चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में स्थित आली (Ali) की औसत ऊंचाई 4600 मीटर से भी अधिक है! यहाँ कभी ताजे फल और सब्जियाँ खाना एक सपना हुआ करता था, क्योंकि इन्हें दूर के मैदानी इलाकों से पहाड़ों को पार करके लाया जाता था। लेकिन अब विज्ञान और तकनीक ने यहाँ भी खेती को संभव बना दिया है! हाई-टेक ग्रीनहाउस और स्वचालित सिंचाई प्रणाली की मदद से, आली के लोग अब खुद तरबूज, सब्जियाँ और फल उगा रहे हैं! इस वीडियो में देखिए, कैसे ऊंचाई वाले इस रेगिस्तानी इलाके में अब ताजा तरबूज खाया जा रहा है!
चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के आली (Ali) में, जहाँ ऑक्सीजन मैदानी इलाकों से आधी है और साँस लेना भी मुश्किल, वहाँ एक छोटे से स्कूल के बच्चों ने असंभव को संभव कर दिखाया! कैलाश पर्वत (Mount Kailash) की तलहटी में स्थित इस स्कूल की "हाई-एल्टीट्यूड फुटबॉल टीम" के बच्चे रोज़ प्रैक्टिस करते हैं, ताकि उनकी पढ़ाई के साथ-साथ खेल की दुनिया भी रंगीन बनी रहे। आज, हमने इन बच्चों के साथ दुनिया के सबसे ऊंचे स्कूलों में से एक पर फुटबॉल मैच खेला—देखिए कि कैसे हमने इस चुनौतीपूर्ण माहौल में अपना दमखम दिखाया! इस वीडियो में आप देखेंगे: 4600 मीटर की ऊंचाई पर खेलने की चुनौतियाँ। बच्चों का जज़्बा और टीमवर्क। बर्फीले पहाड़ों के बीच एक यादगार मैच!
2025 में चीन ने भारतीय श्रद्धालुओं के लिए कैलाश-मानसरोवर यात्रा मार्ग फिर से खोला! इस बार 600 से भी ज़्यादा भारतीयों ने इस पवित्र यात्रा में हिस्सा लिया। हमने वहाँ जाकर कई यादगार लोगों से मुलाकात की—70 साल के उस दादा जी से, जो अभी भी हर साल कैलाश जाते हैं, उस गाइड तक जिसने 100 बार से ज़्यादा यह यात्रा की! आइए, सुनते हैं इनकी आस्था और अनुभवों की अद्भुत कहानियाँ...
आपको शांगहाई केवल बिजनेस और ऊंची इमारतें ही लगती हैं? आज हम आपको दिखाते हैं शांगहाई का ऐसा रूप जिसे आपने कभी नहीं देखा: ✅ 200km/h की हाईस्पीड रेस ट्रैक राइड (इंटरनेशनल स्टैंडर्ड टेस्ट ट्रैक में!) ✅ वायरल चीनी शॉर्ट फिल्म के बैकस्टेज (जो पूरी दुनिया में हिट हो रही हैं!) ✅ शांगहाई के गांव में पैडल बोटिंग (चीन का ग्रामीण पर्यटन कितना बढ़ रहा है!)
पिछले 5 सालों से भारत और चीन के बीच जो तल्खी और तनाव सरहद पर जमा था, साल 2025 ने उस जमी हुई बर्फ़ को पिघलाकर 'पुनरुत्थान' की एक नई कहानी लिखी है। इस वर्ष का सबसे बड़ा क्षण अगस्त में आया, जब SCO शिखर सम्मेलन के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की ऐतिहासिक मुलाकात हुई। इस महत्वपूर्ण बैठक में दोनों नेताओं ने साफ किया कि वे अब प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि विकास के साथी हैं, और मतभेदों को विवाद नहीं बनने दिया जाएगा, बल्कि रिश्ते की नींव विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता पर टिकी रहेगी। कूटनीति से इतर, आम जनता के लिए भी रास्ते खुले हैं: जुलाई में चीनी पर्यटकों के लिए टूरिस्ट वीज़ा फिर से शुरू हुआ, और अक्टूबर में 5 साल बाद कोलकाता से क्वांगचो के लिए पहली सीधी फ्लाइट उड़ी, जिससे व्यापार और लोगों से लोगों का संपर्क मजबूत हुआ।
बीजिंग की गलियों में भारतीय खुशबू कैसी गूंजती है? यही कहानी सुना रहे हैं रबियुल बख्श, जो चीन की राजधानी में ‘दास्तान इंडियन रेस्तरां’ की नींव रखने वाले संस्थापक और मास्टर शेफ दोनों हैं।
आज दुनिया एक नए चौराहे पर खड़ी है, जहाँ एशिया की भूमिका बढ़ रही है। चीन और भारत— एशिया के ये दो दिग्गज — दुनिया के भविष्य को आकार देने की क्षमता रखते हैं। दोनों देशों के विकास के रास्ते अलग हैं: चीन लंबी योजनाओं और स्थिरता पर जोर देता है, जबकि भारत अपनी लोकतांत्रिक विविधता और खुले संवाद की ताकत से आगे बढ़ता है। व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के बीच मतभेदों के बावजूद, दोनों के बीच सहयोग की गुंजाइश बनी हुई है। एक बदलती दुनिया में भारत-चीन संबंध न केवल एशिया बल्कि वैश्विक संतुलन के लिए महत्वपूर्ण हैं। संवाद और समझदारी से ही दोनों देश मिलकर एक बेहतर भविष्य की नींव रख सकते हैं।
समुद्र में हर मिनट एक ट्रक जितना प्लास्टिक गिर रहा है। लेकिन अच्छी बात ये है कि इसे ठीक करने की शुरुआत हो चुकी है। चीन में एक मॉडल ने दिखा दिया कि जब लोग मिलकर काम करें, तो समुद्र भी राहत की साँस ले सकता है। सबसे दिलचस्प बात ये है कि जमीन पर जो प्लास्टिक बोतल कुछ रुपये में बिकती है, समुद्र से निकली वही बोतल कई गुना ज्यादा कीमत पर खरीदी जाती है। नतीजा ये कि मछुआरों की कमाई भी बढ़ रही है और समुद्र का बोझ भी हल्का हो रहा है। यह पूरी कहानी याद दिलाती है कि बदलाव हमेशा उन्हीं के हाथों से आता है जो जमीन से जुड़े रहते हैं। वीडियो ज़रूर देखें...
आपने टीवी पर या सोशल मीडिया पर COP 30 का नाम ज़रूर सुना होगा। इन दिनों ब्राजील के अमेज़न के बीच बसे बेलेम शहर में दुनिया के बड़े नेता, वैज्ञानिक, कार्यकर्ता और युवा एक छत के नीचे बैठे हैं। सबके मन में एक ही बेचैन करने वाला सवाल है कि आखिर हम इस धरती को कब तक ऐसे ही जलते हुए देखते रहेंगे। लेकिन सच पूछिए तो ज़्यादातर लोग आज भी नहीं जानते कि यह COP है क्या, इसकी ज़रूरत क्यों है और इसका असर हम सबकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर कैसे पड़ता है। आइए, आज की न्यूज़ स्टोरी में इस पूरी कहानी को साफ और सरल भाषा में समझते हैं।
चीन में कीवर्ड Keywords in China-K Visa "चीन को समझना हो, तो उसके कीवर्ड्स से शुरुआत करो!" आज हम बात करेंगे एक बिल्कुल नए शब्द की— K Visa की! इसका सबसे बड़ा फायदा क्या है? कोई लेबर कॉन्ट्रैक्ट ज़रूरी नहीं! यानि कि आवेदन की प्रक्रिया अब बहुत आसान हो गई है। इस वीज़ा से आप चीन में शिक्षा, टेक्नोलॉजी, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, स्टार्टअप्स या बिज़नेस.... कुछ भी कर सकते हैं। Click on my video to learn more!