दिसंबर के मध्य से, चीन और अमेरिका ने बहु-स्तरीय बातचीत की है। चीन-अमेरिका आर्थिक कार्य समूह की सातवीं बैठक और वित्तीय कार्य समूह की सातवीं बैठक क्रमिक रूप से आयोजित की गई। दोनों पक्षों ने पांच साल के लिए प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किये।
भारत और चीन के लिए आने वाला साल 2025 अहम है, क्योंकि दोनों ही देश ही साल 2025 में भारत और चीन राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ में मनाने जा रहे हैं।
आपसी तनाव और विवाद को दूर करने के लिए बातचीत की मेज हमेशा बेहतर कारगर हथियार रही है। अगर विवाद दो देशों के बीच सीमा को लेकर हों तो सीमा पर संघर्ष की बजाय आपसी चर्चा के जरिए हल तलाशना हमेशा बेहतर विकल्प माना जाता रहा है।
17 दिसंबर को, चीन ने आधिकारिक तौर पर पारगमन वीज़ा-मुक्त नीति में व्यापक छूट और अनुकूलन की घोषणा की। इसके बाद, "अगला पड़ाव, चीन" लोकप्रिय हो गया। इंटरनेट पर "चीन वीज़ा-मुक्त" की खोज लोकप्रियता तेजी से चरम पर पहुंच गई।
हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि चीन की अर्थव्यवस्था ने अपनी रिकवरी की प्रवृत्ति जारी रखी है, जिसमें कई क्षेत्रों में सकारात्मक संकेत दिखाई दे रहे हैं। एक जटिल और लगातार बदलते अंतरराष्ट्रीय माहौल की पृष्ठभूमि में, यह कड़ी मेहनत से हासिल की गई उपलब्धि चीनी अर्थव्यवस्था की ठोस नींव और मजबूत लचीलेपन को दर्शाती है।
साल 2025 में भारत और चीन राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ में मनाएंगे। उम्मीद है कि उससे पहले दोनों देश सीमा विवाद को खत्म कर दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाएंगे।
आप दुनिया में सबकुछ बदल सकते हैं, लेकिन अपने जैविक माता-पिता और भौगोलिक पड़ोसियों को नहीं बदल सकते। इंसानी रिश्तों को लेकर इस संदर्भ में कुछ अपवाद हो सकते हैं, लेकिन जब दो राष्ट्रों की बात हो तो कम से कम पड़ोसियों को बदलना असंभव ही है।
11 से 12 दिसंबर तक चीन की राजधानी पेइचिंग में आयोजित केंद्रीय आर्थिक कार्य सम्मेलन, आने वाले वर्ष में चीन के अवसरों के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करता है। यह सम्मेलन चीन की घरेलू नीतियों और व्यापक वैश्विक संदर्भ के लिए महत्वपूर्ण है, जो साझा विकास के लिए संभावित रास्ते प्रदान करता है।
चीन इन दिनों नई तरह की पहल कर रहा है। एक दिसंबर से चीन ने दुनिया के अल्प विकसित देशों के उत्पादों पर शून्य टैरिफ नीति लागू की है।