विकासः चलें मधुर गीत सुनने के बाद और एक पत्र हमारे सामने आया। वह शाहाबाद मरकंदा, हरियाना के इंटरनॅशनल रेडियो लिसनर्स फ्रेंडशिप आंड फ्रॅटरनिटी क्लब के अध्यक्ष मितुल कंसल द्वारा लिखा गया।
चंद्रिमाः इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि सी.आर.आई. की हिंदी सेवा के सभी सदस्यों और श्रोताओं को मितुल कंसल का प्यार भरा नमस्कार ! आज मैं आपको इस पत्र के माध्यम से अपने क्लब के बारे में कुछ बताना चाहता हूँ। इसका नाम "इंटरनॅशनल रेडियो लिसनर्स फ्रेंडशिप आंड फ्रॅटरनिटी क्लब" है। इसकी स्थापना वर्ष २००९ में मेरे और मेरे सहयोगियों द्वारा की गयी थी। हमारे कलब का उद्देश्य सी आर आई के प्रोग्राम सुनना, लोगों को सी आर आई के बारे में जानकारी देना व इसकी प्रतियोगिताओं में भाग लेना है। इसके साथ साथ हम लोग कुछ सामाजिक कार्य भी करते हैं जैसे रक्तदान, आदि। क्लब में कुल ४२८ सदस्य हैं। हमारा क्लब फेसबुक डॉट कॉम पर भी उपलब्ध है जहाँ पर दुनिया भर के श्रोता अपने विचारों का आदान प्रदान कर सकते हैं।
विकासः वाह, मितुल कंसल साहब, आप का कल्ब सचमुच एक बड़ा सा कल्ब है। और हमारे सी.आर.आई. का प्रसार-प्रचार करने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।
चंद्रिमाः विकास जी, इस पत्र में मितुल साहब ने यह शिकायत भी की कि उन के कल्ब को श्रोता वाटिका का नया अंक प्राप्त नहीं हुआ है। उन के साथ हैं मोतीहारी बिहार के ब्राईट स्टार रेडियो क्लब के सचिव रामबाबू कुमार ने भी यह लिखा है कि कृप्या उनके कल्ब को सी.आर.आई. के मेल लिस्ट में डाल दें, और नियमित रुप से उन्हें सामग्री भेजें।
विकासः यहां हम आप दोनों को यह बताना चाहते हैं। आप दोनों के कल्बों को हमारे मेल लिस्ट में डाल दिया गया है। लेकिन पिछली बार जब हमने डाक से श्रोता वाटिक भेजा था, तो एक संबंधित विभाग की गलती से कुछ श्रोताओं को हमारी पत्रिका नहीं मिली। शायद आप दोनों कल्ब भी उन्हीं में से हैं।
चंद्रिमाः यह बहुत अफ़सोस की बात है। पर चिंता मत कीजिये, श्रोता वाटिका का नया अंक जल्द ही भेजा जाएगा, इस बार आप लोगों को इस पत्रिका को ज़रूर मिल जाएगा।
विकासः लखनऊ, उत्तर प्रदेश के युवा दर्पण युथ क्लब के सचिव रविंद्र कुमार शुक्ला ने हमें भेजे पत्र में यह सूचना दी है कि मुझे सी.आर.आई. बहुत पसंद है। और सी.आर.आई. की 70वीं वर्षगांठ से जुड़ी ज्ञान प्रतियोगिता में मुझे दूसरा पुरस्कार मिलने की खबर आप का पत्र मिला कार्यक्रम में सुनाई गयी। लेकिन 13 अप्रैल 2012 तक मुझे डाक से यह पुरस्कार नहीं मिला। पर सुना है कि अन्य पुरस्कार विजेताओं को अपना-अपना पुरस्कार मिल गया है। क्या आप लोग मेरे पुरस्कार का हाल बता सकते हैं?
चंद्रिमाः प्रिय रविंद्र कुमार शुल्का जी, यह पढ़कर हमें भी बहुत अफ़सोस है। हमने जनवरी की 19 तारीख को सी.आर.आई. की 70वीं वर्षगांठ प्रतियोगिता के सभी पुरस्कार भेज दिये हैं। और बहुत श्रोताओं ने इसे प्राप्त करके हमें धन्वयाद पत्र भी भेज दिया। शायद किसी कारण से आप का पुरस्कार आप के पास नहीं पहुंचा, और हमारे पास भी वापस नहीं आया। यह सचमुच एक बड़ी समस्या है, क्योंकि हर बार जब हम पुरस्कार भेजते हैं, तो कुछ श्रोताओं के पुरस्कार भारत पहुंचने के बाद गायब हो जाते हैं। और अभी तक हमारे पास इस समस्या का समाधान करने का कोई अच्छा उपाय नहीं है।
विकासः जी हां, यहां तक कि रेजिस्टेट पत्र भी ऐसी स्थिति में है। कई बार हमने रेजिस्टेट नंबर श्रोताओं को बताया, और वे नंबर लेकर डाकघर से अपना पत्र मांगा, पर कोई जवाब नहीं मिला। श्रोता दोस्तो, अगर आप लोगों के पास इस समस्या का हल करने का अच्छा उपाय है, तो हमें ज़रूर बताइये। क्योंकि उपहार खरीदने और भेजने में खर्च होता है।
चंद्रिमाः और एक खबर मैं उन श्रोता कल्बों को बताना चाहती हूं, जिन्हें श्रेष्ठ श्रोता कल्ब के रूप में चुना गया। पिछले के एक कार्यक्रम में हमने बताया कि हम ने छह श्रेष्ठ श्रोता कल्बों को चुना गया और उन्हें पार्सल द्वारा कुछ उपहार व एक प्रमाण पत्र भेजा गया है। लेकिन उन श्रोता कल्बों के अध्यक्षों ने हमें ई-मेल भेजकर बताया कि आजतक उन्हें कोई उपहार नहीं मिला। संबंधित विभागों से पूछने के बाद पता चला है कि ये पार्सल अभी हांगकांग में हैं, और भारत नहीं पहुंचा है। इसलिये चिंता मत कीजिये, वे गायब नहीं हैं, केवल रास्ते पर हैं। और हम लगातार उन पार्सल पर ध्यान देते रहेंगे।
विकासः जी हां, श्रेष्ठ कल्बों के सभी अध्यक्ष, अगर आप लोगों को यह पार्सल मिला है, तो हमें भी बताइये। ताकि हमारी चिंता भी इस पर दूर हो सके। इस पत्र के साथ आज का आप का पत्र मिला कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप इसे पसंद है या नहीं हमें ज़रूर बताएंगे। अब विकास व चंद्रिमा को आज्ञा दें, नमस्कार।
चंद्रिमाः नमस्कार।