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पेकिंग ओपेरा
2013-03-12 16:52:33

शुरुआत में पेकिंग ओपेरा प्रस्तुत करना केवल पुरुषों का ही पेशा होता था। शिन्लोंग राजा ने 1772 में बीजिंग में सभी महिला कलाकारों पर बंदिश लगा दी थी। सन 1870 के दौरान महिलाओं का मंच पर आना अनाधिकारिक तौर पर ही होता था। महिला कलाकारों ने पुरुषों की भूमिका अदा करना शुरू किया और पुरुषों के साथ समानता की घोषणा की। उनको अपना कौशल दिखाने के लिए मंच दिया गया जब ली मोएर जो खुद एक पेकिंग ओपेरा के कलाकार रह चुके हैं, शांघाई में प्रथम महिला पेकिंग ओपेरा मंडली कायम किया। सन 1894 के दौरान शांघाई में पहला महिला पेकिंग ओपेरा का पदर्शन किया गया। इस पदर्शन ने अन्य महिलाओं को प्रोत्साहित किया और धीरे धीरे इसकी लोकप्रियता भी बढ़ गयी। इसके फलस्वरूप, थियेटर कलाकार यु ज्हेंतिंग ने महिलाओं का पेकिंग ओपेरा में पदर्शन करने से सम्बंधित बैन हटाने की सिफारिश की और 1912 में बैन हटा लिया गया।

आज के आधुनिक पेकिंग ओपेरा की बात की जायें तो 20वी शताब्दी के मध्य में पेकिंग ओपेरा को देखने वालों में काफ़ी गिरावट आई। इसके पीछे प्रदर्शन की गुणवत्ता में कमी और आधुनिक जीवन पर अपनी छाप छोड़ने में पारंपरिक ओपेरा रूप की अयोग्यता मुख्य कारण बताया गया है। पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव ने भी युवा पीढ़ी को पेकिंग ओपेरा की धीमी गति के साथ अधीर बना दिया है। इसके जवाब मे 1980 में कई सुधार देखे गए किन्तु उनका असर कम ही रहा। चीन में चैनेल CCTV-11 चीनी ओपेरा प्रस्तुतियों को प्रसारण करने के लिए समर्पित हैं। पेकिंग ओपेरा का फैलाव चीन के मुख्य भू-भाग के अलावा चीन के अंतगर्त क्षेत्र हांगकांग, ताइवान और मक्काऊ तक भी हैं।

पेकिंग ओपेरा मे संग मुख्य किरदार होता है जोकि मुख्य पुरूष के किरदार को कहा जाता है। इस किरदार मे कई छोटे किरदार होते है। लाओसंग एक गौरवशाली बुजुर्ग का किरदार होता है। यह किरदार काफ़ी शांत और सभ्य होता है और तर्क़संगत वस्त्र पहनता है। लाओसंग किरदार की तरह होंगसंग होता है, जोकि लाल-चेहरा वाला बुजुर्ग व्यक्ति होता है। एक नौजवान पुरूष के किरदार को शीयाओ-संग कहा जाता हैं। यह किरदार ऊँचे और कर्णभेदी स्वर मे गाता है। कि शीयाओ-संग के वस्त्र साधारण या अलंकृत हो।

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