अब हम जिनकी बात करने जा रहे है उनका तोंगपा संस्कृति का परिरक्षित करने मे बड़ा अहम् योगदान है। उनका का नाम है ह लिमीन।
वे तोंगपा संस्कृति लीचियाँग संस्थान में अनुसंधानकर्ता है। 1998 में ह लिमीन ने अपने गाँव मे घर के आगँन मे लोगो को तोंगपा संस्कृति पढ़ानी शु्रू की थी।
"तोंगपा संस्कृति लीचियाँग संस्थान एक गैर-सरकारी संगठन है जोकि मैनें स्वंय निधिबद्द किया हैं। कोई अन्य बाह्य वित्पोषण नही था। मैं और अन्य शिक्षकगण खाली समय में पढाते थे, इसलिए हमारा स्कुल रातकालिन स्कुल बन गया। हम खाली समय में तोंगपा संस्कृति फैलाने के लिए समर्पित है।"
तोंगपा संस्कृति के कई तत्व है- संगीत, एक लिखित भाषा है जो चित्रलिपि पर आधारित है, और रीति-रिवाजो से सम्पन्न जोकि श्रीमान् ह का मानना है कि यह विस्मृत के संकट में हैं।
"मेरे लिए सबसे अहम् बात यह है कि हम यहाँ नाशी सभ्यता का फिर से निर्माण कर रहें है। नाशी सभ्यता के सभी तत्वो को सुरक्षित रख पाना कठिन है जो पूर्व हुआ करते थे, पर हम उन सभी मुख्य भाग को सुरक्षित रखने की सर्वश्रेष्ठ कोशिश करते जो आज के समय मे हमारे समाज की जरूरत है। जैसे ही हम आधुनिक समाज से जो़ड़ने का रास्ता निकालते है, पारम्परिक संस्कृति बच सकती है। हमें अतीत मे नही फसँना चाहिए। हमें पारम्परिक तरीको को आधुनिक समाज के लिए अनुकूल बनाना है।"