कहा जाता है कि आज से 700 साल पहले, चंगेज खां 60 वर्ष की उम्र में अंतिम बार लड़ाई के लिए निकला । जब वह अअरतुओस के घास मैदान से गुजरा, तो उसे इस जगह की सुंदरता पर मुग्ध हो गया और उसके मुंह से अनायास निकल पड़ाः "इस स्थल पर किसी राजवंश का पतन होने के बाद उसका फिर से उत्थान हो सकता है, यहां पर लंबे समय तक शांति रहेगी। मेरी मृत्यु के बाद मुझे यहीं पर दफना देना।"
सन् 1227 में, चंगेज खां के पश्चिम अभियान के दौरान बीमारी से उसकी मौत हो गई। उस समय उसके शरीर के वस्त्र, आभूषण तथा तलवार सभी को एक बक्से में डालकर वापस लाया गया। जब इन चीजों को लादने वाली गाड़ी एक घास के मैदान में पहुंची, तो गाड़ी की पहियाएं अचानक कीचड़ के गड्ढे में फंस गया, कितना भी बल लगाने पर वह नहीं निकली। सभी लोग गाड़ी पर से सामान उतारने में व्यस्त थे, तभी उस बक्से पर एक अद्भुत प्रकाश का पुंज आलोकित हुआ और तलवार बॉक्स से बाहर निकल कर हवा में गायब हो गया। तभी लोगों को चंगेज खां के मरने के वक्त दिया गया वचन की याद आ गयी। लोगों ने उस बक्से को वहीं रख दिया और वहां पर एक महल का निर्माण किया गया, जो कि आज का यीचिनहुओलुओ पवित्र स्थल है।