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बंगला नववर्ष की शुभकामनाएं
2012-04-19 09:21:59

चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। आप का पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी बहनों व भाइयों को चंद्रिमा का प्यार भरा नमस्कार।

विकासः विकास का भी प्यार भरा नमस्कार।

चंद्रिमाः श्रोता दोस्तो, आज कार्यक्रम में सबसे पहले हम ने एक नये दोस्त को स्टूडियो में आमंत्रित किया है।

विकासः जी हां, वे हैं पंकज श्रीवास्तव जी, हमारे हिन्दी विभाग के नये भारतीय कर्मचारी। तो पंकज भाई, आप हमारे श्रोताओं को नमस्ते कहिये न?

पंकजः आप का पत्र मिला कार्यक्रम के सभी श्रोताओं को नमस्कार। आज मैं बहुत खुशी के साथ इस कार्यक्रम में मौजूद हूं। आशा है मैं आप लोगों के साथ कुछ आनंदमय पल बिता सकूंगा।

चंद्रिमाः पंकज जी, आप का हार्दिक स्वागत है, न सिर्फ़ हमारे स्टूडियो में आने के लिये बल्कि हमारे सी.आर.आई. हिन्दी विभाग में काम करने के लिये भी।

पंकजः बहुत बहुत धन्यवाद। आज मुझे इस कार्यक्रम में शामिल करने और हमारे सभी श्रोताओं से बातें करने का एक मौका देने के लिये आप दोनों का भी बहुत बहुत धन्यवाद।

विकासः पंकज जी, आप शायद नहीं जानते हैं कि पिछले कार्यक्रम में जब हमने श्रोताओं को यह सूचना दी कि हमारे ऑफ़िस में एक नये भारतीय कर्मचारी भारत से अभी अभी आये हैं, तो कुछ श्रोता तो आपके प्रति बहुत उत्सुक थे। जैसे हमारे मॉनिटर छत्तीसगढ़ के ग्रीन पीस डी-एक्स क्लब के अध्यक्ष चुन्नीलाल कैवर्त ने हमें भेजे पत्र में यह लिखा है कि आप का पत्र मिला कार्यक्रम में सी.आर.आई.के नए उद्घोषक पंकज श्रीवास्तव से जरूर मिलवाना चाहिए था। जब भी सी.आर.आई. के परिवार में नए सदस्य का आगमन हो या पुराने सदस्य हमसे विदा ले रहे हों, तब उनका इन्टरव्यू जरूर-जरुर सुनवा दिया करें। इससे श्रोता बहुत खुश होंगे।

चंद्रिमाः तो पंकज जी, क्या आप हमारे श्रोताओं को अपने बारे में कुछ परिचय दे सकते हैं?

पंकजः दोस्तों मैं भारत में पिछले 12 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा रहा हूं। मैंने अपने व्यावसायिक जीवन की शुरुआत भारत के मशहूर टीवी न्यूज़ चैनल ज़ी न्यूज़ से की । इसके बाद मैंने कुछ छोटे मोटे प्रोडक्शन हाउस में काम किया। जब यहां काम नहीं मिला तो मुंबई फिल्म उद्योग चला गया कुछ टीवी सीरियलों में मैंने निर्देशन में हाथ आज़माया। लेकिन दिल्ली ने मुझे वापस बुलाया और फिर मैंने सहारा समय में काम किया यहीं पर मैं न्यूज़ ऐंकर या कहें टीवी में समाचार वाचक का काम करने लगा। इसके बाद पी 7 और फिर न्यूज़ एक्सप्रेस में भी प्रोड्यूसर और एंकर के पद पर काम कर रहा था।

विकासः अच्छा, पंकज जी, पिछले हफ्ते में आपने दक्षिण एशिया फ़ोकस में एक कार्यक्रम पेश किया। शीघ्र ही हमारे कुछ श्रोताओं ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। केसिंगा ओड़िशा के सुरेश अग्रवाल तो उन में से एक हैं।

चंद्रिमाः जी हां। हमारे सक्रिय श्रोता सुरेश जी ने हमें भेजे ई-मेल में आप की खूब प्रशंसा की। उन्होंने लिखा है कि 13 अप्रैल. शाम साढ़े छह बजे के प्रसारण में तमाम कार्यक्रमों के अलावा नई आवाज़ के साथ कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" सुना तो ख़ुशी का ठिकाना न रहा। जी हाँ, पंकज श्रीवास्तव की आवाज़ वास्तव में इतनी सुस्पष्ट और सधी हुई लगी कि कार्यक्रम सुनने का मज़ा दुगुना हो गया। मैं तहे दिल से अपने नए साथी का सीआरआई के स्टूडियो में स्वागत करता हूँ। मेरा यह कहना कतई नहीं कि अन्य प्रसारकों की आवाज़ अच्छी नहीं, बल्कि मेरा आशय इतना है कि नए साथी का चयन बहुत उत्तम है।

विकासः साथ ही उन्होंने यह भी लिखा है कि कार्यक्रम में पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी की एक दिवसीय भारत-यात्रा पर वरिष्ठ पत्रकार त्रिवेणी प्रसाद पाण्डे के विचार सुने,जो कि बहुत अच्छे लगे। वास्तव में आज के दौर में युद्ध और टकराव के लिए कोई जगह नहीं है और बातचीत का दौर कभी समाप्त नहीं होना चाहिए। परन्तु यह भी एक कटु सत्य है कि चलती उसी की है जो सक्षम है, हम और आप सिद्धांतों की चाहे जितनी बातें क्यों न करें। मैं १९७१ से भारत-पाक अथवा भारत-चीन संबंधों पर नज़र रखता आया हूँ, वास्तविकता यही है कि-जिसकी लाठी उसकी भैंस। बहरहाल,विचारोत्तेजक प्रस्तुति हेतु हार्दिक धन्यवाद्।

पंकजः सब से पहले सुरेश जी आपको हमारा कार्यक्रम सुनने के लिये धन्यवाद। आपने लिखा है कि हमारा कार्यक्रम आपको पसंद आया। दक्षिण एशिया फोकस बहुत मेहनत से बनाया जाता है और मेरी प्राथमिकता इस कार्यक्रम को एक नया आयाम देने की होगी साथ ही इस कार्यक्रम को और दिलचस्प बनाने की भी होगी । भविष्य में भी मैं आपको भारत के अनुभवी और प्रतिभाशाली पत्रकारों और विशेषज्ञों की राय के साथ ही कार्यक्रम सुनवाउंगा जिससे विषय पर आपके ज्ञान में बढ़ोतरी हो सके।

चंद्रिमाः अच्छा, पंकज जी, आप का बहुत बहुत धन्यवाद अपने मूल्यवान् समय का प्रयोग कर हमारे कार्यक्रम में शामिल होने के लिये।

विकासः तो श्रोता दोस्तो, पत्रों का सिलसिला जारी रखने से पहले हम पंकज से बिदा लेते हैं। क्योंकि वे इस हफ्ते के दक्षिण एशिया फ़ोकस कार्यक्रम की तैयारी में व्यस्त हैं।

चंद्रिमाः पंकज जी, आशा है आप हमारे श्रोताओं के लिये ज्यादा से ज्यादा अच्छे कार्यक्रम बना सकेंगे।

पंकजः ज़रूर, हमारे श्रोताओं के लिये इस कार्यक्रम को बेहतर बनाने के लिये मैं पूरी कोशिश करूंगा। जिससे हमारे श्रोता भी कार्यक्रम से ज्ञान वर्धन कर सकें।

विकासः और अगर समय हो, तो हमारे कार्यक्रम में फिर से श्रोताओं से बातचीत करने का स्वागत है। नमस्कार।

पंकजः नमस्कार।

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