क्वेईदे जातीय स्कूल के प्रधान सोनान डोर्चे ने कहा कि स्कूल विद्यार्थियों की पढ़ाई को महत्व देने के साथ-साथ आवकाश के समय में छात्रों के जीवन पर भी ध्यान देता है। स्कूल में"शिक्षक परिवार प्रणाली"लागू की जाती है। हरेक शिक्षक एक स्कूली परिवार स्थापित करता है, जिसमें 14 विद्यार्थी सदस्य हैं। शिक्षक परिवार के सदस्यों की देखभाल और प्रबंधन करते हैं। वे छात्रों के साथ खाते हैं और रहते हैं। इस प्रकार के रहन-सहन से शिक्षकों और छात्रों के बीच बहुत मधुर संबंध बनते हैं। अगर विद्यार्थी को वास्तविक मुसिबतों का सामना पड़ा, तो वह पारिवारिक शिक्षक से मदद मांग सकता है। शिक्षक उनकी मांग को स्कूल के संबंधित नेता तक पहुंचाते हैं।
बेहतरीन शैक्षिक वातावरण, उच्च शिक्षा गुणवत्ता और गर्मागर्म अवकाश का जीवन……क्वेईदे जातीय स्कूल को व्यापक किसानों और चरवाहों की मान्यता प्राप्त हुई है। अपने बच्चे को स्कूल में दाखिला देने के लिये वे विश्वस्त हैं।
क्वेईदे स्कूल की इमारत
सोनान रनछिंग क्वेईदे जातीय स्कूल के ग्रेड 6 के एक प्रमुख अध्यापक हैं। उसकी कक्षा के विद्यार्थी कक्षा-भवन के सामने पेड़ों के नीचे तिब्बती भाषा की पाठ्यपुस्तकें पढ़ रहे हैं। वह थोड़ा दूर खड़े होकर अपने शिष्यों को देखते हुए उनकी आवाज़ को ध्यान से सुन रहे हैं। वर्ष 2011 में सोनान रनछिंग इस स्कूल में आए थे। तिब्बती गणित शास्त्र पढ़ाने के साथ-साथ वह विद्यार्थियों की देखभाल और जीवन प्रबंधन भी करते हैं। अध्यापक सोनान रनछिंग ने कहा:"वर्ष 2011 में कॉलेज से स्नातक होकर मैं यहां आया। काम करते हुए एक वर्ष बीत चुका है। हमारी कक्षा में सभी विद्यार्थी तिब्बती हैं। वे बहुत सीधे सादे हैं और उनकी देखभाल करना और कक्षा का प्रबंधन करना मेरे लिए आसान है। मैं मुख्य तौर पर तिब्बती गणित शास्त्र पढ़ाता हूँ। यानी मैं तिब्बती भाषा में छात्रों को गणित पढ़ाता हूँ। स्कूल में रिहायशी मकान और खान-पान की स्थिति बहुत अच्छी है।"
विद्यार्थियों के लिए दुग्ध और अंडे
अध्यापक सोनान रनछिंग ने कहा कि विद्यार्थियों के शारीरिक स्वास्थ्य की गारंटी देने के लिए स्कूल ने सिलसिलवार कदम उठाए हैं। हर दिन सुबह और शाम को विद्यार्थी बाहर पढ़ाई करते हैं और साथ ही सुबह व्यायाम भी करते हैं। एक दिन में तीन भोजन के आधार पर रात्रि स्वशिक्षा के बाद विद्यार्थियों को अतिरिक्त खाद्य पदार्थ यानी अंडे और दुग्ध मुहैया कराया जाता है। सोनान रनछिंग के अनुसार स्कूल में खाने पीने की स्थिति अच्छी है, यहां जीवन बिताने वाले विद्यार्थियों को बहुत सुखमय लगता है। हर माह के अंत में छुट्टियां लेने के वक्त अधिक विद्यार्थी घर वापस नहीं लौटना चाहते। घर वापस लौटकर उन्हें शीघ्र ही स्वूल में वापस आने की जिज्ञासा रहती है। ये बच्चे स्कूल को अपना दूसरा सुखमय घर मानते हैं।
12 वर्षीय तिब्बती लड़की चोमा अध्यापक सोनान रनछिंग की कक्षा में एक श्रेष्ठ छात्रा है। अपने स्कूली जीवन के प्रति उसे बहुत संतोष है। चोमा ने कहा कि वह मेहनत से ज्ञान प्राप्त करेगी, आशा है कि भविष्य में एक डॉक्टर बन कर बीमार लोगों का इलाज कर सकेगी। सुनिए तिब्बती लड़की चोमा से हुई बातचीत का एक अंश:
पत्रकार:तुम कक्षा में श्रेष्ठ छात्रा हो, कौन सा कोर्स सबसे अच्छा है?
चोमा: गणित शास्त्र।
पत्रकार:क्या तुम्हारी तिब्बती भाषा और चीनी हान भाषा कोर्स भी अच्छे हैं?
चोमा: वो भी अच्छे हैं।
पत्रकार:क्या आम समय में तुम विद्यार्थियों की पढ़ाई तनावपूर्ण है?
चोमा: थोड़ी सी।
पत्रकार:क्या तुम्हारे पास पढ़ाई का दवाब ज्यादा है?
चोमा:ज्यादा दबाव नहीं होता।
पत्रकार:इस स्कूल में जीवन बिताना और पढ़ाई करना तुम्हे कैसा लगता है?
चोमा:मुझे बहुत-बहुत अच्छा लगता है।
पत्रकार:बहुत-बहुत अच्छा!क्यों?
चोमा: क्योंकि घर में मेरे कोई मित्र नहीं हैं। स्कूल में मैं बहुत ज्यादा सहपाठियों के साथ पढ़ती और खेलती हूँ। मेरे पास बहुत अधिक मित्र हैं। इस तरह मुझे बहुत अच्छा लगता है।
पत्रकार:भविष्य में तुम्हारी अभिलाषा क्या है?
चोमा: बड़ी पढ़ी होकर मैं एक डॉक्टर बनना चाहती हूँ। अगर दूसरे लोग बीमार हो जाएं, तो मैं उनका इलाज कर सकती हूँ। इस तरह मैं एक डॉक्टर बनना चाहती हूँ।
विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए चित्र
सूर्य धीरे-धीरे दूर पहाड़ के नीचे जा रहा है। पठार के आसमान में लाल रंग फैला हुआ है। रात्रि स्वशिक्षा का समय हो चला है। विद्यार्थी क्रमशः अपने हाथों में पाठ्यपुस्तक को बंद कर एक-एक टीम से गीत गाते हुए अपने-अपने क्लासरूम में वापस लौट रहे हैं। थोड़ी देर बाद एक-एक क्लासरूम में लाइट नज़र आई। विद्यार्थी अपना होमवर्क करने लगे। अभी-अभी पढ़ाई की आवाज़ गूंज रही थी और स्कूल कैंपस एकदम शांत हो गया। नज़दीक ही पीली नदी मंद गति से बह रही है। पानी की कलकल की आवाज़ सुनाई दे रही है। मानो वह चुपके-चुपके से स्कूल के बच्चों के साथ आगे बढ़ रही हो।