जब ली पाई अपनी सोच-कल्पना में घूम रहा था कि अपने आप ही एक अनूठे संगीत की सुरीली धुन सुनाई देने लगी। उस विराट कलम के मुंह से पंचरंगों की रोशनी निकली। वहां लाल रंग का एक खूबसूरत फूल खिल उठा। फूल वाला कलम ली पाई की ओर उड़ते हुए निकट आने लगा। आलोकन फूल वाला कलम निकट आते देखकर ला पाई ने हाथ बढ़ा कर उसे पकड़ना चाहा, पर जैसे ही उसकी ऊंगली कलम को छूने के लिए हुई, उसका सपना टूट गया और फूल का कलम गायब हो गया।
सपने से जागने के बाद ली पाई ने फूल का कलम वाली जगह पहचानने की लाख कोशिश की, पर उसे उत्तर नहीं मिल पाया। तो वह देश के विभिन्न मशहूर पहाड़ों और नदियों का दौरा करने के लिए निकल पड़ा और फूल का कलम वाला स्थान ढूंढ़ता रहा। अंत में ली पाई हुहांगशान पर्वत आया, और पर्वत घाटी में सीधा खड़ा उस कलम रूपी चोटी देख कर उसके मुंह से यह शब्द निकलाः "वाह, यही वही फूल का कलम है, जो मैंने सपने में देखा था।"
कहते थे कि फूल का कलम वाला पर्वत देखने के बाद ली पाई की कविताओं में जीवन की नई शक्ति का संचार हुआ, और उसके कलम से हजारों मशहूर कविताओं की रचना हुई।