता फिर से शुरू करेंगे।
जब हम भारत और चीन के ऐतिहासिक संबंधों की बात करते हैं, तो उनमें सांस्कृतिक, बौद्धिक और दार्शनिक आदान-प्रदान की एक गहरी धारा दिखाई देती है। इस संबंध में अगर किसी एक व्यक्ति ने आधुनिक युग में इन दो प्राचीन सभ्यताओं के बीच संवाद, समझ और सहयोग को फिर से जीवंत किया, तो वह हैं – रविंद्रनाथ टैगोर। वह सिर्फ एक महान कवि, लेखक या नोबेल पुरस्कार विजेता ही नहीं थे, बल्कि भारत और चीन के बीच संवाद का एक जीवंत पुल, एक सांस्कृतिक सेतु थे। हर साल बंगाली महीने 'बोइशाख' की 25 तारीख को देशभर में उनकी जयंती मनाई जाती है। इस बार यह जयंती 9 मई को मनाया जा रहा है। आज इन सभी पर चर्चा करने के लिए हमारे साथ जुड़ गये हैं शांतिनिकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय में चीना भवन के निदेशक, प्रोफेसर अविजीत बनर्जी। देखिये, यह खास चर्चा......
रवींद्रनाथ टैगोर को साहित्य, संगीत और कला में उनके बेमिसाल योगदान के लिए पूरी दुनिया में सम्मान दिया जाता है। भारत के इस महान कवि, लेखक, चित्रकार, समाज सुधारक और विचारक ने न सिर्फ भारत के सांस्कृतिक और राजनीतिक इतिहास को गहराई से प्रभावित किया, बल्कि पूरी मानवता को एकता और प्रेम का संदेश दिया।