श्रीमान् ह भविष्य मे स्कुल को विस्तृत करना, सरकारी व निजि स्त्रोतो से वित्पोषण निश्चित करना, और लीचियाँग क्षेत्र मे अन्य नाशी गाँवों मे स्कुल खोलने की आशा कर रहें है। वह कहते है कि उन्होंने अपने स्वर्गवासी मित्रो व शिक्षको से नाशी संस्कृति के प्रसार करने व सजीव रखने का वादा किया था।
"तोंगपा संस्कृति बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नाशी लोगो से आई है। हमने इसे प्राचीन भाषा बनाया, जिसमें काफी प्रयास लगे। काफी अन्य जातीय समूहों ने अपनी मुल भाषा खो चुके है, पर हम नाशी लोगो ने जिन्दा रखा। हम अभी तक हर एक शब्द का मतलब जानते है। हमें अनुमान लगाने की जरूरत नही होती। हम सभी शास्त्रीय शास्त्र को पढ़ सकते है, और ऊँचे स्वर मे गा सकते है। हम अब तक इस भाषा इस भाषा का प्रयोग करना जानते है। हमें विश्वास है कि यह संस्कृति बहुत अनमोल धरोहर है और संरक्षित किया जाना चाहिए ताकि हम आगे आने वाली पीढी़ को दे सके।"