चंद्रिमाः मेरे पास एक पत्र है, जो देशपाल सिंह सेंगर का है। इस में उन्होंने लिखा है कि प्रिय मित्र विकास, सप्रेम नमस्ते। आजकल आप के और चंद्रिमा के द्वारा प्रस्तुत आप का पत्र मिला कार्यक्रम सुना, जिसमें चंद्रिमा ने चीन के एक त्योहार के बारे में बताया, जिसे चांद के हिसाब से मनाया जाता है। आगे पत्रों के सिलसिले के रुप में आपने सिर्फ़ और सिर्फ़ ई-मेल संदेशों को शामिल किया, क्या यह उचित है? क्या आप मानते हैं कि डाक द्वारा पत्र भेजने वाले कार्यक्रम में शामिल होने लायक विचार नहीं लिख पाते हैं?
विकासः देशपाल साहब, हम ऐसा कभी नहीं सोचते हैं। पर शायद कभी कभी डाक द्वारा भेजे पत्र देर से यहां आने के कारण हम ज्यादा ई-मेल द्वारा भेजे पत्रों को पढ़ते हैं। और कई दिन पहले हम ने डाक द्वारा बहुत पत्र प्राप्त किये, इसलिये आजकल के कार्यक्रमों में डाक द्वारा भेजे गए पत्र ज्यादा शामिल किये गये हैं। श्रोता दोस्तो, चाहें आप डाक द्वारा या ई-मेल द्वारा हमें पत्र भेजते हैं, अगर पत्र का विषय बहुत अच्छा है, तो हम ज़रूर हमारे कार्यक्रम में शामिल करेंगे।
चंद्रिमाः गया, बिहार के बाबू व शबिना रेडियो लिस्नर्स कल्ब के अध्यक्ष मो. दमाल खान मिस्री ने हमें भेजे पत्र में यह मांग की कि आप से मिले कार्यक्रम के लिये मेरा इन्टरव्यू ज़रूर लें। आजतक मुझे फ़ोन नहीं किया आप लोगों ने। मैं आप का 30 वर्ष पुराना श्रोता हूं। वाह, दमाल खान साहब, आप सचमुच एक बहुत पुराना श्रोता हैं। क्योंकि आप से मिले कार्यक्रम में ज्यादा इन्टरव्यू चीन में रहने वाले भारतीय दोस्तों की इन्टरव्यू है, इसलिये हमने आप को फ़ोन नहीं किया। पर चिंता मत कीजिये। हमारे आप की आवाज़ ऑन लाइन कार्यक्रम में लगभग सभी इन्टरव्यू हमारे श्रोताओं से की गयी है। यह पत्र पढ़कर विकास जी ज़रूर जल्द ही आप से संपर्क करेंगे और इन्टरव्यू लेंगे। ठीक है न, विकास जी।
विकासः जी ज़रूर। चंद्रिमा जी, मेरे पास एक शिकायत पत्र है, जो हमारे मोनिटर बिलासपुर छत्तीसगढ़ के ग्रीन पीस डी-एक्स क्लब के अध्यक्ष चुन्नीलाल कैवर्त ने लिखा है। यह पत्र ऐसा हैः सी.आर.आई. हिन्दी विभाग के सभी भाई बहनों को प्यार भरा नमस्कार! आशा है,आप सब सकुशल होंगे। सी.आर.आई.की 70 वीं वर्ष गांठ के शुभ अवसर पर आयोजित ज्ञान प्रतियोगिता का परिणाम घोषित कर दिया गया है और पुरस्कार भी विजेता श्रोताओं को भेज दिए गये हैं। लेकिन पुरस्कार को लेकर बहुत से श्रोता इस बार संतुष्ट नहीं हैं।
चंद्रिमाः उन्होंने लिखा है कि द्वितीय पुरस्कार विजेता श्रोताओं का कहना है कि उनको पुरस्कार में छोटा -सा कपड़ा दिया गया है,जो अनुपयोगी है। इसी प्रकार त्रितीय पुरस्कार विजेता के कुछ श्रोताओं का कहना है कि पुरस्कार रजिस्टर्ड डाक से नहीं भेजे जाने के कारण उनको खाली लिफ़ाफ़े मिले। मेरे क्लब के श्रोता दीपक कुमार को सिर्फ प्रमाण पत्र मिला, पुरस्कार नहीं था। इस यादगार प्रतियोगिता का काफी बढ़ चढ़ कर प्रचार प्रसार किया गया था। लेकिन पुरस्कार बहुत ही मामूली था। कृपया आगामी ज्ञान प्रतियोगिता में इस ओर ध्यान देंगे और पुरस्कार में उपयोगी और थोड़ी कीमती वस्तु भेजने का प्रयास करेंगे। सभी पुरस्कार रजिस्टर्ड डाक से ही भेजने का प्रयास करेंगे। धन्यवाद।
विकासः हमें बहुत दुख है। क्योंकि हमारे ख्याल से यह उपहार तो बहुत सुन्दर हैं, और उन उपहारों का दाम भी सस्ता नहीं है। वह छोटा -सा कपड़ा, जो चुनिलाल जी ने कहा, वह तो चीन के प्रसिद्ध रेश्मी स्काफ़ है। पर शायद वह भारतीय श्रोता के लिये उचित नहीं है, इसलिये वह एक अनुपयोग चीज़ बन गया। चुनिलाल जी, बहुत बहुत धन्यवाद हमें यह सूचना देने के लिये। भविष्य में हम ज़रूर इस पर ध्यान देंगे। और श्रोता दोस्तो, आप को क्या पसंद है, आप भी हमें बता सकते हैं। तो हम उपहार चुनने में आप लोगों की राय पर विचार कर सकते हैं। पर अगर आप के पसंदीदा उपहारों की कीमत बहुत महंगी है, तो शायद केवल कम लोगों को यह उपहार मिलेगा। क्योंकि उपहारों को खरीदने का बजट भी निश्चित है। यह हम नहीं बदल सकते।