चंद्रिमाः विकास जी, अभी आपने जो बताया है, वह चीन का परंपरागत वसंत मेला है। मेले में रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुति के अलावा स्टीम बन और चावल के दलिया का दान भी किया जाता है। क्या आप ने स्टीम बन लिया है ?
विकासः जी हां, सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद वहां पर स्टीम बन या डंपलिंग तथा चावल का दलिया भी बांटा जा रहा था। मैंने भी दोनों सामान लिया और खाया भी।
चंद्रिमाः ओह, सच?तो उसका स्वाद कैसा था?
विकासः स्वाद बहुत अच्छा था। खासकर बन के साथ जो पैकेट वाली सब्जी दिया गया था वह बहुत ही स्वादिष्ट था।
चंद्रिमाः विकास जी, आप शायद नहीं जानते हैं कि वह स्टीम बन तो मंदिर में दान के रुप में दिया जाता है। इसलिये वह एक साधारण बन नहीं है, वह एक जादू भरा बन है। उसे खाकर आपको ज़रूर कोई शुभ समाचार मिलेगा।
विकासः मैं भी ऐसी आशा करता हूं। जब आप ने शुभ बातों की चर्चा की है, तो मुझे उसी दिन की एक और दिलचस्प बात याद आ रही है।
चंद्रिमाः क्या बात है?
विकासः उसी दिन हमने सिक्के से घंटी बजाने का खेल भी खेला। श्रोता दोस्तो, वह खेल बहुत दिलचस्प है। एक घर में एक बड़ा सा घंटा बंधा होता है, घंटे के आगे एक पीतल का चोकोर टुकड़ा होता है जिसके बिचोबीच एक छिद्र होता है। इसी छिद्र से होकर सिक्के की मदद से घंटा को बजाया जाता है। हरेक बार जब आप इस छिद्र से होकर घंटा बजाने में सफल होते हैं तो यह बहुत ही शुभ का सूचक होता है।
चंद्रिमाः तो आपने कितने सिक्के फेंककर घंटा को बजाया ?
विकासः देखने में तो यह खेल बहुत आसान लग रहा था लेकिन जब मैं खेलने लगा तो मुझे पता चला कि यह तो बहुत कठिन था। मैं सिर्फ पांच बार ही बजा पाया। और चंद्रिमा जी आपने कितनी बार घंटा बजाया?
चंद्रिमाः उस समय आप की शरारत से मैं केवल एक बार ही बजा पायी। आप भूल गये क्या?
विकासः ओह, माफ़ कीजिये चंद्रिमा जी। उस समय तो मैं उस खेल का मजा बढ़ा रहा था। बाकी तो कुछ भी नहीं किया।
चंद्रिमाः हां-हां, आप के ख्याल से खेल से किसी व्यक्ति का ध्यान भंग करना शरारत नहीं है?आप की शरारत की वजह से मैं अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पायी।
विकासः हा-हा-हा, क्योंकि आप पूरा ध्यान इस खेल में नहीं था, इसलिये ऐसा परिणाम प्राप्त हुआ। यह तो मेरी गलती नहीं है। ठीक है न?
चंद्रिमाः अच्छा, अच्छा, मैं तो आप के साथ वाद-विवाद नहीं कर सकती हूं। हालांकि मैं केवल एक बार ही जीत पायी, फिर भी मैं बहुत खुश हूं, कम से कम अच्छा परिणाम तो मिला है।
विकासः अच्छा, अब हम अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस से प्राप्त हमारी खुशी श्रोताओं के साथ बांटने के लिये एक मधुर गीत पेश करेंगे। ठीक है न?चंद्रिमा जी।
चंद्रिमाः बिल्कुल ठीक है। यह गीत भी श्रम से जुड़ा हुआ एक बाल गीत है। जिस के बोल हैं श्रम सब से गौरव है। इस में बच्चे ने यह गाया है कि सूर्यकिरण बहुत रोशनीदार है। मुर्गा सुबह का गाना गा रहा है। फूल नींद से उठ गये, चिड़ियां भी अपने शरीर को साफ़ करने में व्यस्त हैं। मैगपाई नये घर बना रहे हैं, और मधुमक्खी शहद इकट्ठे करने में व्यस्त हैं। सुखमय जीवन कहां से है?वह जो श्रम द्वारा पैदा हुआ है। हरी हरी पत्ते और लाल लाल फूल कितनी सुन्दर दिखते हैं। तितलियां इधर-उधर खेलती हैं। उन्हें श्रम व पढ़ाई तो नहीं पसंद है। इसलिये हमें तितली की तरह नहीं होना चाहिए। हमें मैगपाई से घर बनाने को सीखना चाहिए, और मधुमक्खी से शहद इकट्ठे करने को सीखना चाहिए। श्रम का आनन्द सीमित नहीं है, श्रम सब से गौरव की बात है।