वहीं पर चंगेज खां के पूजा भवन की प्रबंधन कमेटी के निदेशक नाछुक ने हमलोगों को बताया कि वर्ष 1939 में जापानी आक्रमण के समय जापानी सैनिकों ने इस महल को लूटने की योजना बनायी, महल को बचाने के लिए चंगेज खां के कब्र को कान सू प्रांत के शिंग लुंग पहाड़ पर स्थानांतरित किया गया, फिर उसे छिंग हाय प्रांत के थाअर मठ के पास पुनः स्थापित किया गया। 1954 में मंगोल जाति की मांग पर चंगेज खां के कब्र को दुबारा अअरतुओस में स्थापित किया गया। महान चीनी मंगोल जाति के योद्धा चंगेज खां की स्मृति में चीन की केंद्रीय सरकार ने बहुत बड़ी धन राशि दान में दी और बहुत विशाल महल का निर्माण करवाया, जो बाद में चंगेज खां मकबरे के रूप में विश्वविख्या हो गया है और हर साल यहां उस की पूजा अर्चना के लिए बहुत बड़ा पवित्र समारोह का भी आयोजन किया जाता है।
चंगेज खां का मकबरा मुख्य रूप से मंगोल जाति की पारंपरिक शैली में निर्मित किये गये तीन महलों को आपस में जोड़कर बनाया गया है। मध्य भाग में स्थित महल की उंचाई 26 मीटर है। मकबरे के चारों तरफ उंची दीवारें खड़ी की गयी है जिसका रंग सफेद है और महलों के दरवाजों का रंग लाल है तथा छतें नीले रंग की हैं, जो देखने में बहुत ही भव्य, गंभीर और रहस्यमयी प्रतीत होता है।
महल में प्रवेश करते ही 7 मीटर उंची चंगेज खां की प्रतिमा दिखाई देती है। उसके शरीर पर सैन्य परिधान है, कमर में तलवार लटकी है और बहुत उंची कुर्सी पर बैठे हुए है। प्रतिमा के पीछे दीवार की भित्ती पर युरोप-एशिया का मानचित्र अंकित है। इस महल के पिछले भाग में शयन महल है। इस में तीन मंगोलियन तंबू हैं जो चंगेज खां, उस की रानी और बहन- भाई के है। उसी के साथ जुड़े पश्चिमी कोरीडोर में दीवारों पर चंगेज खां के जन्म, चरित्र विकास व महान कारनामे, पश्चिम अभियान, पूर्वी अभियान और मंगोल के एकीकरण से जुड़ी कहानियों की पेंटिंग है तथा पूर्वी कोरीडोर में दीवारों पर चंगेज खां के पोता कुबेल खां आदि संतानों के कारनामों के गुणगान में चित्रित पेंटिंग हैं। मकबरे में चंगेज खां और उस के सैनापतियों के जीवन काल में प्रयुक्त आयुध, झंडे और कवच जैसे वस्त्र आभूषम सुरक्षित हुए हैं।
चंगेज खां के ताबूत की रक्षा एक विशेष गुट के लोगों द्वारा किया जाता था जिनको ताअरहॉथ कहा जाता है। यह दल पांच सौ लोगों से गठित था, उनका मुख्य काम मकबरे की सुरक्षा और प्रबंधन करने का था। उसी समय से ताअरहॉथ एक विशेष जाति बन गया। वे लोग सेना में भर्ती नहीं होते थे, न ही कर-लगान जमा करते थे, उन का कोई अधिकारिक पद नहीं निश्चित होता था। लेकिन वे लोग बिना किसी लोभ-लालच के पीढ़ी दर पीढ़ी चंगेज खान की सेवा करते आए थे। पिछले आठ सौ सालों से इस जाति के लोग कई तरह की कठिनाइयों का सामना करते हुए चंगेज खां की ताबूत व मकबरे और पूजा के रीति-रिवाजों को पूरी तरह सुरक्षित रखे हुए हैं जोकि विश्व में कहीं दूसरी जगह नहीं मिलता है।
मंगोल जाति में पूजा अर्चना का अनुष्ठान बहुत पवित्र और भव्य माना जाता है। ताअरहॉथ जाति के लोग प्रतिदिन इसकी पूजा करते हैं। एक साल में वसंत, ग्रीषम, शरद व शीत कालों में पूजा के चार बड़े बड़े समारोह का आयोजन किया जाता है। विशेष तौर पर चीनी कैलेंडर के अनुसार साल के तीसरे माह की 21 तारीख का पूजा अनुष्ठान बहुत धूमधाम से किया जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन चंगेज खां ने रण-कौशल व रणनीति की अपनी महान गुणवत्ता का परिचय किया था तथा इसी दिन उसे युद्ध में बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल हुई थी। हरेक साल इस दिन बहुत सारे लोग विभिन्न क्षेत्रों से दूध, चाय, मदिरा और अन्य सामग्रियों के साथ यहां पूजा समारोह में हिस्सा लेने आते हैं। चंगेज खां मकबरे के पूजारी होशपायार ने यहां आए भक्तों का नेतृत्व कर स्तुतिगान कियाः
होशपायार इस साल 30 की उम्र में है और नीले मंगोल पोशाक पहने, हाथों में शुभसूचक हाता और अमर-ज्योति वाली बत्ती उठाए चंगेज खां के योगदान का स्तुतिगान कर रहे है। पूजा पाठ के बाद उसने हमारे संवाददाता को बतायाः
चंगेज खां के मकबरे की रक्षा करने वाली हमारी 39वीं पीढ़ी है। जब वह 16 वर्ष के थे, तभी अपने पिता जी से मकबरे की सुरक्षा और पूजा करने की विधि सीखी। उसका मुख्य कार्य वर्ष में चार विशाल पूजा समारोहों का आयोजन करना है। आम दिनों में वह यहां पर अगरबत्ती जलाता है तथा दीया में तेल डालने का काम करता है और यहां की बुहार-सफाई का भी ध्यान रखता है।
इतिहास के साथ-साथ चंगेज खां के पूजा समारोह में कोई तब्दिली नहीं आयी है। समय के परिवर्तन ने ताअरहॉथ लोगों में जीवन, काम के प्रति नया दृष्टिकोण पैदा किया है। ताअरहॉथ लोगों के वर्तमान जीवन की चर्चा करते ही नाछुक बहुत उत्साहित हो गये।
उसने कहा, हमलोगों के जीवन में बहुत परिवर्तन आया है। चंगेज खां मकबरे की सुरक्षा और प्रबंधन से जुड़े पचास लोगों के अलावा, दूसरे लोग विभिन्न प्रकार के व्यवसायों में संलग्न हो गये हैं। उनका जीवन दिन पर दिन बेहतर हो रहा है। सरकार मंगोल जाति के लोगों की भावनाओं का सम्मान करती है। सरकार ने भारी धनराशि का निवेश कर नया महल तैयार करवाया है साथ ही चंगेज खां की सैन्य रणनीति के अध्ययन के लिए विशेष संस्थान स्थापित किया है। आज वह इस संस्थान के निदेशक बन चुके हैं और चंगेज खां से जुड़े अध्ययन के विशेषज्ञ भी।
जैसा कि नाचुक ने कहा, आज का ताअरहॉथ जाति के लोग घुमंतू जीवन पर आश्रित नहीं हैं। आज के उनके जीवन के बारे में उनके पूर्वज कभी सोच भी नहीं सकते। अब चंगेज खां मकबरे तक जाने केलिए सीधी पक्की सड़क बनायी गयी है. सड़क के दोनों तरफ बंगलानुमा मकान बनाए गए हैं, ये ताअर हॉथ जाति के आवास है। 140 से अधिक ताअर हॉथ परिवारों के लगभग सभी के घर में कार खरीदी गयी है. यही ताअर होथ जाति का नया जीवन है।