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चीन यात्रा पर सौ भारतीय युवाओं के अनुभव
2012-09-25 16:35:31

वर्ष 2005 के अप्रैल में चीनी प्रधानमंत्री वन च्यापाओ ने भारत की यात्रा की थी, इस दौरान दोनों देशों के बीच सौ सौ युवाओं की आवाजाही के बारे में एक समझौता संपन्न हुआ। समझौते के मुताबिक हर साल चीन और भारत के सौ सौ सदस्यी युवा प्रतिनिधि मंडल एक दूसरे देश की दस दिवसीय यात्रा करेंगे। इस साल दोनों देशों के युवाओं के बीच हुए आदान-प्रदान का सातवां वर्ष है। जुलाई के माह में भारत के विभिन्न क्षेत्रों से आए एक सौ युवाओं ने भारतीय युवा और खेल मंत्रालय की सचिव सुश्री नीता चौधरी के नेतृत्व में चीन की राजधानी पेईचिंग, भीतरी मंगोलिया और ल्यो निंग प्रांत का दौरा किया।

10 दिवसीय यात्रा में इन युवाओं ने चीन के कई क्षेत्रों की यात्रा कर अपने इस पड़ोसी देश जो सुपरिचित सा भी है और अजनबी सा भी, को नजदीक से देखा और जाना समझा। परिणामस्वरूप भारतीय प्रतिनिधि मंडल के सभी सदस्यों को बड़ा सुखद अनुभव हुआ और उत्साह प्राप्त हो गया है।

पेइचिंग में भारतीय युवाओं ने विश्वविख्यात लम्बी दीवार का दौरा किया, पृथ्वी पर मानव द्वारा बनाये गए इस महान निर्माण को देखकर उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। गुजरात से आई सुखता इतना प्रभावित हुई कि उसे चीनी लोगों की मांग पर एक शास्त्रीय गीत के साथ एक पोप गीत भी गाया। वहां मौजूद चीनियों ने उस की तारीफ करते हुए कहा कि वह बॉलीवुड स्टार प्रतीत होती है। वास्तव में सुश्री सुखता संगीत कोर्स की छात्रा है। वह पहली बार चीन की यात्रा पर आई है, चीन आने के बारे में अपना अनुभव बताते हुए उसने कहाः

"सच बताऊं, तो जितना प्रचार माध्यमों से या किताबों से, और न्यूजपेपर में ऐसा जितना पता चलता है, चीन के बारे में वह सब बहुत जनरल है। पर यहां के लोगों का असली लाइफ़ क्या है? यह सब कुछ मुझे पता नहीं होता, मुझे चीम के बारे में बड़ी दिलचस्पी है। चीन आने के बाद मैंने देखा कि यहां के आम लोग कितनी मेहनत से जीते हैं और काम करते हैं। उन का जीवन तरीका भारत से बिल्कुल अलग है। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ है।"

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