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सुन्दर तिब्बत का निर्माण कर किया चीन का स्वप्न साकार
2013-03-26 17:28:33

हमारी संवाददाता पाईमा छ्युचङ के साथ

अभी-अभी सम्पन्न चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा यानी एनपीसी और चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन यानी सीपीपीसीसी के वार्षिक सम्मेलनों में भाग लेने वाले तिब्बती प्रतिनिधियों और सदस्यों ने सक्रिय रूप से देश के निर्माण में अपनी राय और अपने सुझाव पेश किए। उन्होंने आशा जताई कि तिब्बत का भविष्य और उज्ज्वल होगा और तिब्बती जनता का जीवन और खुशहाली भरा होगा। हमारे संवाददाता ने एनपीसी के कई तिब्बती प्रतिनिधियों के साथ साक्षात्कार किया।

इस वर्ष चुनी गई नवीन एनपीसी तिब्बत-प्रतिनिधि के रूप में वह तिब्बत की 8 हज़ार मनपा जातीय नागरिकों का प्रतिनिधित्व करने पेइचिंग आई हैं। मौजूदा सम्मेलन में भाग लेने वाले एनपीसी तिब्बती प्रतिनिधि मंडल में सबसे छोटी उम्र की सदस्य के रूप में 29 वर्षीय पाईमा छ्युचङ पर मीडिया का अधिक ध्यान केंद्रित हुआ है। मनपा जाति के विशेष वस्त्र पहनकर वो बहुत सुन्दर लग रही हैं।

मोथो कांउटी तिब्बत में एक ऐसी कांउटी है, जहां आज तक राजमार्ग की सुविधा नहीं है। तिब्बती भाषा में मोथो का अर्थ फूल होता है। प्राकृतिक भौगोलिक स्थिति और जलवायु के कारण मोथो से बाहरी दुनिया को जोड़ने वाले मार्ग का निर्माण कठिन है। लेकिन वर्तमान में लिन ची प्रिफेक्चर के जामू कस्बे से मोथो तक का जामो मार्ग निर्माणाधीन है। सुविधापूर्ण मार्ग का प्रयोग करना स्थानीय नागरिकों की हार्दिक अभिलाषा है। मोथो कांउटी की यातायात स्थिति का परिचय देते हुए पाईमा छ्युचङ ने कहा:"हमारे यहां यातायात बहुत असुविधापूर्ण है। मोथो कांउटी में दो प्रमुख मार्ग हैं। पहला मार्ग है पोमी से मोथो कांउटी तक, दूसरा है फाईचङ कस्बे से मोथो तक। वर्तमान में पोमी कोंउटी से मोथो तक के मार्ग का निर्माण पूरा हो चुका है। आगे फाईचङ कस्बे से मोथो तक के मार्ग का निर्माण किया जाएगा। वहां बसे दो जिले के नागरिकों के लिए बाहर आना जाना अत्यंत असुविधापूर्ण है, बाहर जाने के लिए उन्हें कई दिनों तक पहाड़ पर चढ़ाई करनी पड़ती है।"

माथो काउंटी शिमालय पर्वत के पूर्वी भाग में स्थित है। यालुचांबू नदी जिसे भारत में प्रह्मपुत्र कहा जाता है, इस कांउटी से गुज़रती है। मोथो कांउटी की ऊंचाई समुद्र तल से 7 हज़ार मीटर से अचानक 200 मीटर तक गिर जाती है। ऊंचे-ऊंचे पहाड़, तेज गति से बह रहा नदी का पानी, कभी कभार पैदा होने वाले भूकंप, भूस्खलन और भारी वर्षा...... विभिन्न प्राकृतिक कारणों से मोथो को एक पठारीय इकलौता द्वीप बनाता है। लम्बे समय में मोथो कांउटी से बाहरी विश्व को जोड़ने के लिए एक सुविधापूर्ण और सुरक्षित राजमार्ग का निर्माण करने की कोशिश कभी नहीं बंद हुई। पहले मोथो कांउटी से बाहरी दुनिया को जोड़ने वाला एक सरल मार्ग था। कई वर्षों में इसकी मरम्मत के लिए बार-बार पूंजी निवेश किया जाता रहा। यहां तक कि इसके निर्माण के लिए दर्जनों व्यक्तियों ने अपना जीवन भी अर्पित किया है। ऐसे प्रयासों के बावजूद आज मोथो कांउटी से बाहरी विश्व को जोड़ने वाले मार्ग की स्थिति अच्छी नहीं है। इसका प्रयोग करने के लिए मौसम को अनुकूल होना चाहिए।

दस वर्ष की उम्र से ही पाईमा छ्युचङ मोथो छोड़कर पढ़ने के लिए चीन के भीतरी इलाके में गईं। उन्होंने बताया कि उस समय हर बार मोथो से बाहर आना और बाहर से घर वापस लौटना बहुत मुश्किल था। उन्हें कठिन राह पर तीन दिनों तक पैदल चलना पड़ता था। इसी दौरान समुद्र सतह से 4200 मीटर की ऊंचाई के बर्फीले पहाड़ों पर भी चढ़ना पड़ता था। पुराने समय के जीवन की याद करते हुए तिब्बती एनपीसी प्रतिनिधि पाईमा छ्युचङ ने कहा:"वो मार्ग बहुत-बहुत असुविधापूर्ण है। यही नहीं उस बर्फीले पहाड़ पर चढ़ना सबसे मुश्किल था। उस समय मैं छोटी थी। स्थिति इतनी कठीन थी कि ऊंचे पर्वत पर चढ़ने के दौरान मैं सांस भी नहीं ले पाती थी। थोड़ी देर में ही मुझे थकान लगने लगती थी और एक कदम भी आगे उठा नहीं पाती थी।"

15 दिसम्बर वर्ष 2010 को मोथो कांउटी में गालोंगला पर्वत में सुरंग की सफल खुदाई की गई। इस तरह लिन ची प्रिफेक्चर के जामू से मोथो तक का मार्ग यानी जामो मार्ग का निर्माण औपचारिक तौर पर शुरू हुआ। इस परियोजना में कुल 95 करोड़ युआन की राशि लगाई गई है। भौगोलिक स्थिति और मौसम के कारण वर्तमान में यह मार्ग सिर्फ़ कुछ ही चरणों में यातायात व्यवस्था को बखूबी अंजाम दिया गया। हिमस्खलन और भूस्खलन के कारण इसे कभी कभार बंद रखा जाता है। ऐसी परिस्थिति होने में पाईमा छ्युचङ को लगता है कि वर्तमान की मार्ग स्थिति पहले से कहीं अच्छी हो गई है। उन्होंने कहा:"अब मार्ग का निर्माण का काम पूरा हो गया है, जिसे लगातार संपूर्ण किया जाना बाकी है। छोटे बच्चों के लिए कांउटी से बाहर आना थोड़ा सुविधापूर्ण होने लगा है। इसके साथ ही मोथो वासियों को चीज़ें खरीदने में भी बड़ी सुविधाएं भी मिलीं। विशेषकर रोगियों के इलाज के लिए कांउटी से बाहर आने में कम समय लगता है। पहले मोथो वासी एक साल में एक बार बाहर आता-जाता था। सब चीज़ों का परिवहन घोड़ों और व्यक्तियों की पीठ पर लाद कर किया जाता था। लेकिन आज लोग अपनी इच्छानुसार एक साल में कई बार बाहर आते जाते हैं।"

वास्तव में वर्तमान में मोथो कांउटी के भीतर यातायात का जाल पूरा नहीं हुआ है। सारी कांउटी में 46 प्रशासनिक गांवों में से मात्र 19 गांवों में मार्ग की सुविधा है। कांउटी में मार्ग सुविधा के स्वप्न को साकार करने के लिए लम्बा समय लगेगा।

अब पाईमा छुयचङ अपने जन्मस्थान के लिए योगदान कर रही हैं, उनकी आशा है कि कांउटी के हर गांव में मार्ग की सुविधा शीघ्र ही प्राप्त होगी। उत्तर पश्चिमी चीन के शान्नशी प्रांत की राजधानी शीआन शहर के छांगआन विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद वह मोथो कांउटी में वापस लौटीं। एक साल के बाद उन्होंने कांउटी शहर से रवाना होकर सबसे गंभीर स्थिति वाले ग्रामीण क्षेत्र में काम करने की मांग की। गांव में आने के बाद पाईमा छुयचङ का पहला कार्य स्थानीय गांव के अधिकारियों के साथ मार्ग के निर्माण पर विचार विमर्श करना है। इसकी चर्चा में उन्होंने कहा:"मोथो काउंटी में पूरे वर्ष में वर्षा का मौसम लंबा है। वर्षा के बाद गांव की स्थिति बहुत खराब हो जाती है। ज्यादा मिट्टी होने के कारण पैदल चलना मुश्किल होता है। वर्तमान में हमारे गांव में पर्यावरण परियोजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है, जिसके आधार पर गांव के मार्गों को सीमेंट से कठोर बनाया गया है।"

अपनी मेहनत और प्रयास की वजह से पाईमा छ्युचङ को स्थानीय नागरिकों का सम्मान मिला है और उन्हें राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि को चुना गया है। गंभीर स्थिति वाली मोथो कांउटी से बाहर आने के बाद पाईमा छ्युचङ क्यों इसमें फिर वापस लौटीं ?इसकी चर्चा करते हुए उनकी आंखों में आंसू भर आए। उन्होंने भाव विभोर होकर कहा:"मैं खुद मोथोवासी हूं और बहुत मुश्किल से मुझे बाहर आने का मौका मिला। लेकिन अगर हम बाहर रहते हैं, तो जन्मस्थान के निर्माण के लिए कोई भूमिका नहीं निभा सकते। मैंने बहुत ज्यादा ज्ञान नहीं सीखा और मेरे पास पेशेवर तकनीक भी नहीं है। लेकिन मैं अपने जन्मस्थान के लिए कुछ करना चाहती हूं। अगर दूसरे लोग मेरी तरह सोचते हैं, तो वे भी वापस आएंगे, तो हमारी समान कोशिशों के माध्यम से जन्मस्थान का निर्माण ज्यादा अच्छा होगा।"

मनपा जातीय पाईमा छ्युचङ एक सीधी सादी महिला हैं। अपने स्वप्न की चर्चा में उन्होंने कहा:"मेरा तिब्बत का सपना यह है कि हमारी मोथो कांउटी का विकास दिन ब दिन अच्छा होगा। तिब्बत के दूसरे क्षेत्रों के बीच यातायात और आर्थिक दूरी कम की जाएगी, मोथो वासियों का जीवन साल दर साल सुखमय बनेगा।"

इस वर्ष 50 वर्षीय केसांग चोमा तिब्बत की राजधानी ल्हासा शहर के छङक्वान क्षेत्र में नाचिंग जिले के थामा गांव में रहती हैं। वे लगातार दो सत्रों तक एनपीसी के प्रतिनिधि चुने गए। थामा गांव ल्हासा शहर में शहरीकरण निर्माण शुरू किए जाने वाले सबसे पहले गांवों में से एक है। केसांग चोमा ने हमारे संवाददाता को बताया कि थामा गांव में शहरीकरण निर्माण किए जाने के बाद सामूहिक आर्थिक विकास के चलते किसानों की आय में बहुत हद तक उन्नति आई है। प्रति गांववासी की औसतन सालाना आय करीब दस हज़ार युआन है। इसके साथ ही देश ने रिहायशी मकान परियोजना के निर्माण के लिए 4 करोड़ युआन की राशि लगाई है। अब सभी गांव वासी अच्छी स्थिति वाले मकान में रह रहे हैं। अब जीवन सुखमय और बेहतर होने लगा है। केसांग चोमा ने कहा:"आज हमारे जीवन में भारी परिवर्तन आया है। पहले गांव वासी मिट्टी के बनाए गए मकानों में रहते थे। लेकिन आज हम सब इस्पात और लकड़ी से बने भवनों में रहते हैं। यहां तक कि कई गांववासी टाउन हाउस में भी रहने लगे हैं। निवास की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है। हमारे निवास स्थान में वन रोपण की दर 35 प्रतिशत तक पहुंच गई है। वातावरण बहुत अच्छा हुआ है। इसके अलावा गांव वासियों के लिए सामाजिक गारंटी व्यवस्ता भी की गई है। शत प्रतिशत लोगों ने पेंशन बीमा और चिकित्सा बीमा में भाग लिया है।"

केसांग चोमा ने परिचय देते हुए कहा कि ल्हासा शहर की खुशहाली सूचकांक देश भर में सबसे ऊंचा है। थामा गांव के गांववासी खेती, जलीय कृषि और सेवा व्यवसाय जुटे हुए हैं। सभी लोग बेहतरीन जीनव की प्राप्ति के लिए मेहनत से काम कर रहे हैं।

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