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प्रो. लियु येनिंग की कहानी
2013-11-21 08:56:05

6 जुलाई को पेइचिंग में इण्डो-चाइनीज़ म्युजिक कंसर्ट का आयोजन हुआ, जिसमें मुख्य रूप से चीनी कलाकार प्रो. लियु येनिंग के अलावा पदमश्री सम्मान से सम्मानित संतूर वादक पंडित तरूण भट्टाचार्य, और प्रसिद्ध तबला वादक पंडित विजय घाटे ने भाग लिया। इन सभी कलाकारो ने एक साथ युगलबंदी कर श्रोताओं को संगीत से सराबोर कर दिया। प्रो. लियु येनिंग ने पहले अपना एकल कार्यक्रम पेश किया, जिसमें उन्होंने यानछींग यानि चीनी संतूर वाद्दयंत्र बजाया, और सभी श्रोताओं को झूमने पर विवश कर दिया।

डा.लियु येनिंग यानछींग की प्रोफ़ेसर है और पेइचिंग स्थित सेंट्रल कंजरवेट्री आफ म्यूज़िक (सीसीओएम) के पारंपरिक वाद्ययंत्र विभाग की अध्यक्ष भी है। वह संगीत कन्फ्यूशियस संस्थान की निदेशक भी है। इसके अलावा, वह यानछींग संघ की उपाध्यक्ष भी है। उन्होंने रोनाल्डो यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है। चीनी संगीत की संस्कृति को विदेशों तक फैलाने की प्रसारक और प्रवर्तक होने के नाते, वह 30 से अधिक देशों मे जा चुकी है। वर्ष 2005 में, चेक गणराज्य मे किम्बालोम वर्ल्ड असोशीऐशन के आमंत्रण पर, अंतरराष्ट्रीय डलसाइमर प्रतियोगिता के इतिहास में चीन से आयी पहली जज बनी। वर्ष 2006 में, इंटरनेशनल कल्चरल इक्स्चैन्ज में उनके उत्कृष्ट योगदान की सराहना के लिए, हंगेरी के शिक्षा मंत्रालय और यूक्रेन के संगीत और कला राष्ट्रीय संस्थान ने उनको पुरस्कार एवं प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया। वर्ष 2007 में, वह पहली यानछींग वादक थी और लैटिन अमेरिका में इंटरनेशनल गाला आँफ डलसाइमर कल्चरल इक्स्चैन्ज में हिस्सा लेने वाली प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व किया। उन्होंने दिल्ली विश्वविधालय और भारत के राष्ट्रीय अकादमी संगीत, नृत्य और नाटक से भारतीय संगीत और संस्कृति की तालिम हासिल की।

वर्ष 2005 में, उन्होंने 6 कांसर्ट का आयोजन किया, जिन्हें'संगीत और प्रेम:पू्र्व और पश्चिम'का नाम दिया गया। वर्ष 2008 में, पेइचिंग ओलंपिक खेल के समापन समारोह में उन्हें यानछींग बजाने के लिए बुलाया गया था।

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