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मैं और चीन का स्नेह
2013-09-16 11:03:54

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चीन एक ऐसा देश जो स्कूल के समय से ही मेरे दिलों में रचा बसा है,चीन के बारे में बचपन से ही वहां की संस्कृति वहां के रहन सहन वहां की जनजाति वहां के पकवान और साथ ही चीन की राजनीती ,और छोटे छोटे गाँव की जानकरी सी आर आई के माध्यम से पाते रहे हैं ऐसा लग रहा है की हम चीन में सभी प्रान्त की यात्रा कर चुके हैं ,मैं सोचा करता था की क्या कभी कोई ऐसा दिन भी आएगा की मैं जिन स्थानों की यात्रा रेडियो की मदद से कर रहा हूँ कभी अपनी आँखों से दर्शन भी कर पाऊंगा उस भूमि पर जाकर उस महान देश को सलाम कर पाउँगा .लेकिन ये सपना सी आर आई ने पूरा करदिया उन्हों ने मुझे चीन को देखने का महसूस करने का अपने पडोसी देश से गले मिलने का महान देश को नमन करने का मोका दिया मुझे अच्छी तरह याद है जब मुझे सी आर आई से सुचना मिली की आप को चीन आना है आप चीन देख सकें गे,सिन्चीयांग प्रान्त की प्र्किर्तिक धरोहर को देख सकेंगे तो मुझे इतनी ख़ुशी हुई थी की मैं बयान नहीं कर पाउँगा।

साल २०१० की २८ जुलाई का वो पल मुझे आज भी ताज़ा है ऐसा लगता है की ये तो कल की बात है ,जब मैं नइ दिल्ली से सुबह बीजिंग के लिए निकला जहाज पर पहली बार का अनुभव भी बहोत खूब रहा,रास्ते भर बीजिंग का ख्याल दिलो दिमाग में घूमता रहा ,और जब रात में बीजिंग के समय के अनुसार साढ़े ११ बजे हमारा जहाज बीजिंग के उपर लैंडिंग के लिए नीचे उतर समय बीजिंग को रौशनी में नहाते हुए देखा ,बहोत सुन्दर दृश्य देख कर बेजिंग ओलम्पिक २००८ की ओपनिंग सेरमनी का उद्घाटन समारोह की याद ताज़ा होगइ। एयर पोर्ट पर वनिता जी ने सवागत किया और बीजिंग की सड़के को हमने पहली बार बीजिंग की सड़कों को देखा पूरे रास्ते

में हमने जो चीज़े नोट की वो ये की वहां पर बहोत सुन्दर बोर्ड दिखे लेकिन उस बोर्ड पर हमने एक चीज़ नोट की की चीन की जनता अपनी भाषा से कितना प्यार करती है उन बोर्ड पर चीनी भाषा में लगे हुए थे ,बहोत ही कम ही बोर्ड ऐसे देखे जिस पर इंग्लिश में कुछ संकेत थे। मुझे बहोत सुखद महसूस हुआ की चीन की जनता अपनी भाषा और अपनी संस्कृति से कितना प्यार है।

मैं चीन तो पहुँच गया वनिता जी ने मुझे होटल होली डे इन में तो ठहरया दिया गया पर उस समय मुझे अच्छी तरह याद है की आधी रात के चार बजे थे उस रात मुझे नीद थोड़ी भी नहीं लग रही थी ,जैसे लग रहां हो नीद हमने हज़ारों किलो मीटर दूर भारत में छोड़ आया हूँ ,उस रात मुझे अच्छी तरह याद है की मैं बार बार यही सोच रहा था की मेरे बचपन का सपना साकार होगया और उस रात मैं बहोत ही ज़यादा खुश था । मैं मन में सी आर आई वालों को धन्यवाद भी देरहां था।सुबह हुई वनिता जी के अनुसार हमें सुबह सिंजियंग के लिए निकलना था नाश्ता करने के बाद हम स्वागत कछ में पहुंचा तो देखता हूँ और ७ देशों के श्रोता वहां पहुँच चुके थे वहां पहली बार हमने सी आर आई के संपादक श्री माँ पो हवी और उपनेता श्री ल्यु थाओ और अन्य चार नेताओं से भी मिला ,वो पल भी मेरे लिए बहोत ही याद गार है ,हम सभी लोग सिंजियंग जाने के लिए मिनी बस में स्वर हुए और बीजिग की सुबह को देखते हुए हम एयर पोर्ट की तरफ जाही रहे थे की अचानक सी आर आई के श्रोता विभाग की नेता सु श्री ली की आवाज़ हमारे कानो तक पहुंची और जैसे ही हमने अपना चेहरा सु श्री ली के इशारे की तरफ किया तो क्या देखता हूँ की सामने चीन का राष्ट्रीय स्टेडियम बर्ड नेस्ट दिखाई दिया जो वास्तव में एक पछी के घोंसले की तरह था ,मानव द्वारा ये बर्ड नेस्ट वास्तव में बहोत ही सुंदर था। उसदिन हलकी हलकी वर्षा हो रही थी हर तरफ हरियाली थी और हम इसतरह एयर पोर्ट पहुंचे ,और बहोत ही जल्दी हमने एयर पोर्ट की जाँच प्रकिर्या से खाली भी होगये। हमने देखा की एयर पोर्ट के चीनी जवान बहोत तेज़ी के साथ लोगो की चेकिंग करते दिखाई दिए। हमने देखा की चीनी जवान जब चेक क्र लेता है तो वो सीने पर हाथ रख कर धन्यवाद का संकेत देते हुए एक हाथ से दुसरे जवान के पास जाने का संकेत भी देते है, इससे जाँच की प्रकिर्या बहोत ही तेज़ होरही थी ,मुझे बड़ा अच्छा लगा की चीनी जाँच कर्मी बहोत ही शिष्टा

चार से अपना कम कर रहे थे, हम करीब साढ़े तीन घंटा का सफ़र करने के बाद हम लोग सिंच्यांग की राजधानी उरुमोची पहुंचे वहां भी बीजिंग की तरह ही बहोत जल्दी जाँच प्रकिर्या से गुज़रते हुए हम सभी लोग उरूमुची के एयर पोर्ट से बाहर निकले जहाँ पर सी आर आई के सिंचियंग ब्यूरो के न्यूज़ नेता व अन्य कर्मी ने हम लोगों का भव्य स्वागत किया वो पल भी बहोत ही याद गार है ,होटल तारिम पेट्रोलियम में हमलोगों का रहने की व्यवस्था थी ,थोडा आराम करने के बाद हम लोग एक आधुनिक वेवूर जाति के रेस्टोरेंट में गए ,वेवूर जाति का रेस्टोरेंट वास्तव में इतना सुंदर था की वहां पर आप वेवूर जाति की संस्कृति को अच्छी तरह से महसूस किया जासकता था। और सच है की हमने महसूस ही नहीं किया वेवूर जाति के पकवान का भी मज़ा लिया खाना बहोत ही स्वादिस्ट था ,वहां पर वेवूर जाति मुस्लिम के विवाह का कार्यकरम चल रहा था ,शादी हो चुकी थी वेवूर जाति के लोग खाना खाने के साथ साथ गाने का लुत्फ़ उठा रहे थे. दूल्हा दुल्हन प्रसन्न मुद्रा में बैठे थे यहाँ हमने देखा की जवान का टेबल अलग तो वृद्ध लोगों का टेबल अलग था और महिलाओं का भी टेबल अलग रहा ,सभी भोजन के साथ गाने का मज़ा लेरहे थे ,हमने यहाँ एक बात और नोट की थी की इतनी भव्य शादी में इतने बड़े बड़े लोग पार्टिशिपेट कर रहे थे लेकिन वहां की महिलाओं ने सोने का प्रयोग नहीं किया था ,पूरे चीन में मैंने देखा की चीनी महिलाये सोने का आभूषण का प्रयोग नहीं करती ,अगर हम किसी भारतीय शादी समारोह में जाते हैं तो यहाँ भारतीय महिलाये सोने का आभूष का प्रयोग में अधिक नज़र आएँगी। भारत की महिलाये चाहती हैं की हमारे पास अधिक आभोषण हो ,मुझे अच्छी तरह याद है उस कार्यक्रम में चीनी गाइक ने चीनी भाषा में तो गाने गए ही लेकिन मैं तब आश्चर्य होगया जब चीनी गाइक के मुख से हिंदी गाना गाने लगी ,मुझे याद है गाना था गोर गोर बाकि छोरे। …. हमने नोट किया जिसतरह से चीनी और चीनी भाषा वाले गाने पर थिरक रहे थे वो रुके नहीं हिंदी गाने पर भी वो वैसे ही थिरकते रहे। सिंचियंग प्रांत में मेरा पहला दिन और पहली शाम क्या मजेदार रही जिसको हम ज़िन्दगी भर नहीं भूल सकते।

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