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थोंगरन काउंटी से तिब्बती संस्कृति की झलक
2013-11-12 16:59:51

थोंगरन में तिब्बती बौद्ध धर्म के भिक्षु

थोंगरन कांउटी में स्थित लोंगऊ मठ

लोंगऊ कस्बा की सड़क

लोंगऊ कस्बे में रहने वाले मुसलमान

लोंगऊ कस्बे में स्थित बौद्ध धर्म का मंदिर

सूच्र चक्र करते हुए तिब्बती बौद्ध धर्म के श्रद्धालु

उत्तर पश्चिमी चीन के छिंगहाई प्रांत के ह्वांगनान तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर में थोंगरन काउंटी स्थित है। यह काउंटी इस प्रांत में ऐसा एक विशेष स्थान है, जहां राष्ट्रीय प्राथमिकता प्राप्त अभौतिक सांस्कृतिक अवशेष सर्वाधिक मिलते हैं और ये अवशेष संस्कृति की विविधता एवं पर्यटन की दृष्टि से बेहद खासे हैं। थोंगरन काउंटी और उसके आसपास के क्षेत्र को रकोंग कहलाया जाता है। रकोंग का अर्थ है स्वप्न को साकार करने वाली सुनहरी घाटी। यहां ईस्वी 13वीं सदी में जन्मी `रकोंग कला` तिब्बती बौद्धधर्म-कला की एक प्रमुख शैली है।

छिंगहाई-तिब्बत पठार और पीली मिट्टी पठार के संगम पर `रकोंग कला` जन्म कर परिपूर्ण होती गई है। इस कला में थांगका, प्रस्तर-नक्काशी, धातु-शिल्प शामिल है और इससे तिब्बती लोककला और तिब्बती धार्मिक संस्कृति, स्थानीय पशुपालन उद्योग और कृषि की विशेषताएं झलकती हैं। थोंगरन काउटी के उप प्रमुख मा चिनश्यैन ने कहाः "हमारी काउंटी पूरे छिंगहाई प्रांत में एकमात्र राष्ट्रीय स्तर का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक नगर होने के साथ-साथ रकोंग कला के आधार पर पारिस्थितिक पर्यावरण-संरक्षण के लिहास से राष्ट्रीय स्तर का एक प्रमुख क्षेत्र भी है। प्रचुर मात्रा में पर्यटन-संसाधन उपलब्ध होने से यह काउंटी उत्तर पश्चिमी चीन के पाचों प्रांतों में सब से प्रमुख पर्यटन-क्षेत्र माना गया है। विशिष्ट भू-स्थिति, प्राचीन वन्य पार्क, हिमपर्वत, घास-मैदान, जलप्रपात और कछार जैसे सुन्दर प्राकृतिक दृश्य इस काउंटी में देखने को मिलते हैं। पर्यटक काउंटी की प्राचीन लोंगऊ सड़क पर समय की कसौटी पर खरी उतरी श्रेष्ठ तिब्बती संस्कति से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते हैं।"

वास्तव में इस सड़क का नामकरण लोंगऊ कस्बे के नाम से किया गया है। लोंगऊं कस्बा एक पहाड़ की तलहटी में स्थित है। कस्बे में तिब्बती बौद्धधर्म के गुरू संप्रदाय का सब से विख्यात लोंगऊ मंदिर है। लोंगऊ का अर्थ तिब्बती भाषा में कृषि-क्षेत्र है। लोंगऊ मंदिर गेलुग संप्रदाय के प्राचीन बौद्ध मंदिरों में से एक है। लोंगऊ कस्बे में ऐसा एक अनोखा दृश्य है कि एक ढलान पर स्थित एक पुरानी सड़क पर मंदिर, मस्जिद और ईसाई घर एक दूसरे के नजदीक खड़े हैं। वहां से पूजा-अर्चना की विभन्न आवाजें एक दसूरे से मिश्रित होकर सुनाई देती हैं। पर्यटक यहां वास्तुकला की विभिन्न शैलियों, धर्मों की विभिन्न परंपराओं और धर्मानुयाइयों की एकजुटता को देख सकते हैं। थोंगरन काउंटी के उप प्रमुख मा चिनश्यैन ने जानकारी देते हुए कहाः "लोंगऊ कस्बा लोंगऊ मंदिर के आधार पर बना है। इस में तिब्बती बौद्धधर्म, हान बौद्धधर्म, ताओ पंथ, इस्लाम धर्म और ईसाई धर्म साथ-साथ लोकप्रिय हैं। एक ही जगह पर पांच धर्मों और उन के पांच जातियों के श्रद्धालुओं का सामंजस्यपूर्वक साथ-साथ रहना दुर्लभ और मूल्यवान है।"

थोंगरन काउंटी का दौरा करें, तो रकोंग कला की चर्चा अनिवार्य है। जी हां, इस कला में शामिल थांगका-चित्रकला सब से उल्लेखनीय है। आप को शायद मालूम है कि थांगका तिब्बती भाषा में वह स्क्रीनवाला चित्र है, जो रंगीन रेशमी कपड़े पर बनाया जाता है। इस चित्रकला का इतिहास कोई एक हजार वर्ष पुराना है। परंपरा के अनुसार इस तरह का चित्र धार्मिक विषय पर केंद्रित है। तिब्बती चरवाहे घुमंतू जीवन बिताने के कारण इस तरह के चित्र हमेशा अपने साथ लेते हैं। यह चित्र उनके मन में मंदिर और धार्मिक टोटेम जैसा पवित्र है। काउंटी के उप प्रमुख मा चिनश्यैन के अनुसार: "रकोंग कला में थांगका, मिट्टी-मूर्ति, काष्ठ-चित्र और प्रस्तर-नक्काशी के अलावा तिब्बती ऑपेरा और परंपरागत तिब्बती औषधि-शास्त्र भी शामिल हैं। `रकोंग थांगका ` इधर के कई वर्षों में पेइचिंग, शांगहाई, हांगकांग और थाइवान आदि क्षेत्रों में लगातार प्रदर्शित किए गए हैं। जहां वे लाए गए, वहां बड़ी धूम मची है। थांगका चित्र तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के अलावा अन्य तिबबती क्षेत्रों में भी मिल सकते हैं। लेकिन सवर्श्रेष्ठ थांगका चित्र छिंगहाई-तिब्बत पठार पर स्थित हमारी थोंगरन काउंटी में ही उपलब्ध हैं।"

रकोंग कला सदियों से कई पीढ़ियों के तिब्बती कलाकारों के जरिए विकसित एवं परिपूर्ण होती गई हैं। देश के स्छवान और कानसू प्रांतों में ही नहीं, बल्कि भारत, नेपाल और थाईलैंड आदि देशों में भी इन कलाकारों के पदचिंह छोड़े गए हैं। उनके द्वारा बनाई गई सूक्ष्म एवं अतुल्य कलाकृतियों से व्यापक लोग प्रभावित हुए हैं। इन कलाकृतियों में खासकर चित्रों में तिब्बती ललितकला के अलावा विश्वविख्यात तुनह्वांग भित्ति-चित्र-कला और विदेशी ललितकला की विशेषताएं देखी जा सकती है।

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