उनका व्याखान समाप्त हो जाने के बाद जब हमारे सीआरआई संवाददाता अखिल पाराशर ने उनसे सवाल किया कि आज के समय में आप स्वामी विवेकानंद के योगदान और शिक्षाओं को किस प्रकार देखते है और आज के समय में कितना औचित्य हैं, तो उन्होंने बताया:
"यह पुरा साल सम्पूर्ण भारत में और दूनिया के अलग-अलग कोनों में स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती मनाई जा रही हैं क्योंकि उन्होंने अन्य भारतीय की तुलना में धार्मिक क्षेत्र में कई महत्वपुर्ण योगदान दिया हैं। वह न केवल एक धार्मिक गुरू थे, बल्कि एक महान देशभक्त, वक्ता, विचारक, लेखक और मानव-प्रेमी भी थे। वे एक ऐसे महान हस्ती थे जिन्होंने पश्चिमी दुनिया को योग और वेदांता का भारतीय तत्व-ज्ञान का परिचय दिया था और 19वीं सदी के अन्त में आपसी जागरूकता पैदा करने और हिंदू धर्म को एक प्रमुख विश्व धर्म की स्थिति में लाने का श्रेय दिया गया।"
उन्होंने अपनी बात को पूरा करते हुए यह भी कहा कि स्वामी विवेकानंद जी ने सभी को संदेश दिया कि सच एक ही हैं, पर उसका नाम अलग-अलग हैं। अर्थात् धर्म कोई भी हो, सब सच्चाई का मार्ग-दर्शन करते हैं।
जब हमने उनसे अगला प्रश्न किया कि हम सभी जानते हैं कि स्वामी विवेकानंद ने भारत को एक पुन:विश्व गुरू बनाने के लिए भरपूर प्रयास किया था, तो हमें उनके किन-किन संदेशों को समझने की जरूरत हैं, जिससे भारत एक विश्व गुरू बना था, तो उन्होंने कहा:
"मुझे नहीं मालुम कि भारत विश्व गुरू बना या नहीं पर मैं इतना कह सकता हूँ कि स्वामी विवेकानंद विश्व-गुरू हैं, जिन्होंने हर जगह वेदांता सोसाइटी की स्थापना की। सबसे पहले वेदांता सोसाइटी की स्थापना न्यूयार्क में की, जो आज अमेरिका में 20 वेदांता केन्द्र हैं। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, युरोप आदि जगहों में वेदांता सोसाइटी हैं। मेरा मानना हैं कि इनके माध्यमों से स्वामी विवेकानंद विश्व-गुरू बनें।"