तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के जन प्रतिनिधि सभा की स्थाई समिति के प्रधान ग्यांग्बा पुन्सोक ने कहा कि अब तक तिब्बत में एक ही भिक्षु का आत्मदाह मामला नहीं पैदा हुआ। चाहे आम नागरिक हो, या भिक्षु व भिक्षुणी क्यों न हो, वे आत्मदाह कार्रवाई का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा:"धर्म का प्रयोग कर लोगों के वापसी रहित रास्ते पर आगे चलने का प्रोत्साहन करना धार्मिक सिद्धांत ही नहीं, मानवता का उल्लंघन भी है। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में सभी नागरिक, भिक्षु और भिक्षुणी आत्मदाह का विरोध करते हैं। वर्तमान समाज के प्रति उन्हें संतुष्ट ही नहीं, सुखद भी लगता है।"
वास्तव में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश ने भिक्षुओं और भिक्षुणियों के आर्थिक विकास के फलों का उपभोग करने के लिए सामाजिक प्रतिभूति क्षेत्र में बड़ी कोशिश की थी। स्वायत्त प्रदेश के उपाध्यक्ष लोसांग ग्याल्ट्सेन ने जानकारी देते हुए कहा कि तिब्बत में स्वतंत्र धार्मिक विश्वास वाली नीति लागू की जाती है। कानून के अनुसार धार्मिक मामलों का प्रबंधन किया जाता है। स्थानीय सरकार संरक्षण, प्रबंधन, शिक्षा, सेवा और प्रोत्साहन आदि माध्यमों के जरिए धार्मिक अनुयायियों के स्वतंत्र धार्मिक विश्वास की गारंटी देती है। इसके साथ ही व्यापक भिक्षुओं व भिक्षुणियों के लिए सामाजिक प्रतिभूति व बुनियादी सार्वजनिक सेवा करती है, ताकि उनके धार्मिक तपस्या के लिए अनुकूल स्थिति तैयार हो सके। लोसांग ग्याल्ट्सेन ने कहा:"हम सामाजिक प्रबंधन व सार्वजनिक सेवा वाला सरकारी कर्तव्य निभाकर मठों में भिक्षुओं व भिक्षुणियों के समानता के साथ सामाजिक अधिकारों, सामाजिक प्रगति और सुधार व खुलेपन के फलों का उपभोग करने की गारंटी देते हैं। हमने मठों में पेय जल, मार्ग और बिजली आदि सुविधाएं भी प्रदान कीं, इस वर्ष स्वायत्त प्रदेश में तमाम भिक्षुओं व भिक्षुणियों के लिए मुफ्त शारीरिक जांच की और उन्हें सामाजिक प्रतिभूति व्यवस्था में शामिल किया। जिस से व्यापक भिक्षुओं व भिक्षुणियों की जीवन गुणवत्ता उन्नत हुई और वे अच्छे वातावरण में धार्मिक तपस्या कर सकेंगे।"
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के जन प्रतिनिधि सभा की स्थाई समिति के प्रधान ग्यांग्बा पुन्सोक ने बाहरी दुनिया के लोगों से खुद तिब्बत की यात्रा कर वहां की वास्तविक स्थिति देखने का स्वागत भी किया है।
(श्याओ थांग)