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अगर जिन्दगी एक कंप्यूटर होती
2012-04-27 10:22:07

चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। आज हम फिर मिलते हैं आप का पत्र मिला कार्यक्रम में। चंद्रिमा आप सभी का हार्दिक स्वागत करती है।

विकासः आप सभी को विकास का भी नमस्कार , आप सभी लोगों का स्वागत है।

चंद्रिमाः श्रोता दोस्तो, पिछले कार्यक्रम में हमने हिन्दी विभाग के नये उदघोषक पंकज श्रीवास्तव जी को स्टूडियो में आमंत्रित कर आप का पत्र मिला कार्यक्रम में शामिल किया। और उन्होंने सीधे से कुछ श्रोताओं के पत्रों का जवाब दिया। इस कार्यक्रम के प्रसारण के बाद कुछ श्रोताओं ने अच्छी प्रतिक्रिया दी है।

विकासः जी हां, जैसे इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश के इण्टरनेशनल फ्रेण्डस क्लब के श्रोता रवि श्रीवास्तव ने हमारे वेब पर यह लिखा है कि आपका पत्र मिला कार्यक्रम को इंटरनेट पर सुना। हिन्दी विभाग के नए सहयोगी मित्र पंकज जी का परिचय पाकर प्रसन्नता हुई। यद्यपि मेरी तकलीफ ये है कि मैं रेडियो पर कार्यक्रम बिल्कुल नहीं सुन पाता हूँ क्योंकि इतना वक्त नहीं होता है। लेकिन हाँ! इंटरनेट पर तो नियमित ही वेबसाइट सुनने-पढ़ने को मिल जाती है।

चंद्रिमाः साथ ही उन्होंने यह भी लिखा है कि पंकज जी को पत्रकारिता का एक लम्बा अनुभव है और उम्मीद है सीआरआई के कार्यक्रमों में भी यह मिलेगा। हम बांगला नव वर्ष पर आप सभी को दिली बधाई देते हैं साथ ही पंकज जी का स्वागत व अभिनंदन करते हैं।

विकासः बाड़मेर राजस्थान के हमारे श्रोता कृपा राम कागा ने हमें भेजे संदेश में यह लिखा है कि पंकज जी की बातचीत अच्छी लगी, आप सब को धन्यवाद।

चंद्रिमाः इस संदेश में उन्होंने यह शिकायत भी की है कि मैं चाइना रेडियो इंटरनेशनल का नियमित श्रोता हूं। मैंने पहले कई ईमेल पत्र लिखे, मगर आपने कार्यक्रम में शामिल नहीं किया। मैं चिंतित हूं कि आप मेरे पत्र को शामिल नहीं करते, केवल दूसरे श्रोताओं के पत्र पढते हैं और श्रोता वाटिका भेजते हैं। क्या मैं आपका श्रोता नहीं हूं?आप मुझे बता दें कि पत्र मत लिखें तो मैं नहीं लिखूंगा। और मैं बुधवार को मेरे पत्र का जवाब सुनने के लिए रेडियो नहीं छोड़ूंगा। आशा है जरूर शामिल करेंगे।

विकासः कृपाराम जी, बेशक आप हमारे एक श्रोता हैं, और एक सक्रिय श्रोता भी हैं। क्योंकि हर दिन हमें बहुत श्रोताओं के पत्र मिलते हैं। और आप का पत्र मिला कार्यक्रम में हर पत्र का जवाब देना असंभव है। इसलिये कुछ श्रोताओं के पत्र ज़रा देर से हमारे कार्यक्रम में शामिल हो पाता है। तो इस की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, और पत्र लिखना मत छोड़िये। क्योंकि आपका पत्र ही हमारा हौसला बढ़ाता है और कार्यक्रम को बेहतर बनाने के लिए सुझाव भी मिलता है। आज के कार्यक्रम में हमने आपके पत्र को शामिल भी किया है।

चंद्रिमाः जी हां, मेरे ख्याल से अब वे ज़रूर खुश होंगे। श्रोता दोस्तो, क्योंकि पिछले कार्यक्रम की शैली को श्रोताओं का समर्थन मिला है। इसलिये आज हमने एक और मेहमान को स्टूडियो में आमंत्रित किया है।

विकासः अब हम तालियों से आपकी पसंद कार्यक्रम के होस्ट अनिल भाई का स्वागत करते हैं।

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