जब यह घटना घटी तो उसके बाद एक साल तक मुझे आराम करना पड़ा। वू ने बड़े शांत भाव में घटना की चर्चा की, मंच पर बेहोशी की हालत में गिरने से मेरी छाती की हड्डी टूट गयी थी
वू का यह कहना तो बहुत मामली लग रहा है लेकिन उस समय यदि थोड़ी सी भी लापरवाही होती, तो वह लकवाग्रस्त बन सकती। लेकिन एक साल के आराम के बाद अब फिर से पहले जैसी वू फंग ह्वा हो गई है। उसके अभिनय में फिर से वही निखार आ गई है।
जब मंच पर अभिनय अपने चरम पर था, दर्शकों का जोश अपने पूरे शबाव पर था, तो उसी समय एक कलाकार ने हम से कहा कि वास्तव में पूरे साल इधर-उधर भागदौड़ कर अभिनय करना बहुत कष्टदायक भी है।
लेकिन कभी-कभी हमें बहुत अच्छा भी महसूस होता है क्योंकि हमारे दर्शक बहुत उत्साही हैं। वे हमारा उत्साह बढ़ाते हैं। कभी-कभी मैं सोचती हूं कि हमें गांव में आकर ही अभिनय करना चाहिए। गांव में आप बड़े-बूढ़ों, बच्चे-जवान को देखने पर बहुत अपनापन महसूस होता है। कभी-कभी लगता है कि गांव आना कष्टदायक है लेकिन फिर भी यहां पर बहुत प्यार मिलता है।
युए ओपेरा मंडली के नेता छन ने कहा कि हमारे प्रशंसक हमारी प्रेरक शक्ति हैं। एक बार हमलोग हांगकांग अभिनय करने गये थे। हमारे कुछ प्रशंसक नाटक देखने केलिए शांगहाई से हांगकांग पहुंच गए। वहां पर छह दिनों तक ठहरने के दौरान पांच दिन हमारा नाटक देखा। ये प्रशंसक बड़े-बुजुर्ग हैं। नौजवान प्रशंसक देश के भीतर ही हमारे साथ-साथ एक जगह से दूसरी जगह नाटक देखने के लिए भागते रहते हैं। यही प्रशंसक होते हैं। प्रशंसकों की शक्ति बड़ी होती है।
गांव में नाटक देखने के दौरान सौभाग्य से हमें एक प्रशंसक मिल गया जो कि चिया शिंग से नाटक देखने आया था। उन्होंने कहा कि मैं चिया शिंग से आया हूं। मैं एक दोस्त के साथ आया हूं। मैं चिया शिंग में व्यापार करता हूं इसलिए बहुत व्यस्त रहता हूं। उस दिन के अभिनय के बारे में उन्होंने कहा कि इस युए कला मंडली का अभिनय अच्छा है। कलाकार अच्छे गाते हैं इसलिए मैं आया हूं। अगर अच्छा अभिनय नहीं होता तो मैं नहीं आता।