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प्रो. लियु येनिंग की कहानी
2013-11-21 08:56:05

प्रो. लियु ने चीन और विदेशो में अबतक 15 म्यूज़िक एल्बम लांच कर चुकी है, और 11 पुस्तकें व दर्जनों भर रिसर्च पेपर और आर्टिकल लिख चुकी है।

उनकी लांच हुऐ मुख्य म्यूज़िक एल्बम के नाम इस प्रकार हैं:

1. संगीत का दूत,

2. संवाद,

3. तितलियों का मधुर संगीत,

4. मुलान की कविता

और, उनकी मुख्य पुस्तकें और साहित्यों के नाम यह हैं:

1. चीनी और विदेशी शास्त्रीय यांगछीन संगीत

2. रोमान्टिक यांगछीन संगीत सीरीज

3. मौलिक यांगछीन संगीत

डा. लियु ने देश-विदेश में कई कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुकी है, और वर्ष 2009 से अबतक कई बार भारत के अनेक-अनेक जगहों पर अपने संगीत का जलवा बिखेर चुकी है। भारत के बनारस, मुंबई, लखनउ, कश्मीर, झारखण्ड़ के गिरिडीह, कोलकाता आदि जगहों पर अपनी कला का जौहर दिखा चुकी प्रो. लियु येनिंग का मानना है कि संगीत किसी सीमा में बंधकर नही रहती है। संगीत के रूप अलग-अलग क्यों न हो, पर उसकी आत्मा एक ही है। वह बताती है कि उन्हें भारतीय संगीत और संस्कृति से बेहद प्यार और लगाव है। जब वह साल 2009 में पहली बार भारत आई थी, तब काफी समय तक भारत में रही, और भारतीय संगीत और कला को जाना व पहचाना, और हिन्दुस्तानी संगीत पर शोध भी किया। वह बताती है कि वैसे तो अफ्रीका छोड़कर विश्व के ज्यादातर देशों में उन्होंने संगीत का सूर बिखेरा है, लेकिन इंडिया जाने की उनकी दिली इच्छा थी। वह चाहती है कि भारत और चीन दोनो देशों के बीच की कड़वाहट को कम करने के लिए भारत में चोटी के कलाकारों के साथ मंच प्रस्तुति कर दोनों देशों के लोगों को संगीत के जरिये निकट लाने का पैगाम दे।

एक ख़ास बातचीत में उन्होंने कहा कि संगीत के माध्यम से वे भारत-चीन के बीच राजनयिक बातचीत की नयी शुरूआत कराना चाहती है, और एक ऐसा प्लेटफार्म तैयार कराना चाहती है, जहां दोनो देशों के कलाकार संगीत की भाषा परस्पर एक-दूसरे को समझने एवं समझाने की कोशिश करेंगे। इससे दोनों देशों का भविष्य प्रभावित होगा। भारतीय संगीत के बाबत उन्होंने कहा कि भारतीय संगीत पुरी दूनिया में आत्मिक शांति के लिए जाना जाता है। भारतीय संगीत से जो सुकुन मिलता है, उसे उन्होंने महसूस किया है। उन्होंने अपनी दिली इच्छा बताई कि भारत एवं चीन के कलाकार संगीत के माध्यम से दुनिया में एक मिसाल कायम करें, जिससे इन दोनों देशों के बीच दूरियां भी कम होगी

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