अक्तूबर से लेकर चीनी वसंत त्योहार तक गांव में बहुत से नाटक ओपेरा आयोजित किया जाता है। वसंत त्योहार के समय नाटक की प्रस्तुति पहले से ही तय कर ली जाती है। किसी भी शुभ मुहुर्त के समय भी हमारे पास नाटक के बहुत से आर्डर आते हैं। उन्होंने आगे कहा कि विशेषकर वसंत त्योहार के समय हमारे पास बहुत सारे नाटक पहले से ही बुक कर लिए जाते हैं। वसंत त्योहार के समय नाटक आयोजन से आने वाली आय पूरे साल में आयोजित किए गए नाटकों से हुई आमदनी का आधा भाग बनती है। हमलोग वर्ष 2003 से वसंत त्योहार के समय गांव में नाटक का आयोजन करते आ रहे हैं। जब हमलोग किसी गांव में जाकर आयोजन करते हैं तो उसी समय ही वे लोग अगले साल के लिए हमारे कार्यक्रम बुक कर लेते हैं। जब हमलोग कहते हैं कि पैसा ज्यादा देना पड़ेगा, तो वे कहते हैं कि पैसे की कोइ बात नहीं है। कला बाजार गर्मागर्म हो गया है।
शाम को 7 बजे के आसपास, रंगमंच के आगे चारों तरफ गांववासियों की भरी भीड़ लगी थी। वहां पर खड़े होने की जगह भी नहीं रह गयी थी। ऐसा लग रहा था जैसे पैर रखने की जगह भी नहीं हो। बहुत सारे बच्चे मंच के पीछे दौड़-भाग लगा रहे थे, मंच के पीछे काम करने वाले लोग बच्चों को वहां से हटा रहे थे। आपेरा नाटक बच्चों और बड़ों के बीच कोलाहल और शोरगुल के साथ शुरू हुआ।
शावशिंग युए कला मंडली के उपनेता वू फंग हुआ ने कहा, युए ओपेरा का जन्मस्थान छंग चोउ में है, वहां अब 300 से ज्यादा नाटक मंडलियां हैं। हरेक नाटक मंडली का व्यवसाय जोरों पर चल रहा है। कलाकारों के लिए, गांवों में नाटक के आयोजन में कई प्राकृतिक कठिनाइयां भी हैं, हमें इन कठिनाइयों का समाधान करना होता है। वु फंग ह्वा भी शावशिंग के एक गांव में ही पैदा हुई थीं। उन्होंने भी नहीं सोचा था कि 30 साल बाद आर्थिक परिवर्तन गांव में नाटक के आयोजन के लिए इतना अच्छा बाजार लेकर आएगा। वह साल के लगभग छह महीनों के लिए गांवों में नाटक प्रदर्शित करेगी।
क्योंकि मैं एक गांव से हूं, शावशिंग के एक गांव से। 80 के दशक में ओपेरा अकादमी में दाखिला लेते ही गांव वासी शहरी वाला बन जाते थे। उस समय गांव की नागरिकता शहरी नागरिकता में बदलना एक बहुत बड़ी बात होती थी। उस समय कुल 10000 छात्रों ने परीक्षा में भाग लिया था और उसमें से सिर्फ पचास के आसपास छात्रों को ही अकादमी में प्रवेश मिल सका था।