भारतीय लोगों की सदभावना व मैत्री का एहसास करने के साथ-साथ चीनी युवा लोगों को उनकी ईमानदारी व सादगी का भी महसूस हुआ है। पेइचिंग के देहांगथांग सांस्कृतिक व्यवसाय ग्रुप के बोर्ड अध्यक्ष थांग युनखे के पास इसके बारे में समृति की एक असाधारण कहानी है।
भारत की यात्रा के दौरान उन्होंने अपनी पत्नि के लिए एक बहुमूल्य साड़ी का कपड़ा खरीदा। चीन में साड़ी तथा उसकी ब्लाउज़ बनाने वाला टेलर नहीं मिलता है। इस तरह थांग युनखे को भारत में साड़ी के कपड़े को साड़ी बनाना है। लेकिन यात्रा की व्यस्त समय सूची है और खाली समय नहीं मिल सकता। स्वदेश लौटने के लिए सिर्फ दो दिन बाकी है, थांग युनखे हॉटल के आसपास एक ओटो-रिक्शा वाले को बुलाकर टेलर के यहां गए। बिलकुल खाली समय न मिलने के कारण उन्होंने टेलर शॉप से हॉटल तक आने जाने का पूरा किराया ओटो रिक्शा वाले को देकर उससे अपनी साड़ी वापस लाने का फैसला किया। लेकिन दोस्तों ने थांग को समझाया कि होशियार रहें। क्योंकि कई हज़ार रूपये की साड़ी ओटो रिक्शा वाले के लिए मूल्यवान चीज़ भी है। अगर वह टेलर के यहां साड़ी लाने के बाद हॉटल वापस नहीं आता, तो भारत में अपने ठहरने के लिए सिर्फ एक दो दिन बाकी होने की वजह से उसे ढूंढ़ पाना असंभव है। लेकिन उस ओटो रिक्शा वाले के साथ कई बार के संपर्क और भारत यात्रा के दौरान भारतियों के प्रति दिन ब दिन बढ़ते रहे विश्वास के आधार पर थांग युनखे ने अपने फैसले को नहीं बदला। बाद में उसी ओटो रिक्शा वाले ने ठीक समय पर उनके लिए साड़ी वापस लायी और उन से टिप भी नहीं मांगी। भारत में ठहरने के अंतिम दो दिन के दौरान हॉटल से आने जाने के वक्त जब वह थांग युनखे से मिला, तो हमेशा मुसकराते हुए उत्साह के साथ उनसे नमस्कार कहता रहा। इस कहानी की चर्चा में पेइचिंग देहांगथांग सांस्कृतिक व्यवसाय ग्रुप के बोर्ड अध्यक्ष थांग युनखे ने कहा:
"मुझे इस ओटो रिक्शा वाले को बहुत मैत्रीपूर्ण लगता है। वह जिम्मेदार ही नहीं, दोस्ताना भी है। कई दिनों की भारत यात्रा के बाद मुझे लगता है कि भारतीय लोग हमारे साथ अच्छे व्यवहार करते हैं। हर दिन भारतियों के प्रति हमारी समझ बढ़ती है और सदभावना व विश्वास भी मज़बूत होता गया है।"