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विकास की यादें
2012-10-11 15:36:36

पंकजः उन्होंने आगे लिखा है कि CRI -हिन्दी सेवा के विशाल सागर में श्री विकास सिंह अब एक जाना पहचाना नाम हैं। वे केवल एक हिन्दी भाषा विशेषज्ञ ही नहीं, एक चीनी विशेषज्ञ भी हैं। जिस सरल तरीके से वह CRI हिन्दी कार्यक्रम के लिए काम करते रहे हैं, वह अत्यधिक सराहनीय है। रेडियो कार्यक्रम के लिए उनका ईमानदार प्रयास, विशेष रूप से "चीन का भ्रमण" कार्यक्रम के लिए सालों से हम लोग सराहना करते आये हैं। यह तो उनकी तारीफ है, जिनकी मधुर आवाज से यह कार्यक्रम और अधिक रंगीन और जीवित होता है, और हम कोई कीमत खर्च किए बिना अपनी दृष्टि से आपके महान देश की यात्रा करते हैं। यह वही श्री विकास सिंह जी हैं, जो हमारे पसंदीदा कार्यक्रम "आप का पत्र मिला" के माध्यम से चीनी मेज़बान श्रीमती चंद्रिमा जी के साथ अपनी अनूठी प्रस्तुति से हमें चीन के और करीब लाने का प्रयास करते हैं। वह सही मायने में चीन और भारत के बीच शांति और दोस्ती के एक राजदूत है।

चंद्रिमाः इसके बाद वे लिखते हैं कि यहाँ पर मैं आप का ध्यान आकर्षित करता हूँ कि अभी तक चीन के मैत्री पुरस्कार से किसी भी भारतीय को सम्मानित नहीं किया गया है। मुझे लगता है कि श्री विकास सिंह जी ने चीन और हिन्दी भाषी लोगों के बीच दोस्ती के सेतु के रूप में काम करने के लिए एक निर्णायक भूमिका निभाई है। वे वास्तव में चीनी संस्कृति और इतिहास की आकाशगंगा में एक गहना हैं। मैं यह भी निवेदन करता हूँ कि आप श्री विकास सिंह को हमारे पसंदीदा कार्यक्रम "आपका पत्र मिला" में एक विशेष अतिथि के रूप में वापस लाने का कष्ट करें। अंत में मैं यही बोलना चाहता हूँ कि हिंदी चीनी भाई भाई। रविशंकर बसु जी, हम ज़रूर आप के सुझावों पर गौर करेंगे, और संबंधित विभागों से आप की राय बताएंगे। और अगर विकास जी ने सी.आर.आई. का दौरा फिर करेंगे, तो हम ज़रूर उन्हें हमारे आप का पत्र मिला कार्यक्रम में आमंत्रित करके श्रोताओं से कुछ बातें करेंगे। ठीक है न?

पंकजः चंद्रिमा जी, मेरे पास भी एक पत्र है, जिस में विकास जी की खूब तारीफ़ की गयी। वह है पुपरी, सीतामढ़ी, बिहार के राजबाग रेडियो लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष अतुल कुमार द्वारा लिखा गया है। उन्होंने लिखा है कि नमस्कार मित्रों, बुधवार को प्रसारित पत्रोतर कार्यक्रम में चंद्रिमा जी और स्वयं विकास जी की जुबानी यह जानने को मिला कि विकास जी हम सभी श्रोताओं को छोड़ कर सी.आर.आई. हिंदी सर्विस से जा रहें हैं। यह सुनकर बहुत ही बड़ा झटका लगा हम श्रोताओं को। इतना लंबा सफर यूँ ही एक पल में खत्म हो जाना स्वीकार नहीं हो पा रहा है। उनकी कमी हमें काफी खलेगी पर क्या किया जा सकता है। हर व्यक्ति दुनियादारी और जिम्मेवारी से बंधा है सो मनुष्य को साहस से काम लेना चाहिए। हमें यह जानकारी पाकर कुछ हद तक संतोष हुआ कि वह अभी चीन में ही रहेंगे अपने अध्ययन के सिलसिले में सो कभी कभार उनसे हमारी मुलाकात भेंटवार्ता के द्वारा करा दिया करेंगे। विकास जी को हम श्रोताओं की ओर से ढेर सारा शुभ प्यार और स्नेह। अंत में मैं सिर्फ यही कहना चाहता हूँ की "चलते-चलते मेरे ये गीत याद रखना कभी अलविदा नहीं कहना कभी अलविदा नहीं कहना" विकास जी ! किसी ना किसी मोड़ पे हम फिर मिलेंगे।

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