पंकजः हमारे अगले श्रोता हैं समत कुमार अवस्थी, जिन्होंने हमें गांव सालपुर, जिला सीतापुर, उत्तर प्रदेश से पत्र लिखा है और ये हमें अंग्रेज़ी में पत्र लिखते हैं। तो समत जी आपने हमें हिन्दी के बजाय अंग्रेज़ी में पत्र क्यों लिखा जबकि हम तो अपने सभी श्रोताओं के पत्र हिन्दी में पढ़कर सुनाते ही हैं। आप हमें आगे भी पत्र लिखें और हिन्दी में ही लिखें। आपने हमें अपने बारे में बताया है कि आप कई तरह की पत्रिकाएं पढ़ने का शौक रखते हैं, जिनसे आपको ढेर सारी जानकारियां मिलती हैं और अपने पत्र में आपने मेसेंजर नाम की मैगज़ीन का जिक्र किया है। जिसमें आपको जानकारी के साथ साथ सुंदर सुंदर चित्र भी देखने को मिल जाते हैं। और आपने हमसे इस पत्रिका को भेजने की मांग की है। तो समत जी हम तो अपने श्रोताओं को सिर्फ हमारे यहां प्रकाशित होने वाली पत्रिका श्रोता वाटिका ही भेजते हैं और हम आपको बता दें कि श्रोता वाटिका में भी ढेर सारी जानकारी होती है और इस पत्रिका में भी सुंदर सुंदर चित्र होते हैं जो कि काफी आकर्षक लगते हैं। समत जी हम आपको अपनी पत्रिका श्रोता वाटिका ज़रूर भेजेंगे, और इसे पढ़ने के बाद आप हमें पत्र के माध्यम से या फिर आप हमारी वेबवाइट हिन्दी डॉट सीआरआई डॉट सीएन पर जाकर वहां भी अपनी राय दर्ज कर सकते हैं। वेबसाइट पर लिखने का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि हमें आपके द्वारा भेजी गई प्रतिक्रिया मात्र दो या तीन सेकेंड में मिल जाएगी।
चंद्रिमाः हमें अगला लिफाफा भेजा है हरियाणा के रोहतक ज़िला से। इसे भेजा है नरेश चावला जी और राजू चावला जी ने। इन्होंने अपने रेडियो लिस्नर्स क्लब यानी रोहतक रेडियो श्रोता संघ के सदस्यों के नाम हमें लिख भेजे हैं और साथ में दो फोटोग्राफ भी भेजे हैं। पंकज जी लगता है कि हमारा कार्यक्रम लोगों के बीच इनता पसंद किया जा रहा है कि लोग हमसे बहुत ही आत्मीयता और अपनेपन से जुड़ते जा रहे हैं। हम नरेश जी और राजू जी को बता दें कि इनके द्वारा भेजी गई तस्वीरों को हम अपनी पत्रिका श्रोता वाटिका में भी छापेंगे। जिससे आप दोनों हमारे दूसरे श्रोताओं से भी जुड़ सकें। और आपसे हम यही कहना चाहेंगे कि आप हमें ऐसे ही पत्र भेजते रहें, क्योंकि आपके पत्र हमारे लिये एक मित्र होने का आभास दिलाते हैं और हमारे कार्यक्रमों को नई दिशा देते हैं।
पंकजः हमारे अगले श्रोता हैं रजत कुमार जी। इन्होंने हमें पत्र लिखा है भूड़ बरेली उत्तर प्रदेश से। इन्होंने हमें पत्र लिखा नहीं है बल्कि छपा हुआ पत्र भेजा है जिसपर सबसे ऊपर लिखा है क्रांतिकारी छात्र परिषद। हालांकि ये पत्र हमें बहुत देर से मिला है लेकिन रजत जी ने हमें वर्ष 2012 की शुभकामनाएं भेजी हैं और इस पत्र में सभी से श्रवण कुमार बनने का आग्रह किया गया है। पत्र में लिखा है कि जिसने अपने माता पिता की सेवा की है उसे किसी दूसरी पूजा की आवश्यकता नहीं है, जो काम करेगा उसे चोरी की आवश्यकता नहीं होगी, तीर्थ यात्रा करने से बड़ा काम दूसरों पर उपकार करना है और बुरे कर्मों का त्याग करो तभी तुम्हें ईश्वर स्वीकार करेगा। चंद्रिमा जी इन्होंने भारतीय दर्शन को माध्यम बनाकर लोगों से सदमार्ग पर चलने का आह्वान किया है। बल्कि मैं तो यही कहूंगा कि ये भारतीय दर्शन नहीं विश्व के किसी भी देश, धर्म या दर्शन में जाएं सभी जगह ये बातें कही गई हैं। और हमें इन बातों को अपने जीवन में ढालना चाहिये, जिससे हम अपने कर्मों से दूसरों को सुख दे सकें।