पंकजः इन्होंने हमसे अपने पत्र को हमारे कार्यक्रम में शामिल करने का आग्रह किया है तो हम इन्हें ये बता दें कि हमारा कार्यक्रम आपका पत्र मिला है ही इसलिये कि आपके पत्रों को इसमें शामिल किया जा सके। इन्हें हमारा श्रोताओं से लिया जाने वाला इंटर्व्यू वाला कार्यक्रम भी काफी दिलचस्प और रोचक लगता है। इसके अलावा आपकी पसंद कार्यक्रम भी इन्हें काफी पसंद है। चंद्रिमा जी, अपने पत्र के अंत में राम कुमार जी दुखी होकर लिखते हैं कि हम इनके पत्र को अपने कार्यक्रम में शामिल नहीं करते हैं, लेकिन इस बार राम कुमार रावत जी की शिकायत ज़रूर दूर हो गई होगी, क्योंकि हमने इनके पत्र को अपने कार्यक्रम में शामिल कर लिया है।
चंद्रिमाः हमें अगला पत्र भेजा है राजेन्द्र बरियाह जी ने, और इन्होंने ये पत्र लिखा है उड़ीसा के बारगढ़ जिले के भटली गांव से। राजेन्द्र जी लिखते हैं कि वो हमारे नियमित श्रोता हैं और पूरे सप्ताह हमारे सभी कार्यक्रम सुनने की पूरी कोशिश करते हैं। हमारे कार्यक्रमों की प्रशंसा में ये लिखते हैं कि हमारे सभी कार्यक्रम विशेषता से परिपूर्ण हैं, और हमारे कार्यक्रम सुनने के बाद इन्हें कार्यक्रम के बारे में जानने की और भी अधिक जिज्ञासा होती है। राजेन्द्र जी ने हमारे द्वारा प्रसारित किये जाने वाले कुछ कार्यक्रमों के बारे में बताया है जो इन्हें बहुत अच्छे लगते हैं। जैसे टॉप 5, चीन का तिब्बत, आपकी पसंद, श्रोताओं का मंच, और खेल जगत। इन कार्यक्रमों को ये बहुत लगाव के साथ सुनते हैं और अपने पत्र के अंत में राजेन्द्र जी ने हमसे हमारी पत्रिका श्रोता वाटिका भेजने के लिये आग्रह किया है, तो राजेन्द्र जी हम आपको बता दें कि हम आपके लिये श्रोता वाटिका पत्रिका अवश्य भेजेंगे, क्योंकि ये पत्रिका हम आपके लिये ही छपवाते हैं और इस पत्रिका की विशेषता यह है कि इसमें आपसे जुड़े समाचार और भेजी गई सामग्रियां भी छापी जाती हैं। शायद इसलिये भी हमारे श्रोताओं को हमारी पत्रिका श्रोता वाटिका बहुत पसंद आती है।
पंकजः अगला पत्र हमारे पास उत्तराखंड के देहरादून शहर से आया है और इसे लिखा है हरिशंकर सैनी जी ने, ये पेशे से पत्रकार हैं। हरिशंकर जी हमारे कार्यक्रम में आपका स्वागत है, आपने अपने पत्र के माध्यम से सीआरआई का सदस्य बनने की इच्छा व्यक्त की है और आप लिखते हैं कि आप हमसे जुड़ना चाहते हैं। हरिशंकर जी, आप को हमारे सी.आर.आई. के बड़े परिवार का सदस्य बनने पर हार्दिक स्वागत है। अगर आप नियमित रूप से हमसे जुड़ना चाहते हैं, तो सबसे अच्छा तरीका तो हमें पत्र लिखना है। पत्र में आप हमारे हिन्दी कार्यक्रम की चर्चा कर सकते हैं, अपनी रचनाएं या फ़ोटो हमें भेज सकते हैं। अगर हो सकता है, तो आप एक श्रोता क्लब की स्थापना भी कर सकते हैं। यह तो और भी अच्छा होगा। और हम आप के अगले पत्र की प्रतीक्षा में हैं।
चंद्रिमाः पंकज जी, अगला पत्र हमें लिखा है कोडरमा झारखंड से हमारी चिर परिचित श्रोता अनुभा जी ने और इन्होंने पत्र की शुरुआत में ही हमें श्रोता वाटिका पत्रिका भेजने के लिये धन्यवाद दिया है। साथ ही ये लिखती हैं कि इनका क्लब सक्रिय है, तो हम अनुभा जी से आग्रह करेंगे कि आप अपने कल्ब के माध्यम से जो भी गतिविधियां आयोजित करती हैं, कृपया हमें उसकी जानकारी अवश्य भेजें, जैसे फोटो, पत्र और जो कार्यक्रम आपने आयोजित किया है, उसके बारे में संक्षेप विवरण भी। ये सभी सामग्री हम अपनी पत्रिका श्रोता वाटिका में छापेंगे, जिससे हमारे बाकी श्रोताओं को आपके द्वारा आयोजित गतिविधियों के बारे में पूरी जानकारी मिल सके।